रविवार, 30 मई 2010
धर्म क्या है ?
कई बार सोचता हूँ धर्म है क्या इस्लाम ,हिन्दू ,क्र्श्चियन. सभी कहते है मेरा धर्म बेहतर है शान्ति का है . फिर आपस में लड़ते क्यों है अगर सभी का धर्म शान्ति का है तो ? जब सभी शान्ति धर्म है तो क्यों लड़ते है आपस में . एक एक धर्म को समझने की कोशिश करता हूँ बार बार करता हूँ . कोई कहता है मेरा धर्म ले लो कोई कहता है मेरा ले लो . लगता है धर्म को बेच रहे है खरीद रहे है . तब जाता हूँ भारतीय धर्म की और जो न हिन्दू धर्म है और न ही इस्लाम और न ही करिश्चियन . देखता हूँ एक अजीब सी आजादी है शान्ति है कोई भी किसी को भी मान रहा है,पूज रहा है . पत्थर में भी भगवान ,धरती में भी माँ , पेड़ पोधो में भी ,पशुओ में भी , पक्षियों में भी , . हर जगह इश्वर का रूप दिखता है जिन्होंने मंदिर,गुरुद्वारों , में भगवान देखा . मस्जिद ,गिरजा घरो हर जगह एक इश्वर देखा .जल से लेकर थल से लेकर गगन सभी जगह एक इश्वर को देखा . दुसरो के दुःख में इश्वर को देखा सुख में इश्वर को देखा . कोन सा धर्म था वह ? वह धर्म किसी एक का नही किसी कोम का नही वह सम्पूर्ण सृष्टि के भले में सनातम धर्म था और है . जिसमे कोई बंधिश नही , कोई जबरदस्ती नही . जिसमे योगीजन ,देवी -देवता ,पहाडो ,नदियों , पत्तो ,पड़ो , सभी को पूजा जाता है . किसी की हत्या नही की जाती कोई अधर्म नही होता . यही तो है सच्चा धर्म जिसमे प्यासे को पानी ,भूखे को अन्न मिलता है . क्रूर राक्षसों को भी दया मिलती है .वही तो है धर्म जिसमे क्षमा , दान , है . वही तो है धर्म .
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राम भी ना जाने कि क्या है,
जवाब देंहटाएंजिन्दगी का आखिर मुकाम क्या है,
मिल जाता है जो कोई पूज लेते हैं उसको,
समझ नहीं आता, आखिर इंसान का भगवान क्या है।
sundar aalekh
जवाब देंहटाएं"यही तो है सच्चा धर्म जिसमे प्यासे को पानी ,भूखे को अन्न मिलता है . क्रूर राक्षसों को भी दया मिलती है .वही तो है धर्म जिसमे क्षमा , दान , है . वही तो है धर्म."
जवाब देंहटाएंmujhe nahi lagta ki kuchh or bhi kehna chaahiye....
kunwar ji,
यही तो है सच्चा धर्म जिसमे प्यासे को पानी ,भूखे को अन्न मिलता है !!
जवाब देंहटाएंjis kam ko karne se kisi bhi prani ko koi nuksan nahi no sabhi ko sukh de vahi saccha DHARM Hai.
जवाब देंहटाएंधर्म का उद्देश्य - मानव समाज में सत्य, न्याय एवं नैतिकता (सदाचरण) की स्थापना करना ।
जवाब देंहटाएंव्यक्तिगत धर्म- सत्य, न्याय एवं नैतिक दृष्टि से उत्तम कर्म करना, व्यक्तिगत धर्म है ।
सामाजिक धर्म- मानव समाज में सत्य, न्याय एवं नैतिकता की स्थापना के लिए कर्म करना, सामाजिक धर्म है । ईश्वर या स्थिर बुद्धि मनुष्य सामाजिक धर्म को पूर्ण रूप से निभाते है ।
धर्म संकट- सत्य और न्याय में विरोधाभास की स्थिति को धर्मसंकट कहा जाता है । उस स्थिति में मानव कल्याण व मानवीय मूल्यों की दृष्टि से सत्य और न्याय में से जो उत्तम हो, उसे चुना जाता है ।
धर्म को अपनाया नहीं जाता, धर्म का पालन किया जाता है । धर्म के विरुद्ध किया गया कर्म, अधर्म होता है ।
व्यक्ति के कत्र्तव्य पालन की दृष्टि से धर्म -
राजधर्म, राष्ट्रधर्म, पितृधर्म, पुत्रधर्म, मातृधर्म, पुत्रीधर्म, भ्राताधर्म इत्यादि ।
धर्म सनातन है भगवान शिव (त्रिदेव) से लेकर इस क्षण तक ।
शिव (त्रिदेव) है तभी तो धर्म व उपासना है । ज्ञान अनन्त है एवं श्रीमद् भगवद् गीता ज्ञान का सार है ।
राजतंत्र में धर्म का पालन राजतांत्रिक मूल्यों से, लोकतंत्र में धर्म का पालन लोकतांत्रिक मूल्यों के हिसाब से किया जाता है ।
कृपया इस ज्ञान को सर्वत्र फैलावें । by- kpopsbjri
सत्य, न्याय और नीति को धारण करके समाज सेवा करना पुलिस का व्यक्तिगत धर्म है । अपराधियों को पकड़ना पुलिस का सामाजिक धर्म है, चाहे पुलिस को अपराधी को पकड़ने के लिए असत्य एवं अनीति का सहारा क्यों न लेना पड़े ।
जवाब देंहटाएंसत्य, न्याय और नीति को धारण करके समाज सेवा करना पुलिस का व्यक्तिगत धर्म है । अपराधियों को पकड़ना पुलिस का सामाजिक धर्म है, चाहे पुलिस को अपराधी को पकड़ने के लिए असत्य एवं अनीति का सहारा क्यों न लेना पड़े ।
जवाब देंहटाएंवर्तमान युग में पूर्ण रूप से धर्म के मार्ग पर चलना किसी भी आम मनुष्य के लिए कठिन कार्य है । इसलिए मनुष्य को सदाचार एवं मानवीय मूल्यों के साथ जीना चाहिए एवं मानव कल्याण के बारे सोचना चाहिए । इस युग में यही बेहतर है ।
जवाब देंहटाएंBenami ji kaun se kalyan ki baat kr rhe h.jeb kalyan ki ya pet kalyan ki abhi aapne logo ko bhook se marte dekha nhi .
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