शनिवार, 8 मई 2010
विस्फोटको के ढेर प़र भारत
अभी - अभी खबर मिल रही है अमृतसर में विस्फोट से लदी एक कार पकड़ी है . और बमों को डिफुज़ की करवाई चल रही है . यह आतंक की साजिश है अधिकारियों का मानना है . लेकिन एसी साज़िशे रोज हो रही है कभी बंगलूर तो कभी डेल्ही , मुंबई हर जगह बम मिलने की खबरे आती है कभी अफवाहे आती है . लेकिन अफवाह हो या घटना एक बात तय है भारतीय आज बारूद के ढेर प़र बैठे है और एक डर की जिन्दगी जीने को मजबूर है . रोज - रोज के आतंकी साजिशो और अफवाहों ने भारतीयों को बहुत ही डरा सा सहमा सा दिया है . क्या ये सब यु ही चलता रहेगा हम यु ही डर - डर कर जीते रहेंगे . आखिर ये आतंकवादी हमारी धरती में घुसकर कैसे अपनी साजिशो को अंजाम दे जाते है अगर दे जाते है तो इन प़र कारवाई क्यों नही होती . जब तक इनकी कारवाइयो का जवाब हम मुहतोड़ नही देंगे तब तक भारतीय समाज में डर की भावना पनपती रहेगी . हम एक आजाद देश के नागरिक है हमारे पास बेहतरीन सेना है सेना के पास हथियार है फिर भी हम डर के जीने को मजबूर है . . आखिर इन आतंकवादियों का मुह क्यों नही तोड़ा जाता हम आज अपनी ही जमीन प़र अपने लोगो का लहू बहता देख रहे है . बड़े शहरो में ट्रेनों प़र जाने से डर , भीड़ भाड़ वाले इलाको में जाने प़र डर , दहशरा दिवाली जैसे त्यौहार मनाने में भी डर हर जगह डर ही डर . कब तक हम विस्फोट के ढेर प़र बठे रहेंगे और उस ढेर प़र क्या हम सुरक्षित है . आतंकवादियों की धमकियों से अलर्ट जारी हो जाते है रेड अलर्ट , हाई अलर्ट . लेकिन उन प़र विस्फोटो से पहले देश के नागरिको का खून बहने से पहले कारवाई क्यों नही होती . कब तक किस्तों में सास लेते रहेंगे हम कब तक सरकारे मुआवजों से जख्मो को भरती रहेगी . क्या भारतीय नागरिको की कीमत पैसो से ज्यादा कुछ नही है आतंक का शिकार बनो और मुआवजा लो नोकरी लो . और बहुल जाओ सब कुछ फिर से कोई हमला झेलने को तैयार रहो .
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sir abhi jaane kya kya hona baki hai...ho na ho sab andar ke gaddaron ka kiya dhara hota hai...varna bhikhariyon me itni himmat kahan
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