पिछले दिनों एक नेता आतंकवादियों के घर दुःख जताने पहुचे . क्या जमाना आ गया है आतंकियों के घर दुःख जताने नेता इसलिए जा रहे है की उनकी राजनीति चमक जाए . पहले जमाना था के शहीदों के घर नेता जाते थे उनके परिवारों को सहानुभूति देने . जिस तरह से कलियुग अपने कदम बधा रहा है धरती प़र पाप और पापी दोनों बढ़ रहे है और सज्जन व्यक्तियों की जनसंख्या घट रही है . इसे देखते हुए हमारे देश में एक शेर था जो शहीदों प़र था परन्तु आने वाले सालो में यह कहावत कुछ इस परकार होगी . और इसमें तुष्टिकर्ण की नीतिया जिम्मेदार होंगी
आतकवादियो के घरो प़र लगेंगे हर बरस नेताओं के मेले
वतन को तोड़ने वालो का बाकी अब यही एक निशा होगा
बात तो सही कही है पर लोकतंत्र में सब जायज है
जवाब देंहटाएंdukhad par sateek baat...
जवाब देंहटाएंkunwar ji,