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मंगलवार, 25 मई 2010

मायावती के राज में हिन्दू देवी देवताओं का अपमान

चुनाव से पहले मायावती का नारा था 'सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय ' इसी नारे को जनता में भुनाकर मायावती ने सत्ता का सफर तट किया था . सोशल इंजीनियरिंग का उनका फार्मूला सफल रहा . लेकिन सत्ता में आने के बाद लगता है मायावती अपने उस नारे को भुल गयी है . घटना कुछ दिन पहले की है लखनऊ से प्रकाशित एक पत्रिका अम्बेडकर टुडे’ पत्रिका का मई- 2010  के अंक में हिन्दू देवी देवताओं और वेदों के बारे में गलत बाते कही गई  है . जिस सोशल इंजीनियरिंग का मायावती दम भरती है उन्ही के प्रदेश में एसी अपमानजनक घटनाए हो रही है . क्या कोई पत्रिका बिना राजनितिक संरक्षण के एसे कृत्य कर सकती है . देखिये क्या क्या कहा गया है इस पत्रिका में हिन्दू धर्म’ मानव मूल्यों पर कलंक है, त्याज्य धर्म है, वेद- जंगली विधान है, पिशाच सिद्धान्त है, हिन्दू धर्म ग्रन्थ- धर्म शास्त्र- धर्म शास्त्र- धार्मिक आतंक है, हिन्दू धर्म व्यवस्था का जेलखाना है, रामायण- धार्मिक चिन्तन की जहरीली पोथी है, और सृष्टिकर्ता (ब्रह्या)- बेटी***(कन्यागामी) हैं तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी- दलितों का दुश्मन नम्बर-1 हैं।

इस पत्रिका के सम्पादक डॉ0 राजीव रत्न अपनी इस पत्रिका के विशेष संरक्षकों में मायावती मंत्रिमण्डल के पांच वरिष्ठ मंत्रियों क्रमशः स्वामी प्रसाद मौर्य (प्रदेश बसपा के अध्यक्ष भी हैं।), बाबू सिंह कुशवाहा, पारसनाथ मौर्य, नसीमुद्दीन सिद्दकी, एवं दद्दू प्रसाद का नाम बहुत ही गर्व के साथ घोषित करते हैं। क्या इस षड्यंत्र में मायावती के मंत्रियो का भी हाथ है . राजनीति को चमकाने के लिये किसी धर्म को बदनाम किया जाना जायज है . भले ही पत्रिका के मालिक ने यह मायावती को खुश करने के लिये किया हो अथवा नही  लेकिन वह यह क्यों भुल गये वह भी एक हिन्दू है . अभी यह साफ़ नही हो पाया है की मुख्यमंत्री  मायावती से इनके सम्बन्ध है भी या नही लेकिन एक बात तो तय है अगर यह खबर देश के कोने कोने तक पहुची तो मायावती की सोशल इंजीनियरिंग वाली छवि को धक्का  लगेगा . एक बात समझ से बाहर है अब तक यह खबर किसी चैनल ने नही दिखाई क्या यह पत्रिका साम्प्रदायिक नही है . अगर किसी और धर्म प़र एसी टिप्पणी होती तो ?.








प्रदेश सरकार ने हालांकि विवादित पत्रिका के मई अंक जब्त करने के साथ जोन्पूर के जिलाधिकारी को उसके शीर्षक को निरस्त करने के आदेश दिए है .

4 टिप्‍पणियां:

  1. फेसबुक पर आप उस पत्रिका की छवि देख सकते हैं। लिंक मैं नीचे दे रहा हूं- http://www.facebook.com/home.php?#!/note.php?note_id=118663338169666&id=1434665272&ref=mf

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  2. ek behad ghatiya soch ko dikhaati aapki ye post....

    kunwar ji,

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  3. lagta hai is pustak ka sampadak kisi hindu ki aulad nahi hai.agar hota to apne dharm ko badnaam na karta.agar usko jankari nahi hai to vaidikdharm.com par jakar le sakta hai.

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  4. hindu dharm ki jankari ke liye is link ko open karen http://www.vaidikdharm.com/admin/docUpload/dharm.pdf

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