सोमवार, 19 अप्रैल 2010
क्या कोई हरिजन का लड़का ब्राहमण नही हो सकता
अगर कोई ब्राह्मण है और उसका बेटा व्यापारी तो उसे किस दृष्टि से ब्राह्मण कहा जाये . जब उसे कर्मकांडो और वेद , शास्त्र , गीता , पुराण का ज्ञान ही नही तो उसे किस तरह ब्राहमण कहा जा सकता है क्या उसे पंडित जी कह सकते है . या सही होगा उसे पंडित कहना ठीक इसी तरह किसी हरिजन का लड़का वेदों का कर्मकाण्डो का ज्ञान रखता है . उसे हरिजन कैसे कहा जा सकता है. उसे अधिकार क्यों नही ब्राहमण कहने का जब की उसे ज्ञान है . भगवान ने मनुष्य को कर्म करने के लिए धरती प़र भेजा है उसे अपना भविष्य बनाने के लिए दान धर्म करने के लिए पृथ्वी प़र भेजा है . कर्मानुसार वर्गो में शामिल होने का हक़ दिया है अगर किसी हरिजन का लड़का पवित्र रहता हुआ और सभी तरह के ज्ञान के बावजूद भी ब्राह्मण नही हो सकता यह मनुष्य की मनमानी करने जैसा है . कोई भी मनुष्य जन्म से महान नही होता तो जन्म से ही ब्राहमण या क्षत्रिय या शुद्र , वैश्य कैसे हो सकता है . जब से जातीय बनी है भारत कमजोर हो रहा है और धर्म परिवर्तन की समस्या से जूझने का भी कारण यही है . हम वर्ग व्यवस्था को भुलाकर जाती व्यवस्था में जब से आये है तभी से हम उलझते ही जा रहे है . भेद भाव बढ़ रहा है दबंगी बढ़ रही है और जो शुद्र है वह दबता ही जा रहा है . छोटा व्यापारी दब रहा है . और भारतीय विद्या से भारतीयों का कटाव हो रहा है अंग्रेजी बढ़ने का भी कारण यही है . अगर यह अधिकार दे दिया जाये तो वेद शास्त्रों गीता , और पुराणो की हर घर तक पहुच होगी. और भारतीयों में जाती - पाती की तुछ भावना दूर होगी
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