सडक प़र चलते चलते ,दिखी एक चमचमाती सी चीज़
कपडे में लिपटी फिर भी , वो क्यों चमचमाए
सोच कर उसे उसने , झोली में लिया छुपाये
झोली में लिया छुपाये , सोचा क्या माल लगा हाथ में
दोड़ा दोड़ा जा रहा था , तभी ठोकर लगी उसके पाँव
टपक टपक कर रीस रही , फीर भी उसे शर्म न आये
लालच से मन भरा था , घर जाकर जल्दी ये चीज़ झलक दिखाए
पहुच गया जब घर वह , तब चीज़ वो फूटी आँख न सुहाए
आत्मा भी गाली देने लगी , ये क्या तुम ले आये
ये क्या तुम ले आये , क्या तुम ले आये
लालच भरा मन जब भी , कोई गलत चीज़ लाये
मन बड़ा पछताए , किसी का कोई क्यों फिर कुछ उठाये
abhi tak asamanjas me hun akhir wo kya cheez hai...
जवाब देंहटाएंhttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
wo cheez?
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जवाब देंहटाएंइस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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