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शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

गरीबी मिटाई जा सकती है लेकिन मिडिया को उसका प्रचार बेहतर ढंग से करना होगा

आजादी के तरेसठ साल बाद भी ७० करोड़ लोग बीस रूपए से कम प़र गुजारा  कर रहे है . दूसरी तरफ केवल एक फिल्म को चलाने के लिए १ दिन के लाखो रूपए खर्च किये जा रहे है . और मीडिया भी दिन - भर शिव सेना - राज ठाकरे मसाला लोगो की कवरेज में लगा रहता है . मीडिया को शाहरुख़ , कारण जोहर , अमिताभ बच्चन ,एश्वर्या राए , कटरीना कैफ इन लोगो में दिलचस्पी है लेकिन भूख से मरते लोगो की तरफ सरकार का ध्यान दिलाने में नही . अमिताभ को अगर कोई बीमारी हो जाये तो पूरे भारत को हिला दिया जाता है लेकिन असम जैसे राज्य में ३०० लोग भी बम विस्फोट से मार जाये तो कोई चीटी भी नही रेंगती कान के पास से . अगर भारत किरकेट   में जीत जाये तो ' चक दे इण्डिया ' सारा दिन . लेकिन उड़ीसा जैसे राज्य में लोग भूख मारी से तडपते रहे देश का ध्यान उस तरफ खीचना बिलकुल भी उसकी जिम्मेदारी नही . गरीबी भारत में है लेकिन इसे मिटाया जा सकता है बस जरुरत है तो साफ़ नियत की . जैसे बाढ़ बिहार में आती है तो पूरा भारत दिल खोलकर मदद करता है यह सब मिडिया की अछाई से कवरेज के कारण संभव होता है . भावनाओं को जगाया जाये इमानदारी से कोई पहल की जाये तो उड़ीसा ही नही भारत के हर राज्य से गरीबी को खत्म किया जा सकता है . लेकिन मीडिया वाले तब तक उस जगह प़र नही जाते जब तक की वहा कोई बड़ा हादसा या आतंकी वारदात न हो जाए . अगर मीडिया वाले गरीब राज्यों में जाकर वहा की स्थिति से भारतीयों को रूबरू कराये और कुछ भावनाए जगाई जाये तो भारत में दानियो की कोई कमी नही है . क्यों की यह दानवीर कर्ण की नगरी है जिस प्रकार अग्रसेन महाराज ने एक नियम लागू किया था एक रुपया एक ईट एसा ही नियम आज लागु करने की जरुरत है . ताकि इस देश में से गरीबी को मिटाया जा सके इस तरह के नियमो में हर आदमी दिल खोलकर देता है चाहे वह गरीब हो या आमिर . लेकिन मीडिया को यह बेहतर लगता है आज कोन सी फिल्म रीलिज़ हो रही है अथवा आज किस हीरोइन   का जन्मदिन है

6 टिप्‍पणियां:

  1. मीडिया गरीबों का नहीं है भाई!
    और केवल मीडिया से कुछ नहीं होने का।

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  2. दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi jee
    kewl midiya se kuch nhi hoga lekin bhartiyo ke andar ek emoshans to jagega tabhi bhartiy age aynge har aadmi age ayegaa

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  3. आपके विचारो से १०० प्रतिशत सहमत हूँ मिडिया फ़ालतू की बाते छोड़ देश हित की सोचे तभी देश का भला हो लेकिन मिडिया को अपनी टी आर पी से मतलब है

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  4. kya garnti hai is bat ki midiya ke prchar se bhartiyo ka dil mom ki tarah pighal jayegaa

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  5. मीडिया भी "खास" लोगों को खास कवरेज देता है, ठीक उस प्रकार जैसे लोगों की एड़ियां घिस जाती हैं सुप्रीम कोर्ट में केस की सुनवाई करवाने में जबकि अम्बानी की सुनवाई पहले ही दिन और सबसे तेज होती है… :)

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  6. मिडिया मंडी कि माफिक व्यवहार कर रहा है -वही दिखाया जाता है जो बिकता है। सत्ताधारी पक्ष इन्हें अपने पक्ष में करने कि जुगत, आसानी से,लड़ा सकता है।

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