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सोमवार, 11 जनवरी 2010

उनके चाहने वाले मंदिर गुरुद्वारों में मन्नते मांगते है अपने अभिनेता की अच्छी सेहत की

हर हफ्ते फिल्मे निकलती है और हम आप भी थिएटर में फिल्म देखने जाते है . फिल्म देखने की टिकेट खर्च १२० रूपए  होता है . हर फिल्म  को मुनाफा देने में दर्शक का हाथ होता है दर्शक ही किसी भी छोटे से छोटे कलाकार को बड़ा बनाता है उसे पैसा देता है .और एक भावनात्मक रिश्ता भी बना लेता है फ़िल्मी कलाकारों से . यानि कोई भी कलाकार दर्शको के सराहे बिना कलाकार नही बन सकता . अगर कोई कलाकार बीमार हो जाये  तो उनके चाहने वाले मंदिर गुरुद्वारों में मन्नते मांगते है अपने अभिनेता की अच्छी सेहत की . लेकिन आम जनता पर कोई विपदा आती है  तो क्या कभी किसी कलाकार खिलाडी आगे आया है उनकी मदद के लिए . अभी पिछले साल जब बिहार में बाढ़  आई हुई थी तब कोई भी खिलाडी कोई भी कलाजगत से जुडा या कोई अभिनेता कोई भी आगे नही आया आर्थिक मदद को . आया तो केवल आम नागरिक चाहे किसी भी प्रदेश का हो सभी ने मदद की किसी ने १ लाख तो किसी ने १ रुपया .आम इन्सान की तकलीफों को केवल आम इन्सान ही समझ पाता है लेकिन कोई भी बड़ा आदमी जब वह कुछ उचाईयो  पर पहुच जाता है तो उसका भारत और भारतीयों से कटाव क्यों हो जाता है लेकिन आम जनता हवन कीर्तन करती है उन सब के लिए

3 टिप्‍पणियां:

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