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रविवार, 31 जनवरी 2010

कविता

जीवन एक कोरा कागज


कागज प़र कुछ तो लिख दो

नींद में सपने लेने से बेहतर

दिन में कुछ तो कर लो

हर दिन एक उजाला

हर रात है इक अँधियारा

अंधियारों से निकलकर

कुछ तो जीवन में रंग भर लो

स्वप्न में ना खोकर

नींद में न सोकर

जागकर जीवन में खुशियों

के रंग तो भर लो

4 टिप्‍पणियां:

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