गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010
कलर्स चैनल के कुछ धारावाहिक सच्चाई से दूर
भाइयो कलर्स का कोई भी धारावाहिक हो पहले कुछ लिखा आता है ' हम इन बुराइयों के खिलाफ है ' हमारा किसी जाती विशेष ' से इस धारावाहिक का कोई सम्बन्ध नही . लेकिन जो लोग इन धारावाहिकों को देखते है वे भली भांति जानते है किस तरह की छवि प्रस्तुत की जा रही है . अब देखिये एक धारावाहिक १० बजकर ३० मिनट प़र ' न आना इस देश लाडो ' शुरू होता है . उस धारावाहिक में एक किरदार है अम्मा जी जिनकी बोली हरियाणवी है . अब जो इस धारावाहिक को देखता होगा तो उसके मन में हरयाणा की क्या छवि उतरती होगी . हरयाणा एक भारत का प्रान्त है जहा गाव की लड़की के पती को पूरा गाव दामाद मानता है . लेकिन इस धारावाहिक में अम्मा जी अपनी भतीजी को एक सरकारी अपसर को सोपती दिखाई जाती है . हरयाणा में बड़े ही स्वाभिमानी लोग रहते है लेकिन ये सब उट पटांग बाते हरयाणा की कोन सी छवि पर्स्तुत करते है . या हिन्दू समाज की कोन सी छवि प्रस्तूत करती है . एक और धारावाहिक है जिसमे एक ठाकुर को लड़की प़र अत्याचार करता दिखाया गया है . क्या यह किसी जाती विशेष प़र निशाना नही है क्या इस तरह की बातो से समाज मज़बूत होता है . या समाज में अधिक कडवाहट बढ़ रही है . हर समाज में बुराई होती है लेकिन बार बार ठाकुर . ठाकुर कहना हमारे दिलो में कड़वाहट भी घोल सकता है . क्या सभी ठाकुर एक जैसे होते है अगर इस प्रकार से दिखाते है महाराणा प्रताप को प़र कोई धारावाहिक नही बनाया जाता . समाज में एक बेहतर सन्देश भी दिया जा सकता है . इसी तरह हरयाणा के लोगो में देशभक्ति की भावना कूट कूट कर भरी है कारगिल युद्ध हो या १९७१ ,१९६५ की लड़ाई सभी ल्दैयो में हर्यानावासियो ने बढ़ चढ़ कर भाग liya है . हरयाणा आज भारत का एसा राज्य है जहा लड़की के पैदा होने प़र भी थालिया बजाई जाती है . लड्डू बाटे जाते है . मै कभी क्षेत्र वाद की बात नही करता लेकिन एसी बातो का विरोध तो करना ही पड़ता है . भारत के इतिहास प़र भी कोई धारावाहिक बन सकता है पहले भी तो श्री कृष्ण , रामायण , जैसे धारावाहिक बनते थे लेकिन आजकल तो उंच नीच बस और कोई मुद्दा ही नही जैसे . एसी बाते दिलो को जख्मो को कुरेदती है अब भारत में कुछ कुछ क्षेत्रो में जातिवाद कम हो रहा है . लेकिन इस तरह धारावाहिक दिलो और दिमाग़ो में जहर भर रहे है . कलर्स हो या कोई भी चैनल अपनी तो एक ही विनती है समाज को तोड़ो मत मज़बूत करो
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
आप सही कह रहे हैं। ये धारावाहिक समाज की छोटी सी बुराई को बहुत बड़ा करके प्रस्तुत करते हैं। मुझे तो समझ नहीं आता कि हरियाणा के लोग कैसे बर्दास्त कर रहे हैं। अभी महाराष्ट्र होता तो?
जवाब देंहटाएंDr. Smt. ajit gupta jee
जवाब देंहटाएंharyana me shahrikarn badh raha hai log samjhdar ho rahe hai ek karn yhi hai log mharashtr ki trh sadko par niklna nhi chahte lekin galat chvi parstut ki ja rahi hai uske khilaf sabhi bhartiyo ko awaz uthani chahiye kewal hariyana hi nhi pura hindu smaz badnam ho rahaa hai
टी वी चैनल्स चाहे समाचार वाले हों,धारावाहिकों के प्रदर्शन करने वाले हों या फिर गीत संगीत या बिंदास के इमोशनल अत्याचार,एम् टी वी,वी टी वी या फलाना ढकना वाले जितने भी टी वी कार्यक्रम परोस पैसा कमाने वाले चैनल हो...कहीं भी चले जाइए,आप सहज ही निचोड़ निकाल सकते हैं कि इनमे युद्धस्तर पर एक अभियान सा चला हुआ है अपसंस्कृति को परिपुष्ट करने के लिए...इन पर माथा पीटने वाली नहीं बल्कि यह सोचने वाली बात है कि सुनियोजित ढंग से चल रही इस मुहिम को ध्वस्त कैसे किया जाय...
जवाब देंहटाएंmai aapke aalekh se sahmat hun.
जवाब देंहटाएंranjna jee
जवाब देंहटाएंma apki bat se sahmat hoo lekin hmara smaz entrtanment me doob chuka hai vah in sab hathkando ko dhvst to door inke khilaf awaz bhi nhi utha raha or yhi vazh hai bhart kamzor hota ja rahaa hai
bilakul sahi kaha aapane,ya dharavahik na sirf kisi pradesh ya jaati vishesh ko badnam kar rahe hai balki ab to inhone hindu-hinduon me bhi foot dalane ka karya shuru kar diya hai.aaj jab antarjatiya vivah bahutayat me ho rahe hai kuchh dharavahik hindu hinduon ke riti rivajon ko hi naak ka sawal bana kar pesh kar rahe hai.pata nahi in dharavahikon ke liye koi sensor kyon nahi hai?
जवाब देंहटाएंइस प्रकार के धारावाहिकों का विरोध होना चाहिये,पता नहीं कहाँ गयी सेंसर की कैची ।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा आपने , सब बकवास है ।
जवाब देंहटाएं