पिछले दिनों लीबिया का तानाशाह कर्नल गद्दाफी मारा गया उसकी मोत की तस्वीर जब हिलेरी कलिन्टन के पास पहुची उस समय वे पकिस्तान में थी तस्वीर देखते ही झट से बोली .............वाओ . जैसे कोई आतंकवादी मारा गया हो या फिर अमेरिका अमेरिका बड़ा दुश्मन .........लीबिया का सर्वोच्च पद गरहन करते ही गद्दाफी ने अमेरिका को झटका दे दिया था एस्सो आयल कम्पनी जो की अमेरिका में लम्बे समय से तेल उत्पादन का काम कर रही थी . सर्वोच्च पद हासिल करते ही गद्दाफी ने तेल के उत्पादन पर नियन्त्रण करना शुरू कर दिया .यानी अमेरिका से दुश्मनी पहले ही कर ली थी गद्दाफी ने . फिर तो खुश होना ही था हिलेरी या ओबामा को ..........लेकिन पिछले ६ माह में जो क्रान्ति लीबिया में हुई उसमे अमेरिका का ख़ास योगदान रहा लीबिया की क्रान्ति में भले ही अमेरिकी पैदल सेना का योगदान न रहा हो लेकिन मित्र देश ब्रिटेन ,फ्रांस ने पूरी मदद की .इन देशो ने हवाई हमले करके अय्याशा तानाशाह को उसके महल से खदेड़ने में विद्रोहियों की मदद की .३० मार्च २०११ को अमेरिका के एक अखबार लांस एंजिल्स टाइम्स ने लिखा "सूचनाओं के संकलन के लिहाज से सिआईए वहा मोजूद है .लेकिन विद्रोहियों को हथियार देने के बारे में न तो हाँ कर सकते है और न ही ना .इसी खबर के साथ रायटर ने एक और खबर प्रसारित की थी की अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक गुप्त अनुमति पात्र हस्ताक्षर किया है जिसमे लीबिया के विद्रोहियों को मदद करने की अनुमति दी गयी है . लेकिन मिडिया ने इन दोनों खबरों को जनता के सामने पेश नही किया और गदाफी को एक तानाशाह ,अय्याश दिखाने की कोशिश की गयी . जाहिर है मीडिया का आका अमेरिका है और उसे उसी के इशारे पर चलना होगा ..................
चलिए अब बात करते है अन्ना हजारे की ..
मित्रो आज से दो साल पहले देश में इस शख्स को कोई जानता भी नही था ,उस समय इस देश में केवल एक ही शक्स भर्ष्टाचार के प्रति आवाज़ बुलंद कर रहा था वह थे बाबा रामदेव .बाबा रामदेव के मुद्दों में पूर्ण सवराज ,सव्देशी शिक्षा चिकित्सा ,काला धन ,भ्रष्टाचारियो को फ़ासी जैसे मुद्दे थे . उस समय पूरे देश में एक अलख सी जाग गयी थी भ्रष्टाचार को लेकर और काले धन पर भी बाबा रामदेव ने सरकार पर दबाव डाला था . जब सरकार की चूल्हे हिल रही थी तब खतरा अमेरिका और ब्रिटेन सविज्र्लैंड जैसे देशो को भी था . चुकी इस देश में यदि काला धन आ गया तो उनके देश की अर्थवयवस्था का क्या होगा जिनकी अर्थवयवस्था हमारे देश के पैसे से चल रही है . ठीक उन दिनों में जब बाबा रामदेव का आन्दोलन चरम पर था उनकी लोकप्रियता देशभर में थी ठीक उस समय एक शख्स मिडिया में आता है और अनशन करने की बात करता है वह जो कुछ बोलता है मीडिया उसे एक हीरो की तरह प्रस्तुत करता है .जिस दिन वह जन्तर मन्त्र पर अनशन करता है उस दिन जो भीड़ बाबा रामदेव के साथ थी उस भीड़ को उस जनता को अन्ना के साथ लाने की भरपूर कोशिश मिडिया द्वारा की जाती है यानी आन्दोलन को बाटने की कोशिश और जनता को भी . उसके कुछ माह बाद बाबा रामदेव का सत्यग्रह होता है तब बाबा से यही मिडिया उल - जलूल सवाल पूछता है और उस साधू पर ऊँगली उठाता है जो देश के लिए भरष्ट राजनितिज्ञो से लड़ रहा है .इस आन्दोलन में सरकार और पुलिस का रवैया भी कुछ एसा ही होता है गोली ,लाठी डंडे सभी कुछ चलाकर मंच को तहस -नहस कर दिया जाता है और बाद में यही मीडिया उन पर नारी के वेश में भागने के भद्दे आरोप लगता है होना तो याह चाहिए था ये मीडिया सरकार से इस बर्बरता पर सवाल पूछता खैर ............... अब एक दूसरा अध्याय शुरू होता है वही शक्स जिसे भारत की जनता जानती नही जो कभी भारत के ज्यादातर गावो -शहरो में गया नही है उसे महात्मा कहा जाता है वह अनशन पर बैठता है इस बार सरकार का रवैया भी अलग होता है और पुलिस का भी और मीडिया द्वारा तो यह सारा खेल रचा गया था .जब वह शख्स अनशन पर बैठता है तब सरकारी घोटाले सामने आ रहे होते है बीजेपी सडको पर होती है शीला का इस्तीफा मांग रही होती है .लेकिन जिस समय अनशन शुरू होता है सभी घोटाले दब जाते है जैसे इस शक्स ने सरकार को एक संजीवनी दी हो , काले धन से ध्यान हट अब बस एक जन्लोक्पाल पर बात अटक जाती है . इस पूरे आन्दोलन में अन्ना एक हीरो बन जाते है जनता सडको पर ,सांसदों का घेराव होता है . पूरे देश में लोग सडको पर लेकिन अचानक खबर आती है की अन्ना अनशन तोड़ रहे है मिडिया फिर से इसे एक बड़ी जीत के तोर पर दिखाता है अन्ना को गांधी की तरह दिखाने की कोशिश होती है . लेकिन जनता को अँधेरे में रख दिया जाता है सरकार ने अन्ना की कोई भी ठोस मांग नही मानी होती लेकिन फिर भी इसे एक जीत मिडिया द्वारा अन्ना द्वारा बताया जाता है . क्या ये जनता से सीधा धोखा नही था उस जनता से जो आजादी के कई सालो बाद संघठित होकर देश के लिए कुछ करने को निकली थी ?लेकिन उसे धोखा ही मिलता है ...........उससे भी बड़ी बात इसे मिडिया और अन्ना दोनों द्वारा बड़ी जीत बताना .........इस पूरे आन्दोलन से दो सवाल पैदा होते है क्या यह आन्दोलन अमेरिकी रणनीति का एक हिस्सा था .क्या इस अन्ना आन्दोलन का उद्देश्य और अन्ना को बेवजह एक हीरो बनाना बाबा रामदेव के आन्दोलन की धार को कम करना था .चुकी जिन मुदो की बात बाबा रामदेव कर रहे थे काला धन वापस लाओ , सव्देशी शिक्षा ,चिकित्सा ,और पूर्ण सवराज . इन सबमे अमेरिकी हितो को धक्का लगना तय था .
१ काला धन -काला धन भारत में आ जाने से पश्चिमी देशो की अर्थवयवस्था को धक्का लगना और भारत का विश्वपटल पर एक मजबूत अर्थवयवस्था वाला देश बन जाना .
२ सव्देशी चिकित्सा - यदि सव्देशी चिकित्सा इस देश में लागू हो गयी तो पश्चिमी मुल्को की दवाई कम्नियो को भारी नुक्सान होगा चुकी उनके लिए भारत एक बड़ा बाजार है .
३ सव्देशी शिक्षा -यदि सव्व्देशी शिक्षा लागू हो गयी तो भारत के लोगो में हिंदुत्व के प्रति आस्था बढ़ेगी और भारत के लोगो का स्वाभिमान जाग जाएगा . जिससे अमेरिका या अन्य पश्चिमी देशो को भारत में धर्मपरिवर्तन करना मुश्किल होगा और हिन्दुओ को दलित-सरवन के नाम पर बाटना भी
४ पूर्ण सवराज - यदि भारत में पूर्ण सवराज हुआ तो अमेरिका या कोई भी अन्य देश यहाँ अपनी मनमानी नही कर पायेगा
इनमे से किसी भी मुद्दे को अमेरिका या कोई भी पश्चिमी देश नही चाहता और जब बाबा रामदेव की वजह से उसे इस देश में लोगो का स्वाभिमान जागता दिखा तभी उसने मिडिया की मदद से (जो की अमेरिका के इशारे पर ही चलता है ) एक ऐसे शख्स को हीरो बैठे - बैठाए हीरो बना दिया जिसके मुद्दे बहुत ही छोटे थे . इसी संदर्भ में ओबामा द्वारा अन्ना की तारीफों के पूल बांधे गये ( पता नही एसा अन्ना ने क्या कर दिया ? .चुकी अन्ना की वजह से काला धन का मुद्दा गर्त में चला गया और बाबा रामदेव की लोकप्रियता भी कम हुई यानी अब अमेरिकी हितो में अडंगा लगाने वाला कोई नही बचा .........
इन सबमे अन्ना को हीरो बनाने की अमेरिका की दो वजह हो सकती है एक तो उसे लग रहा है की अगला शासन बीजेपी का होगा और भारत में फिर से हिन्दुत्त्व का राज होगा सत्ता होगी तभी वह अन्ना को मीडिया की मदद से खड़ा कर रहा है चुकी वह अन्ना को जनता की नजर में बीजेपी से बेहतर साबित करना चाहता है .इससे उसे दो फायदे होंगे
१ बीजेपी के वोट बटेंगे और बीजेपी सत्ता में नही आएगी
२ फिर से वही सरकार बनेगी धर्मनिरपेक्ष जिसमे अमेरिकी हितो की अनदेखी नही हो सकती
और अगला चुनाव होगा अन्ना vs कोंग्रेस यानी धर्मनिरपेक्ष vs धर्मनिरपेक्ष ..............यानी जो लड़ाई लीबिया में अमेरिकी मदद से चली चुकी गदाफी भी अमेरिका के हितो में एक बड़ा रोड़ा था वही लड़ाई इस देश में अमेरिका ने अन्ना की मदद से चलाई बाबा रामदेव के आन्दोलन का तोड़ धुंध कर जिससे उसके हित सुरक्षित रह सके और भारत को विदेशी ऐसे ही लूटते रहे ........
नोट - लेख अनुमानित