शनिवार, 2 जनवरी 2010
कडवी सच्चाई भारत की
कई बार यह सवाल मान में उठता है सल्म्डोग क्यों बनी . क्यों विश्व में भारत की एसी छवि उकेरी गयी . क्यों भारत हमेशा लुटता रहता है . क्यों टुकड़े टुकड़े होता है . इन सवालों के जवाब खोजने के लिए सम्पूर्ण भारत भूमि का इतिहास जानने का मन करता है .लेकिन दुःख इस बात का कैसे भारत दर्शन किया जाये जो टुकड़े भारत के किये गये वहा तो आतंक की फसल बोई जाती है . अगर उन वर्तमान के टुकडो को छोड़ भी दिया जाये जिसे हम अखंड भारत कहते है वह कितना अखंड है . मैंने सोचा क्यों न मै डेल्ही महाराष्ट्र की बात करू . तस्वीर मन में बनाई सबसे पहले महाराष्ट्र की तस्वीर में बिलकुल साफ था लोग एक दुसरे की पिटाई कर रहे थे . उत्तर भारतीयों को बर्बरता पूर्ण पिटा जा रहा था . और कोई भी परदेश एसा नही था जहा जातिवाद पर लड़ाई नही हो . किसी शहर में लोग भूखे मर रहे थे . लेकिन जब मै किसी धार्मिक स्थल की तरफ ध्यान देता हूँ तो मुझे आश्चर्य होता है . जिस देश में किसी किसी के पास १ वक्त का खाना भी नही है उसी देश में केवल १ व्यक्ति के नाम पर ट्रस्ट और धर्म्शालाये है करोड़ो रुपयों की . फिर मुझे लगा यह देश गरीब नही . मधु कोड़ा जैसो के पास ४ हजार करोड़ रुपया कहा है गरीबी . लेकिन तस्वीर बिलकुल साफ होती जाती है देश के टूटने का कारण तुरंत ही समझ आ जाता है . वही कारण आपके सामने पर्स्तूत .गरीबी फैलने का कारण भारतीयों का ख़ुद को ज्यादा बड़ा साबित करना जैसे ध्र्म्शालाये बनवाना करोड़ो रुपयों की लेकिन इनसे भला किसका होता है इनमे से कुछ पैसा भी गरीबी मिटाने में लगाया जाये तो भारत में झोपड़ पट्टी नही पक्के घर होंगे .इस गरीबी से ही बनती है सल्म्डोग .कुछ पैसा धर्म के परचार पर भी लगाया जाये जिससे धर्म को जान सके सभी लोग चाहे वह किसी भी देश के हो . हमारे धर्म ने हमे भूखे को खाना देने और चिड़िया को दाना देने का सन्देश दिया है .लेकिन बहुत से लोग भूखो को खाना देने की जगह अपने ख़ानदान का नाम चलाने के लिए ध्र्म्शालाये बनवाते है . और अधर्म के खिलाफ लड़ने की शिक्षा दी लेकिन राजा महाराजा कुछेक अपनी पर्ज़ा की रक्षा का धर्म न निभाकर अंग्रेजो के साथ मिल गये .अगर सभी राजा महाराज महाराणा प्रताप की तरह लड़ते देश बहुत जल्दी आजाद हो जाता और न ही टुकड़े टुकड़े होता . कडवी सच्चाई भारत की . दूसरा शेत्र्वाद की लड़ाई यहा से भारतीयों को एक दुसरे के दिलो से निकाला जाता है . और जाती भावना जो समाज को समाज से काटती है और कर देती है भारत के टुकड़े .
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अच्छी पोस्ट लिखी है।
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