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शनिवार, 16 जनवरी 2010

आने वाले सालो में टूट जायेगा परिवार

मज़बूत रिश्ते ही किसी परिवार की नीव होते है लेकिन कुछ सालो से भारत में रिश्ते कमज़ोर पड़ते जा रहे है . एसी क्या बात थी की ४ ४ बच्चे होने के बाद भी घरो में साँझा चूल्हा जलता था सभी साथ साथ रहते थे . भारत में परिवार की नीव बहुत मज़बूत होती थी लेकिन कुछ सालो से यह नीव हिल ही नही रही खंडित भी हो रही है . एसे क्या कारण है की भारत में नागरिको को ही नही एक परिवार को जोड़े रखना भी मुश्किल या यु कहे नामुनकिन होता जा रहा है . पहले का परिवार कुछ यू हुआ करता बड़ा घर दादा ,दादी , ताऊ ,चाचा ,ताई , चाची ,माँ , पिता जी , भाई , बहन लेकिन वर्तमान में मोम ,डैड , ब्रदर ,सिस्टर . अभी एक बच्चा देखा मैंने ' उम्र महज़ 3 साल उसकी कोई दादी नही है दादा नही है कभी कभार नाना आते है लेकिन शाम को ही चले जाते है उसके पापा पराईवेट नोकरी करते है उन्हें कभी कभी २ २ दिन लग जाते है और उसकी माँ बैंक में कार्यरत है . माँ भी सुबह १० बजे चली जाती है बच्चा क्रेच में . जिस बच्चे की उम्र माँ, दादी की गोद में खेलने की थी वह क्रेच में है . हम उनके करीबी है एक बार मैंने पूछ लिया ' आप अपने बच्चे को किस जन्म की सज़ा दे रही है उनका जवाब था क्या मुझे मेरी जिन्दगी जीने का हक़ नही . ' फिर मैंने कहा दादा दादी को ले आइये उनका जवाब था वह यहाँ आएंगे तो खर्चा बढ़ जायेगा ' . ये सोच केवल उन्ही की नही हम सभी भारतीयों की होती जा रही है . लेकिन पिसना बच्चो को ही पड़ रहा है . खुशिया कम हो रही है और गम बढ़ रहे है तन्हाईया , अकेलापन बढ़ रहा है पैसो की भूख रिश्तो को तोड़ रही है हमें मानसिक रोगी बना रही है . भारत को एक एसा देश बनाया जा रहा है जिसमे केवल अंग्रेजी मानसिकता के लोग रहेंगे . जिसका नाम होगा इण्डिया . जिसमे न कोई परिवार न ही रिश्ते केवल अकेलापन और बहुत सा पैसा . आने वाले सालो में टूट जायेगा परिवार .

5 टिप्‍पणियां:

  1. जब से यह देश केरियर ओरियेण्‍टेट हो गया है तभी से परिवार बिखर गए हैं। असल में जब हम केरियर की बात करते हैं तब हम व्‍यक्तिवादी हो जाते हैं और व्‍यक्तिवादी होने पर परिवार कहाँ रहेगा?

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  2. kuch sal bad pariwar ek andhwishwash ki tarah rah jayega. Insano Aur Janwaro ke beech fasla khatm ho jayega.

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  3. tarkeshwar jee aap bilkul sahi kah rahe hai yhi halat rhe to pariwar andhvishvas ho jayga

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  4. परिवार टूटेंगे तो नहीं, लेकिन बदलते वक्त की मांग की सुविधानुसार एडजस्टमेंट अवश्य करने पड़ेंगे, ताकि पीढ़ियों के विचारों के अन्तर, महंगाई, स्त्रियों के करियर आदि को समायोजित करने में आसानी हो… वैसे भी महंगाई की वजह से बड़े परिवार की अवधारणा जल्दी ही समाप्त हो जायेंगी।

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