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शनिवार, 9 जनवरी 2010

क्या आने वाले समय में भी यही सम्मान उसे मिलेगा

भारतीय समाज में नारी को हमेशा एक देवी के रूप में पूजा गया है . नारी पुरुष के जीवन में एक माँ एक बहन और अंत में एक पत्नी के रूप में आती है . नारी के बिना कोई कार्य सम्पन्न नही होता भारत में नारी को एक महत्वपूर्ण स्थान मिला है . वह रक्षाबंधन हो या नवरात्रों पर कंजका को ज़िमाना नारी को सम्मान ही दिया जाता रहा है . लेकिन नारी की मह्त्व्कंशाये बदल रही है आज  नारी पुरुष के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलना चाहती है और चल रही है . लेकिन नारी का पहनावा जरूरत से ज्यादा बदल रहा है इस रहन सहन से नारी अपनी गरिमा को खोती जा रही है . जिस देश में नारी को एक बहन माँ का स्थान बड़े ही आदर पूर्वक दिया गया हो क्या इस तरह के परिधान शोभा देते है . वैसे हम इसे बदलाव कह सकते है और अगर किसी ओरत से पूछे तो इसे सुंदर दिखने के लिए कहा जा सकता है . लेकिन इस तरह ही नारी का स्वरूप बदलता रहा वह जो सम्मान पाती रही है क्या आने वाले समय में भी यही सम्मान उसे मिलेगा . क्या नारी खुद को पश्चिमी संस्कृति में नही ढाल रही है . एसा बदलाव किस हद तक जायज़ है किसी भाई से उसकी बहन का छीन  जाना माँ का छीन  जाना . इस देश में नारी को देवी के रूप में पूजा जाता है लेकिन बदलती नारी रिश्तो को भी बदल रही है . हम, हमारा देश अपनी सभ्यता और संस्कृति से ही महान होता है . अगर नारी पुरुष या किसी भी भारतीय नागरिक में इनमे से एक भी चीज़  की कमी होगी तो कैसे होगा हमारा देश महान . हम  भी दुसरे  की कतार में खड़े हो जायेंगे

5 टिप्‍पणियां:

  1. naari ko samman kaun dae rahaa haen aur agar wo itna smaanit hi hotee to kyaa wo badlaav chahtee

    jis desh mae ruchika jaesi bacchi kae saath yaun shoshan ki baat hotee haen us desh mae naari ko devi kehna kyaa sahii haen

    insaan samjh lae yahii bahut haen

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  2. rachna jee me kuch hadd tak apki bato se sahmat hoo lekin paho ungliya ek sman nhi hoti

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  3. vikas

    kabhie teh tak jaa kar daekhae ki kyaa vakaii rathor "apvaad " haen kyaa haen kps gill , yae sab cream haen society ki


    neechay aayeeyae yaad kijyae wo ward boy jisnae ek mahila kaa rape kiyaa tha wo mahila aaj bhi 26 saal baad bhi coma mae haen ward boy jail kae baad aazad haen

    baat stri pruush ki nahin haen baat has sabhhya aur asbhya saamj ki
    baat haen naari ko samaan samjhnaeki aur baat haen yae samjhnae ki

    bhartiyae sanskriti aur sabhytaa kyaa stri kae vastro par teeki haen
    agar nahin to vstro sae samaan kaa kyaa lena dena
    vastr apni suvidha apnae man sae ho aur jo sehaj swyikaary ho

    haan agar naari kae vastr badlae haen to purush kae dhoti kurta shervani aur chuddidaar bhi ab kahii anhin diktey

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  4. rachna

    kya apko nhi lagta hamne bhart ko stri poorush me bat diya hai sabhi apne aap ko sashkt karne me lage hai lekin desh ki kisi ko fikar nhi hai asa kyo

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