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शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

अन्ना समर्थको से 9 सवाल

अन्ना के समर्थको ज़रा आँख में भर लो पानी जो शहीद हुए है उनकी कही व्यर्थ न चली जाए कुर्बानी . पहचानो की किस आन्दोलन में है दम ,देशभक्ति की भावना तुममे है इसमें कोई दो राए नही तुम भी एक भारतीय हो और भारत से प्रेम करते हो .लेकिन जो मीडिया ने तुम्हारी आँखों पर पर्दा डाल रखा है उस परदे को हटाकर खुले दिमाघ से सोचो इन 9 सवालों का जवाब तलाशो .
1 ओबामा ने अन्ना के आन्दोलन की तारीफ क्यों की ?
2 अन्ना कसाब पर तो बोले लेकिन हाफिज सैयद पर और जहरीले पकिस्तान पर क्यों नही ?जब की भारत का बच्चा -बच्चा कसाब को फ़ासी चाहता है तो ऐसे में अन्ना को तो आतंक के गढ़ पर कुछ बोलना चाहिए था ?
3 अन्ना एक एंटीवायरस है वह भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फैकेंगे एसा आप लोग मानते है तो फिर उन्ही की टीम में पर्शंत भूषण अब तक क्यों बने हुए है और हिन्दू भावनाओं को अपमानित करने वाले अग्निवेश उनकी टीम में कैसे शामिल हुए ? क्यों उन्होंने उनको अपनी टीम में रखा क्या यह राष्ट्रभक्तो की छाती पर मूंग दलने सामान नही है ?
4 अन्ना एक अहिंसावादी है अन्ना दुसरे गांधी है ? यह आप लोगो और उनके बाकी समर्थको का कहना है तो उन्ही के राज्य में जब राज जैसे लोग उत्तर भारतीयों को लतियाते है तब यह कहा होते है एक स्पीच तक नही निकलती इनके मुख से आखिर क्यों ?
5 अन्ना दुसरे गांधी है ? गांधी कभी भी मीडिया के कैमरों में नही रहना चाहते थे और उन्होंने इस अधूरी आजादी को सही मायनो में आजादी नही माना था लेकिन अन्ना ने जन्लोक्पाल बनवाया नही की जीत का प्रचार किया और लगातार मीडिया में तो बने है लेकिन आम जन में उनकी कोई मेल -मिलाप नही आखिर क्यों ?
6 अना फिर से आन्दोलन की धमकी दे रहे है क्या इस देश की जनता फिर से उन पर विशवास करेगी ?
7 यदि वास्तव में अन्ना हजारे इस देश का भला चाहते है तो बाबा रामदेव ,श्री श्री ,मुरारी बापू ,आसाराम बापू इन सभी के साथ मिलकर काम क्यों नही करते ? क्यों अलग से अपनी ढपली उठाये हुए है क्या वह राजनितिक लक्ष्य साध रहे है ?
8 क्या यह देश तालिबान है जिसे बस एक जन्लोक्पाल में बांध दिया जाये ? आडवाणी काले धन पर रथयात्रा निकाले तो वह बेमानी और अन्ना उन पर लगे आरोपों का जवाब न दे तो वह साधू ?
9 अन्ना को यदि देश की चिंता है तो वह गाव -गाव जाए और देश को जागरूक करे भारतीय शिक्षा को लागू करवाने के लिए कोई कदम उठाये लेकिन वो एसा क्यों नही करते ?
हमारा देश बहुत ही महान है वह भावनाओं में जल्दी बह जाता है अन्ना को भी मीडिया ने एक साधू की तरह दिखाया बारह दिन के अनशन ने उनको हीरो बना दिया ? लेकिन अन्ना की हीरोगिरी में असल मुद्दे गम से हो गये है यदि वास्तव में अन्ना बदलाव चाहते है तो उतरे जमीन पर और भारत की जनता की दुःख तकलीफों को समझे . बताये जनता को की वह गरीब नही है ये धरती गरीब नही है लेकिन उन्हें गरीब बनाया गया है . बताये उसे की जब सभी पश्चिमी देश दिवालिया हो रहे है तब भी भारत की अर्त्वय्वस्था मजबूत है लेकिन फिर भी आप लोग भूखे है क्या कारण है इसका कोन हमें लूट रहा है . कोन भारत में असमानता ला रहा है कोन भारत में अलगावाद भडका रहा है क्या इसमें पश्चिम और इस्लामिक देशो की साम्राज्यवाद की नीतिया जिम्मेदार नही है .
मित्रो ,यह सब करने के लिए बहुत दम चाहिए वो दम बाबा रामदेव में है जो पूरी की पूरी वयवस्था में परिवर्तन लाना चाहते है और जमीन से जुड़ने में विशवास करते है न की मीडिया के कैमरों से चिपकने की .हम भी देशभक्त है लेकिन हम उसी का साथ देंगे जिनके पास मुद्दे होंगे न की फिर वही आधी -अधरी आजादी या गुलामी लाने वालो का …………….

रविवार, 6 नवंबर 2011

मनमोहन सिंह जी दोस्त और दुश्मन को पहचानो



मित्रो ,मनमोहन सिंह हो या अटल बिहारी वाजपेयी दोनों ने ही पाकिस्तान से दोस्ती का राग अलापा है पकिस्तान ही क्यों बंगलादेश ,अफगानिस्तान इन तीनो देशो से दोस्ती करना इनका अहम लक्ष्य है . जब की ये तीनो ही देश भारत को कैसे भी कमजोर करने के मंसूबे पाले रखते है .पाकिस्तान तो खुला दुश्मन है ही भारत का साथ ही साथ बंगलादेश भी घुस्पेठिया नम्बर वन है और अफगानिस्तान जिसे भारत ने हर संभव सहयोग दिया वह भी खुली घोषणा कर चूका है की पकिस्तान उसका भाई है वह भी पाकिस्तान का ही साथ देगा यदि भारत ने उससे युद्ध किया तो . यानी मनमोहन सिंह और अटल जी इन देशो को कितना भी खिला दे पिला दे वहा सडक बनाये या रेल चलाए ये तो पकिस्तान के ही भाई है . फिर भी मनमोहन सिंह जी इनसे दोस्ती करने में लगे है ..पता नही इसके पीछे भी वोट बैंक की राजनीती ही होगी .
और दूसरी तरफ शांतिप्रिय देश है जो भारत की संस्कृति का सम्मान भी करते है और भारत के हितचिन्तक भी है नेपाल ,भूटान ,और श्री लंका इन देशो से भारत का सांस्कृतिक और भावनात्मक रिश्ता है .जिस समय लंका ने लिट्टे पर हमला किया उस समय मनमोहन सिंह की सरकार ने लंका की कोई मदद नही की इसका फायदा उठाया चीन ने अब वह लंका का अच्छा दोस्त है यानी एक मोका चुक गये मनमोहन . अब चीन नेपाल को अपने पक्ष में लेने की कोशिशो में लगा है वह बोद्ध शहर लुम्बिनी जो की नेपाल में है पर भारी भरकम पैसा खर्च कर नेपाल को रिझाना चाहता है .चीन की यह विस्तारवाद की निति ही है की उसने पहले लंका को अपने पक्ष में किया फिर नेपाल को रिझाने की कोशिश की लेकिन नेपाल ने उसे बिलकुल साफ़ मना कर दिया और भारत में आकर चिदम्बरम से मिलकर कहा की नेपाल और भारत में कभी फुट पैदा नही होगी . लेकिन मनमोहन सिंह जी अमेरिका ,बंगलादेश फ़्रांस के दोरो पर है .जब की अमेरिका  भारत को कमजोर करने के लिए पाकिस्तान का साथ देता रहा है फिर भी मनमोहन सिंह अमेरिका के पिछलग्गू है .........लगता है मनमोहन सिंह या तो यह मानना नही चाहते की अमेरिका ,फ्रांस ,पाकिस्तान ,बंगलादेश ,अफगानिस्तान ये कभी भारत के दोस्त नही हो सकते या फिर मनमोहन सिंह भारत को आगे बढ़ने देना  नही चाहते .वह नही चाहते की भारत का कोई हिन्दू देश मित्र हो वह भी उसी नीति पर चल रहे है जिस पर नेहरु जी चले थे फर्क सिर्फ इतना है की नेहरू जी ने चीन को अपना दोस्त माना था और धोखा खाया  था .लेकिन मनमोहन सिंह जी पशिचिमी देशो और इस्लामिक देशो को दोस्त मान रहे है .....नेहरु जी ने तो फिर भी धोखा खाया था लेकिन मनमोहन सिंह तो आज के हालत से वाकिफ है आज तो यह बात जगजाहिर है की पश्चिमी देश या फिर ये तीनो इस्लामिक देश भारत के दोस्त कतई नही है फिर क्यों मनमोहन सिंह जी इन्ही देशो को ज्यादा तवज्जो दे रहे है . इससे तो बेहतर हो की मनमोहन सिंह जी नेपाल ,भूटान और लंका को अपना मित्र बनाये ताकि भारत खुद  को आने वाली चुनोतियो से सुरक्षित रख सके और हर परिस्थिति से निपटने के लिए छोटे -छोटे देशो से मदद ले सके .....

मीडिया के निशाने पर हरियाणा की खाप पंचायते

मित्रो सभी को मेरी नमस्कार ………..
कुछ सालो से हरियाणा मीडिया के निशाने पर है पहले हरियाणा में एक ख़ास जाती पर दलित विरोधी होने के झूठी आरोप मढे गये . याद कीजिये गोहाना काण्ड क्या भूमिका निभाई थी इस मीडिया ने ……….किस तरह से जातिवाद की आग में घी डालने का काम किया था . फिर मिर्च्पूर काण्ड दोनों ही काण्ड भारतीय मीडिया ने अपनी विशेष कवरेज में मिर्च -मसाला लगाकर दिखाए जातिवाद की भावनाओं को भडकाने के लिए हर संभव प्रयास किया गया . मीडिया और उनके आकाओं का एक ही लक्ष्य है भारत को दलित सवर्ण में बाटना ताकि लोग अधिक से अधिक हिन्दू धर्म से नफरत करे और दुसरे धर्मो को कबूल करे ……….लेकिन वह ज्यादा हद्द तक हरियाणा में जातिवाद फैलाने में कामयाब नही हुआ और न ही हरियाणा में अब तक धर्मपरिवर्तन जोरो पर है . इन दोनों खबरों को बार -बार दिखाकर मीडिया एक बात साबित करने में लगा था की हिन्दुओ में दलितों पर अत्याचार होते है लेकिन उसका मकसद यही था की हरियाणा में भी अधिक से अधिक लोगो को इसाई या मुस्लिम बनाने के लिए उनमे हिन्दू सवर्णों के पर्ती नफरत की भावना भरी जाए . लेकिन हरियाणा में उसे इस मकसद में अधिक कामयाबी नही मिली ………..अब उसने दुसरा खेल -खेला ओनर किलिंग ………….इस खेल में वह हिन्दू पंचायतो को कमजोर करने के लिए उन पर ओरत विरोधी होने के आरोप लगता है चुकी हरियाणा की पंचायते संघठित है और जहा हिन्दू लोग संघठित होते है वहा अलगावाद की स्थिति कभी उत्पन्न नही होती .वैसे तो किसी भी राज्य में एक जाती की लड़की को दूसरी जाती के लड़के से विवाह करने में उसके माता पिता हिचकिचाते है कई बार बात खून -खराबे तक भी पहुच जाती है .लेकिन इस मीडिया ने हर बार हरियाणा की पंचायतो को ही दोषी ठहराया .जब की जातिवाद को फैलाने वाली पंचायते नही बल्कि भारत की राजनीती है जो पार्टी कैंडिडेट से लेकर मंत्री ,एस पि ,इन्स्पेक्टर , हवलदार चपरासी जातीय फायदे के अनुसार चुनती है . जातिवाद को ख़त्म करना सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन वह तो आरक्षण भी जाती देखकर देती है न की इंसान की आर्थिक दशा देखकर . जाती की भावना पैदा करने वाली तो हमारी सरकारे है जो आवेदन पत्र पर भी जाती लिखने का खाना बनाती है . अब ऐसे में पंचायतो का क्या दोष ………..जब देश के राजा ही जातिवाद को बनाये रखना चाहते हो अपने फायदे के लिए तो पंचायतो को तो उन्ही के नक़्शे कदम पर चलना ही होगा न . लेकिन इस मीडिया की हिम्मत उन लोगो से ये पूछने की तो होती नही की ये जातिवाद का खेल कब तक चलेगा बल्कि ये उन लोगो को तोड़ना चाहते है जो इस्लामिक क्त्त्रपन्थियो या इसाई मशीनरियो के मंसूबो को सफल नही होने देना चाहते . मित्रो …….यही मीडिया एक गोत्र में विवाह को जायज ठहराता है गोत्र्र यानी वंशावली जो सदियों से चली आ रही है . एक गोत्र के लड़का -लड़की यानी भाई -बहन लेकिन मीडिया और बुद्धिजीवी पता नही किस किस्म के है की भाई -बहन के विवाह को जायज मानते है . इंसान की सवतंत्रता मानते है मित्रो हमारा देश गोत्र्वाद को ज़ब भी मानता था जब भारत गुलाम था लेकिन अब तो हम आजाद है फिर क्यों अपने ही लोग भारत की संस्कृति को तोड़ने में लगे है .इसका सीधा सादा सा जवाब है ये बुद्धिजीवी ,मीडिया हिन्दू संस्कृति को तोड़ने के लिए कभी दलितों पर अत्याचार तो कभी हिन्दू धर्म में ओरतो से भेद -भाव के भद्दे आरोप लगाकर हिन्दुओ को अलग थलग करना चाहता है लेकिन जब यह इस गंदे मकसद में कामयाब नही होता  जो लोग इतना सब करने पर भी नही झुकते उन्हें पूरे भारत में बदनाम करने के लिए सब कुछ करता है चुकी यही उसके आकाओं  का आदेश है .इसी मीडिया को उस समय साप सूंघ जाता है जब कश्मीर में लडकियों के मोबाइल रखने कोलेज जाने पर पाबंदी लगाईं जाती है तब इस मीडिया और बुद्धिजीवी वर्ग को ओरतो की आजादी का ख्याल नही आता ..यही मीडिया और बुद्धिजीवी लोग उस समय कही नजर नही आते जब भारत  में लव जेहाद होता है भोली -भाली लडकियों को जल में फसाया जता है क्या यह ओरतो पर लडकियों पर अत्याचार नही .

शनिवार, 5 नवंबर 2011

‘ .कुछ ब्लोग्गरो और मीडिया का लक्ष्य हिन्दुओ को बदनाम करना

आजकल मिडिया वाले और कुछ ब्लोग्गर हिन्दुओ को बदनाम करने की कोई खबर नही छोड़ते ,उन्हें लगता है बुराई तो केवल हिन्दुओ में ही है या फिर दुसरे धर्मो की बुराइया  को दिखाते समय उस पर कुछ लिखते समय उनकी कलम काप जाती है .चुकी हिन्दू सहनशील ,मानसिक रूप से गुलाम ,हद्द से ज्यादा सेकुलर होते है उन्हें निशाना बनाने में मीडिया और ब्लोग्गरो को कोई दिक्कत नही आती . वह जमकर अपनी लेखनी और कैमरे का जलवा दिखाते है वैसे सबसे आसान तरीका है टीआरपी बढाने का ” हिन्दुओ को बदनाम करना “.
ताज़ा बहस छड़ी है ओनर किलिंग पर इस बहस में अक्सर निशाने पर हरियाणा का एक ख़ास समुदाय रहता है जो की देशभक्त समुदाय .कुछ बुद्धिजीवी किस्म के लोग मानते है की ये समस्या हिन्दुओ ,खासकर हरियाणा में है . वैसे तो मै ओनर किलिंग को गलत मानता हूँ लेकिन जिस तरह से मीडिया हरियाणा और बाकी जगहों के हिन्दुओ को ओनर किलिंग के नाम पर दकियानूसी ,रुढ़िवादी बताता है उस पर बहुत गुस्सा आता है .चुकी ओनर किलिंग केवल हिन्दुओ में ही नही है ………..याद हो काश्मीर की रजनीश शर्मा वाली घटना जिसमे रजनीश शर्मा ने एक मुस्लिम लड़की से विवाह किया था लेकिन कत्त्र्पन्थियो ने उसे मोत के घाट उतार दिया अब उस खबर को लिखने की हिम्मत किसी ब्लोग्गर की हुई नही और न ही किसी मीडिया की . पिछले कुछ सालो से मीडिया ,बुद्धिजीवी ब्लोग्गर सभी हिन्दुओ के दुशमन नम्बर एक बन्ना चाहते है सभी की बस एक ही इच्छा है कैसे हिन्दुओ को बदनाम कर सेकुलरिज्म में नम्बर वन का खिताब हासिल किया जाए . पिछले दस सालो से जिस तरह से बार -बार गुजरात दंगे को मसाला -तड़का लगा के दिखाया जा रहा है वह भी हिन्दू समाज की छवि खराब करने का षड्यंत्र है उससे भी घटिया बात उस दंगे के बाद और पहले दंगो में कितने ही हिन्दुओ ने अपनी जान -जमीन गवाई वह तस्वीर आजतक देश के सामने नही आई कारण मीडिया की दोगली और झूठी धर्मनिरपेक्षता .कभी हिन्दू त्योहारों को रुढ़िवादी ,पुराना ,अधविश्वास बताकर हिन्दुओ को बहकाया जाता है तो कभी हिन्दुओ पर नारी का सम्मान न करने का झूठा आरोप मढा जाता है . ऐसे ब्लोग्गर और मीडिया का एक ही लक्ष्य है हिन्दू समाज की नई पीढ़ी की नजरो में हिन्दू संस्कृति के पर्ती नफरत पैदा करना जिससे नई पीढ़ी अपने देश की जड़ो से कट जाए उसे हिन्दू धर्म में केवल बुराई ही नजर आये .चुकी यदि भारत का बहुसंख्यक वर्ग (खासकर युवा ) हिन्दू धर्म की अच्छाइयो  को जान लेगा तो वह भी राष्ट्रवादी हो जाएगा एसा अमेरिकी परस्त मीडिया कभी होने नही देना चाहता  . तभी हिन्दुओ को बार - बार यह  ...................................................                                                                                                                                                                                          अमेरिकी परस्त मीडिया रुढ़िवादी ,अन्धविश्वासी ,बर्बर बताने की कोशिश में लगा हुआ है चुकी उसे एसा लगता है एसा करने से हिन्दू हमेशा सोए रहेंगे . हिन्दू जाग्रति इस देश में वे होने नही देना चाहते तभी युवाओं को हिन्दुओ की बुराइया दिखा -दिखाकर हिन्दू धर्म के प्रति नफरत फ़ैलाने का प्रयास कर रहे है उससे भी दुःख की बात की सवतन्त्र ब्लोग्गर भी उन्ही का सहयोग कर रहे है . हर इंसान जो सेकुलरिज्म में अव्वल अंक प्राप्त करना चाहता है वह हिन्दुओ को बदनाम करने का कोई  मोका नही छोड़ता तभी आज का युवा भी सोचने लगा है की ‘ हिन्दू ही बुरे होते है ‘उसके दिमाघ में भी यह धरना पैदा होने लगी है लगता है  कुछ ब्लोग्गरो और मीडिया  का लक्ष्य हिन्दुओ को बदनाम करना  सफल हो रहा है .

शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

अन्ना एक खेल और खेलने की तैयारी में


श्री श्री रविशंकर यूपी दोरे पर है भ्रष्टाचार उनका मुद्दा है , बाबा रामदेव पंजाब की दस दिनों की यात्रा पर है ,आडवाणी जी का रथ आज मुंबई में है . ये सभी लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ जोर -शोर से हमला बोलने में लगे है .आजकल मिडिया में भी इन लोगो को जगह मिल रही थी .आडवाणी की रथयात्रा भी मुंबई पहुच रही है जाहिर है आज अडवाणी जी भी मिडिया की सुर्खियों में हो सकते थे . तेल की कीमते फिर बढ़ गयी है मीडिया और विपक्ष लगातार सरकार पर हमला तेज़ कर रहा था . एक जगह तो बीजेपी वालो ने दिग्विजय सिंह को काले झंडे दिखाए . दो तीन दिन से सरकार पर हमलो में तेज़ी थी ………सुबह उठा तो हर चैनल पर एक खबर देखी……. अन्ना ने मोन वर्त तोडा . मै समझ नही पा रहा था की ये बड़ी खबर क्यों है इस देश में हजारो लोग मोन वर्त रखते है उन्हें तो कभी टीवी पर नही दिखाया जाता ,पिछले बारह दिनों से गौ माता पर हो रहे अत्य्चारो को लेकर एक साधू महाराज कुरुक्षेत्र में अनशन पर बैठे है उन्हें तो इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने कभी नही दिखाया . ऐसे माहोल में अन्नागान हो रहा है जब देश मे आम आदमी के ऊपर महंगाई का बोझ और बढाया जा रहा है . अन्ना हजारे राजघाट पर बोल रहे थे भारत माता की जय ……मै समझ नही पा रहा हूँ की जब अन्ना से सवालों -जवाबो का सिलसला शुरू होता है तब वे मोन पर चले जाते है और जब साधू संत भ्रष्टाचार के विरोध में उतरते है तो वे अचानक अपना मोन तोड़ देते है भारत माता की जय के नारे लगाने लगते है …..उनके भारत माता के जय के नारों में मुद्दे कही खो जाते है जैसे पिछली बार जब वो क्रांतिकारी बनकर सामने आये तो शीला की कुर्सी बच गयी ,कोम्न्वेल्थ की बहस अन्ना के आन्दोलन की टीआरपी में खो गयी . अब फिर एक बार भारत की जनता के बीच देश के नेता आडवाणी जाने -माने साधू संत जा रहे है अलख जगाने की कोशिश कर रहे है .लेकिन फिर से अन्नागान मीडिया कर रहा है और अन्ना फिर से आन्दोलन की बाते कर रहे है .लगता है जो गुस्सा जनता अब महंगाई को लेकर सरकार पर उतरने वाली थी वाही जनता अब अन्ना के भारत माता के जय के नारों में ,कैंडल जगाओ भ्रष्टाचार भगाओ जैसे तरीके अपनाएगी .लगता है मुद्दे फिर से कही गुम हो जायेंगे इस बार भी .लेकिन इस सबके पीछे अन्ना कोन सा खेल -खेल रहे है यह समझना जरूरी है जहा तक मेरा अनुमान है वह एसा इसलिए कर रहे है .
१ उन्हें लगता है आडवाणी ,बाबा रामदेव ,श्री -श्री , मुरारी बापू उनसे लोकप्रियता में कही आगे निकल जायेंगे .
२ जिस अमेरिकी परस्त मीडिया ने इस अन्ना आन्दोलन को सफल बनाया था उसे लग रहा है की अब यदि अन्ना को आगे नही किया गया तो देश की साधू संत भारत की जनता को जगा देंगे
३ यदि अन्ना ने आन्दोलन नही किया और साधू -संतो की लोकप्रियता बढती रही तो आने वाली सरकार जिसकी भी हो उस सरकार से अमेरिका जैसे देश अपना हित नही साध सकेंगे लेकिन अन्ना का आन्दोलन हुआ तो श्रेय मीडिया के आकाओं को भी जाएगा
इसलिए अब अन्ना हजारे ने तेज़ी से अपना मोन वर्त तोड़ दिया है चुकी वे अच्छी तरह जानते है बेशक बाबा लोग पूरा भारत घूम ले लेकिन उनका एक छोटा सा ब्यान भी मीडिया की सुर्खिया होगा . बेशक बाबा लोग भारत की जनता को जगा दे लेकिन मीडिया में गान तो अन्ना का ही होगा . चुकी हिन्दू साधू संतो की अच्छाई तो ये मीडिया देश को बताने से रहा ऐसे मे फिर से एक बार साधू संतो को समाज में ज्यादा तवज्जो न मिले इसलिए फिर से प्रायोजित ढंग से एक और आन्दोलन छेड़ने की बाते हो रही है . जिसमे गाव -गाव राज्य -राज्य जाने वाले साधू – संतो से ज्यादा तवज्जो मात्र एक नारा देने वाले अन्ना हजारे को दी जाएगी और फिर से अन्ना हजारे को संत बना दिया जायेगा …….जिसमे न मुद्दे होंगे और न ही कोई देशभक्ति बस मीडिया की चका चोंध होगी और उसमे गुमराह होती जनता. अन्ना और मीडिया यह खेल तभी खेलते है जब भारत की जनता जाग रही होती है  अब अन्ना एसा इसलिए भी कर सकते है चुकी उन्हें अपनी लोकप्रियता का ग्राफ संभलना है और इसलिए भी की उन्हें किसी क फायदा पहचाना है . 
नोट-लेख अनुमानित
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गुरुवार, 27 अक्तूबर 2011

क्या अन्ना के आन्दोलन के पीछे अमेरिका है ? (एक अनुमान )

पिछले दिनों लीबिया का तानाशाह कर्नल गद्दाफी मारा गया उसकी मोत की तस्वीर जब हिलेरी कलिन्टन के पास पहुची उस  समय वे पकिस्तान में थी तस्वीर देखते ही झट से बोली .............वाओ . जैसे कोई आतंकवादी मारा गया हो  या फिर  अमेरिका अमेरिका बड़ा दुश्मन .........लीबिया का सर्वोच्च पद गरहन करते ही गद्दाफी ने अमेरिका को झटका दे दिया था  एस्सो आयल कम्पनी जो की अमेरिका में लम्बे समय से तेल उत्पादन का काम कर रही थी . सर्वोच्च पद हासिल करते ही गद्दाफी ने तेल के उत्पादन पर नियन्त्रण करना शुरू कर दिया .यानी अमेरिका से दुश्मनी पहले ही कर ली थी गद्दाफी ने . फिर  तो खुश होना ही था हिलेरी या ओबामा को ..........लेकिन पिछले ६ माह में जो क्रान्ति लीबिया में हुई उसमे अमेरिका का ख़ास योगदान रहा लीबिया की क्रान्ति में भले ही अमेरिकी पैदल सेना का योगदान न रहा हो लेकिन मित्र देश ब्रिटेन ,फ्रांस ने पूरी मदद की .इन देशो ने हवाई हमले करके अय्याशा तानाशाह को उसके महल से खदेड़ने में विद्रोहियों की मदद की .३० मार्च २०११ को अमेरिका के एक अखबार लांस एंजिल्स टाइम्स ने लिखा "सूचनाओं के संकलन के लिहाज से सिआईए वहा मोजूद है .लेकिन विद्रोहियों को हथियार देने के बारे में न तो हाँ कर सकते  है और न ही ना  .इसी खबर के साथ रायटर ने एक और खबर प्रसारित की थी की अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक गुप्त अनुमति पात्र हस्ताक्षर किया है जिसमे लीबिया के विद्रोहियों को मदद करने की अनुमति दी गयी है . लेकिन मिडिया ने इन दोनों खबरों को जनता के सामने पेश नही किया और गदाफी को एक तानाशाह ,अय्याश दिखाने की कोशिश की गयी . जाहिर है मीडिया का आका अमेरिका है और उसे उसी के इशारे पर चलना होगा ..................
चलिए अब बात करते है अन्ना हजारे की ..
मित्रो आज से दो साल पहले देश में इस शख्स को कोई जानता भी नही था ,उस समय इस देश में केवल एक ही शक्स भर्ष्टाचार के प्रति आवाज़ बुलंद कर रहा था वह थे बाबा रामदेव .बाबा रामदेव के मुद्दों में पूर्ण सवराज ,सव्देशी शिक्षा चिकित्सा ,काला धन ,भ्रष्टाचारियो को फ़ासी जैसे मुद्दे थे . उस समय पूरे देश में एक अलख सी जाग गयी थी भ्रष्टाचार को लेकर और काले धन पर भी बाबा रामदेव ने सरकार पर दबाव डाला था . जब सरकार की चूल्हे हिल रही थी तब खतरा अमेरिका और ब्रिटेन सविज्र्लैंड जैसे देशो को भी था . चुकी  इस देश में यदि काला धन आ गया तो उनके देश की अर्थवयवस्था का क्या होगा जिनकी अर्थवयवस्था हमारे देश के पैसे से चल रही है . ठीक उन दिनों में जब बाबा रामदेव का आन्दोलन चरम पर था उनकी लोकप्रियता देशभर में थी  ठीक उस समय एक शख्स मिडिया में आता है और अनशन करने की बात करता है वह जो कुछ बोलता है मीडिया उसे एक हीरो की तरह प्रस्तुत करता है .जिस दिन वह जन्तर मन्त्र पर अनशन करता है उस दिन जो भीड़ बाबा रामदेव के साथ थी उस भीड़ को उस जनता को अन्ना के साथ लाने की भरपूर कोशिश मिडिया द्वारा की जाती है यानी आन्दोलन को बाटने की कोशिश और जनता को भी . उसके कुछ माह बाद बाबा रामदेव का सत्यग्रह होता है तब बाबा से यही मिडिया उल - जलूल  सवाल पूछता है और उस साधू पर ऊँगली उठाता है जो देश के लिए भरष्ट राजनितिज्ञो से लड़ रहा है .इस आन्दोलन में सरकार और पुलिस का रवैया भी कुछ एसा ही होता है गोली ,लाठी डंडे सभी कुछ चलाकर मंच को तहस  -नहस कर दिया जाता है और बाद में यही मीडिया उन पर नारी के वेश में भागने के भद्दे आरोप लगता है होना तो याह चाहिए था ये मीडिया सरकार से इस बर्बरता पर सवाल पूछता खैर ............... अब एक दूसरा अध्याय शुरू होता है वही शक्स जिसे भारत की जनता जानती नही जो कभी भारत के ज्यादातर गावो -शहरो में गया नही है उसे महात्मा कहा जाता है वह अनशन पर बैठता है इस बार सरकार का रवैया भी अलग होता है और पुलिस का भी और मीडिया द्वारा तो यह सारा खेल रचा गया था .जब वह शख्स अनशन पर बैठता  है तब सरकारी घोटाले सामने आ रहे होते है बीजेपी सडको पर होती है शीला का इस्तीफा मांग रही होती है .लेकिन जिस समय अनशन शुरू होता है सभी घोटाले दब जाते है जैसे इस शक्स ने सरकार को एक संजीवनी दी हो , काले धन से ध्यान हट अब बस एक जन्लोक्पाल पर बात अटक जाती है . इस पूरे आन्दोलन में अन्ना एक हीरो बन जाते है जनता सडको पर ,सांसदों का घेराव होता है . पूरे देश में लोग सडको पर लेकिन अचानक खबर आती है की अन्ना अनशन तोड़ रहे है मिडिया फिर से इसे एक बड़ी जीत के तोर पर दिखाता है अन्ना को गांधी की तरह दिखाने की कोशिश होती है . लेकिन जनता को अँधेरे में रख दिया जाता है सरकार ने अन्ना की कोई भी ठोस मांग नही मानी होती लेकिन फिर भी इसे एक जीत मिडिया द्वारा अन्ना द्वारा बताया जाता है . क्या ये जनता से सीधा धोखा नही था उस जनता से जो आजादी के कई सालो बाद संघठित  होकर देश के लिए कुछ करने को निकली थी ?लेकिन उसे धोखा ही मिलता है ...........उससे भी बड़ी बात इसे मिडिया और अन्ना दोनों द्वारा बड़ी जीत बताना .........इस पूरे आन्दोलन से दो सवाल पैदा होते है क्या यह आन्दोलन अमेरिकी रणनीति का एक हिस्सा था .क्या इस अन्ना आन्दोलन का उद्देश्य और अन्ना को बेवजह एक हीरो बनाना बाबा रामदेव के आन्दोलन की धार को कम करना था .चुकी जिन मुदो की बात बाबा रामदेव कर रहे थे काला धन वापस लाओ , सव्देशी शिक्षा ,चिकित्सा ,और पूर्ण सवराज . इन सबमे अमेरिकी हितो को धक्का लगना तय था .
१ काला धन -काला धन भारत में आ जाने से पश्चिमी देशो की अर्थवयवस्था को धक्का लगना और भारत का विश्वपटल पर  एक मजबूत अर्थवयवस्था वाला  देश बन जाना .
२ सव्देशी चिकित्सा - यदि सव्देशी चिकित्सा इस देश में लागू हो गयी तो पश्चिमी मुल्को की दवाई कम्नियो को भारी नुक्सान होगा चुकी उनके लिए भारत एक बड़ा बाजार है .
३ सव्देशी शिक्षा -यदि सव्व्देशी शिक्षा लागू हो गयी तो भारत के लोगो में हिंदुत्व के प्रति आस्था बढ़ेगी और भारत के लोगो का स्वाभिमान जाग जाएगा . जिससे अमेरिका या अन्य पश्चिमी देशो को भारत में धर्मपरिवर्तन करना मुश्किल होगा और  हिन्दुओ को दलित-सरवन के नाम पर बाटना  भी 
४ पूर्ण सवराज - यदि भारत में पूर्ण सवराज हुआ तो अमेरिका या कोई भी अन्य देश यहाँ अपनी मनमानी नही कर पायेगा 

इनमे से किसी भी मुद्दे को अमेरिका या कोई भी पश्चिमी देश नही चाहता और जब बाबा रामदेव की वजह से उसे इस देश में लोगो का स्वाभिमान जागता दिखा तभी उसने मिडिया की मदद से (जो की अमेरिका के इशारे पर ही चलता है ) एक ऐसे शख्स को हीरो बैठे -  बैठाए हीरो बना दिया जिसके मुद्दे बहुत ही छोटे थे . इसी संदर्भ में ओबामा द्वारा अन्ना की तारीफों के पूल बांधे गये ( पता नही एसा अन्ना ने क्या कर दिया ? .चुकी अन्ना की वजह से काला धन का मुद्दा गर्त में चला गया और बाबा रामदेव की लोकप्रियता भी कम हुई यानी अब अमेरिकी हितो में अडंगा लगाने वाला कोई नही बचा  .........
  
इन सबमे अन्ना को हीरो बनाने की अमेरिका की दो वजह हो सकती है एक तो उसे लग रहा है की अगला शासन बीजेपी का होगा और भारत में फिर से हिन्दुत्त्व का राज होगा सत्ता होगी तभी वह अन्ना को मीडिया की मदद से खड़ा कर रहा है चुकी वह अन्ना को जनता की नजर में बीजेपी से बेहतर साबित करना चाहता है .इससे उसे दो फायदे होंगे 
१ बीजेपी के वोट बटेंगे और बीजेपी सत्ता में नही आएगी 
२ फिर से वही सरकार बनेगी धर्मनिरपेक्ष जिसमे अमेरिकी हितो की अनदेखी नही हो सकती 
और अगला चुनाव होगा अन्ना vs  कोंग्रेस यानी धर्मनिरपेक्ष vs  धर्मनिरपेक्ष ..............यानी जो लड़ाई लीबिया में अमेरिकी मदद से चली चुकी गदाफी भी अमेरिका के हितो में एक बड़ा रोड़ा था वही लड़ाई इस देश में अमेरिका ने अन्ना की मदद से चलाई बाबा रामदेव के आन्दोलन का तोड़ धुंध कर जिससे उसके हित सुरक्षित रह सके और भारत को विदेशी ऐसे ही लूटते रहे ........
नोट - लेख अनुमानित   

बुधवार, 26 अक्तूबर 2011

मिडिया रामदेव आडवाणी से नाराज और अन्ना पर मेहरबान क्यों ?

जैसे ही एल के आडवाणी ने अपनी यात्रा की घोषणा की थी तब से मीडिया और कुछ ब्लोग्गरो द्वारा उन पर तरह -तरह के आरोप लगने शुरू हो गये थे .किसी ने कहा वह पीएम बन्ने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रहे है ,किसी ने कहा   उनकी यात्रा सफल नही होगी ,किसी ने कहा  आडवाणी अवसरवादी है तो किसी ने उन्हें साम्प्रदायिक करार दिया .यहाँ तक की उनकी पार्टी के नेता और संघ भी शुरुआत में उनसे नाराज दिखे .लेकिन बाद में आडवाणी को संघ का समर्थन मिल ही गया .इस विरोध में बीजेपी के नेता भी शामिल थे .लेकिन असली सवाल यह उठाता है की इस देश में भ्रष्टाचार ,कला धन ,गरीबी ,आतंकवाद जैसे मुद्दे उठाने वाला कोन नेता है .बाबा रामदेव ने इस मुद्दे को उठाया था लेकिन पूरे देश ने उनका हश्र अपनी आँखों से देखा .वाही अन्ना हजारे ने भी भ्रष्टाचार और जन्लोक्पाल के मुद्दे पर मीडिया की मदद से भीड़ को बुलाया लेकिन हुआ क्या ?जन्लोक्पाल बिल अभी तक लटक रहा है बेवजह देश की ऊर्जा बेकार गयी ..........अब एक बार फिर अन्ना सरकार को अनशन करने धमकी दे रहे है यानी फिर से मीडिया की मदद से अनशन उसके बाद भी सरकार मान जायेगी कोई गारंटी नही ?
जब की एक ८४ साल का बजुर्ग देश के हार राज्य ,गाव ,शहर में जा रहा है जनता से जुड़ने की कोशिश कर रहा है रथयात्रा के माध्यम से काला धन ,भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भारत के  लोगो में अलख जगाने की कोशिश कर रहा है लेकिन यह बात कुछ लोगो को हजम नही हो रही कई लोग अडवानी पर संघठित होकर तरह -तरह के आरोप लगा रहे है .इसी लोगो से मै पूछता हूँ की क्या अब इस देश में अन्ना और उनकी टीम को ही अनशन , यात्राए ,विरोध करने का हक़ रह गया है .बाबा रामदेव यदि सत्यग्रह  करे तो उस सत्यग्रह की मीडिया में कोई कवरेज नही ,यदि बाबा रामदेव झांसी से स्वाभिमान यात्रा की शुरुआत करे तो मीडिया भी मीडिया केवल प्रारम्भ में ही कुछ झलकिया दिखाकर अपना कर्तव्य पूरा कर लेता है .लेकिन अन्ना यदि सरकार कोई छोटी -मोटी  टिका टिप्पणी भी करदे तो वह बड़ी खबर बन जाती है ,अन्ना यदि ब्लॉग लिखे तो भी मीडिया उसे खबर बना देता है .आखिर हमारा मीडिया एल के अडवानी -बाबा रामदेव से इतना नाराज और अन्ना पर इतना मेहरबान क्यों है ?आखिर मीडिया का ये दोगला रवैया क्यों है ?आखिर किसलिए अन्ना को जनता की नजर में एक हीरू की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है ?आखिर किसलिए अन्ना हजारे को एक भगवान बनाने की कोशिश हो रही है मीडिया द्वारा ? मेरा विरोध अन्ना से नही है .......मेरा मन्ना है लोकतंत्र में सभी को शांतिपूर्वक विरोध ,रैली या अनशन करनी का अधिकार है लेकिन जब बार -बार अन्ना को आडवाणी और रामदेव से मजबूत दिखाया जता है तब लगता है कही न कही  कोई षड्यंत्र जरूर रचा जा रहा  है .जब की अन्ना की टीम के दो -दो सदस्य काश्मीर पर दी गए बयानों पर फसे हुए है वह ब्यान न तो मीडिया ने दिखाए और न ही अन्ना से इस बारे में कोई सवाल पूछे गये बल्कि  इस तरह के बयानों को अभिवयक्ति की आजादी मीडिया द्वारा बताने की कोशिश की गयी .तब मीडिया और अन्ना पर संदेह होना लाजिमी है .......
वैसे तो देशहित में जो भी लोग सामने आये उन सभी का समर्थन करना चाहिए न की किसी एक ही व्यक्ति को सविधान और देश से उपर मान लिया जाना चाहिए और न ही केवल उसी  की बातो को देशहित से उपर मान लेना चाहिए और न ही बाकियों को हाशिये पर धकेल दिया जाना चाहिए .जैसे सचिन करिकेट से संन्यास ले लेंगे तब करिकेट को भगवान भरोसे नही छोड़ दिया जाएगा तब भी भारत में अच्छे -अच्छे खिलाड़ी पैदा होते रहेंगे . वैसे ही अन्ना हजारे का आन्दोलन सफल नही होगा तो जनता और मीडिया को अडवाणी या फिर बाबा रामदेव के आन्दोलन को सफल करने की मुहीम में जुट जाना चाहिए .

सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

कब तक ?

धर्मपरिवर्तन
आतंकवाद
गो ह्त्या
घुसपैठ
बंगला देशी घुसपैठ
सेकुलरिज्म का नंगा नाच
तिरंगे का अपमान
संस्कृति का अपमान
भ्रष्टाचार ,भूख ,गरीबी
सोने जैसी धरती mere देश की
लेकिन देश की आधी आबादी
भूखी ,नंगी
कब तक आखिर कब तक ?
हर रोज आतंक में
हर रोज दंगो में
आखिर मरू तो मै कब तक ?
भारत माता की जय का नारा लगाऊ तो
साम्प्रदायिक
अपना कोई त्यौहार मनाऊ तो
रुढ़िवादी
आजादी कैसी आजादी
झूठी आजादी
मात्र चार पांच हजार लोगो की आजादी
लूटने की ,जमीन अधिग्रहण की ,बोलने की
बाकी देश गुलाम , कैसी है ये आजादी ?
एसी आजादी किसके लिए
कुछ कोर्प्रेट परिवारों के लिए
कुछेक राजनीतिज्ञों के लिए
कुछेक जयचंदों के लिए
फिर मेरी क्या ओकात है इस आजादी में
मै कुछ बोलू तो खुलकर नही बोल पाता
देश हित की बाते साम्प्रदायिक
देश विरोधी बाते अभिव्यक्ति की आजादी है
आखिर कब तक ?
कब तक सोचु मै सुरक्षित हूँ , मेरा घर सुरक्षित है
कब तक मतलबी ,स्वार्थी ,लालची ,बन कर जीता रहू
कब तक देश को लुटते ,विभाजित होते देखता रहू
एक मूकदर्शक की तरह
कब तक चुप रहू ?
गुरु गोबिंद सिंह ,भगत सिंह ,वीर सावरकर
भी तो एसा सोच सकते थे
चुप रह सकते थे
लेकिन लड़े वो देश की खातिर
लेकिन मै क्या कर रहा हूँ ?
कब तक सिर्फ अपने हित के बारे सोचता रहू
कब तक ?

आडवाणी ही बीजेपी को सत्ता तक पंहुचा सकते है

भारतीय जनता पार्टी के जिन नामों को पूरी पार्टी को खड़ा करने और उसे राष्ट्रीय स्तर तक लाने का श्रेय जाता है उसमें सबसे आगे की पंक्ति का नाम है लालकृष्ण आडवाणी । लालकृष्ण आडवाणी जी को कभी पार्टी का कर्णधार कहा गया तो कभी लौह पुरुष और कभी पार्टी का असली चेहरा। कुल मिलाकर पार्टी के आजतक के इतिहास का अहम अध्याय हैं लालकृष्ण आडवाणी। महात्मा गांधी के बाद अडवानी जी ही जननायक हैं जिन्होंने हिन्दू आंदोलन का नेतृत्व किया और पहली बार बीजेपी की सरकार बनवाई । हिन्दुओ में नवचेतना लाने वाले भी अडवानी ही है . लाल कृष्ण अडवानी तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर रह चुके है . 1984 में केवल दो सीटों वाली पार्टी को 1999 में 182 सीटों तक पहुँचाने का श्रेय आडवाणीजी को ही दिया जाता है।आडवाणी अपने हिन्दू राष्ट्रवाद की अवधारणा के दम पर भाजपा को नब्बे के दशक में राष्ट्रीय स्तर पर ले आए और अयोध्या आंदोलन के नायक बने। लेकिन २००५ की पकिस्तान यात्रा और एक ब्यान ने उनकी छवि को काफी नुक्सान पहुचाया .संघ ,मिडिया ,तमाम तरह के बुद्धिजीवी उनके योगदान को भुलाकर उन्हें कोसने लगे . कुछ ऐसे हालत भी पैदा कर दिए गये की लोग मोदी में नेत्रित्व क्षमता देखने लगे और शायद आज भी देख रहे है लेकिन वह बीजेपी के कट्टर वोटर है पार्टी में ऐसे लोगो की कमी भी नही है जिन्हें लगता है मोदी का चेहरा ही बीजेपी को सत्ता तक पंहुचा सकता है ऐसे लोग एक व्यक्ति (मोदी) को पार्टी से ऊपर मानने की भारी भूल कर रहे है …..लेकिन वह सही नही है नही है मोदी को पीएम घोषित करके बेशक बीजेपी अपना कट्टर हिंदुत्व का वोट ले सकती है परन्तु आम वोट नही ले सकती जो सत्ता के शीर्ष पद तक पहुचाता है सता में आने के लिए बीजेपी को किसी ऐसे नेता की जरूरत है जो केवल एक राज्य से नही पूरे देश से जुडा हो जिसमे आगे भी जमीन से जुड़ने की क्षमता हो जिसके पास मुद्दे हो ,जो दूरदर्शी हो ,जिसने राजनीती की उबड खाबड़ को देखा हो ,जो जरूरत पड़ने पर बाकी पार्टियों से गठबंधन कर सके . ऐसे नेता बीजेपी में केवल एक ही है वह है आडवाणी ….जो न केवल रथयात्रा के माध्यम से उन राज्यों में जा रहे है जहा बीजेपी पहले से सता पर काबिज़ है बल्कि उन राज्यों के लोगो को भी यह अहसास करा रहे है की केवल बीजेपी ही सुशासन दे सकती है जहा बीजेपी की सरकारे नही है . जनचेतना यात्रा करके आडवाणी जी ने न सिर्फ खुद को एक राष्ट्रिय नेता के रूप में उभारा बल्कि पार्टी में भी एक नई जान फुक दी है . तेलंगाना ,असम ये दोनों राज्य ऐसे है जहा बीजेपी की सरकारे नही है लेकिन लोगो का भारी समर्थन मिल रहा है जहा से आडवाणी गुजरे सडको पर पैर रखने की जगह तक नही बची . यह रथयात्रा ही बीजेपी को फिर से सत्ता दिला सकती है जिसमे न सिर्फ आडवाणी जी बल्कि रविशंकर प्रसाद , जेटली ,सुषमा ,गड्कारी सभी नेता जनता के बीच पहुच रहे है उन्हें अपने विचारों से अवगत करा रहे है जनता को एक अहसास karaa रहे है की विपक्ष नाम की कोई चीज़ बाकि है इस देश में . यही यात्रा राम रथ यात्रा की तरह ही बीजेपी को सत्ता तक पहुचायेगी न की नरेंद्र मोदी की अमेरिका द्वारा की गयी मात्र एक तारीफ .