शनिवार, 23 जनवरी 2010
आज का निर्माता फिल्म बनाता है केवल मुनाफे के लिए
फिल्मे समाज का दर्पण होती है जो हमें हमारे समाज की बुराई और अच्छाई से रूबरू करती है . लेकिन भारतीय फिल्मे अपने पथ से भटक रही है . फिल्म निर्माता अब एसी कहानी परदे पर नही उतारते जो समाज से जुडी हो अथवा वह हमें कुछ सन्देश दे सके . आज का निर्माता फिल्म बनाता है केवल मुनाफे के लिए और भारतीयों को उलझाये रखता है मनोरंजन के मसाले में और कुछ निर्माताओ का एजेंडा तो अश्लीलता दिखाकर मुनाफा कमाना होता है . भारतीय समाज को अपने इतिहास से केवल फिल्म के जरिये ही रूबरू करवाया जा सकता है सभी की गीता , राम चरितमानस , वेद शास्त्रों , अथवा गुलामी से जुडी अथवा किसी भी एतिहासिक पुस्तक तक पहुच नही होती . कारण बहुत हो सकते है समय या हमारा अपनी संस्कृति के पर्ती गंभीर न होना . लेकिन फिल्म देखने के लिए भारतीय समय निकाल ही लेते है . अगर हम बोलीवूड की फिल्मो को शुरुआत से अंत तक देखे तो कुछेक फिल्मो को छोडकर सभी फिल्मो में मनोरंज़न का तड़का ही मिलता है . कोई भी फिल्म हमारे इतिहास से या फिर गुलामी काल में हुए हम पर अत्याचारों को पर्दर्शित नही करती . मुगले आजम फिल्म बनी उसमे एक सुल्तान का अपनी बेगम के प्रति प्यार दिखाया गया जोधा अकबर बनी उसमे भी अकबर को भारतीयों के प्रति नर्म दिखाया गया . इसी तरह एक फिल्म बनी ' चक दे इण्डिया ' उसमे भी एक मुसलमान की ईमानदारी दिखाई गयी . लेकिन कभी किसी फिल्म निर्माता ने ओरंगजेब के अत्याचारों को परदे पर क्यों नही उतारा . कभी मुहम्मद गोरी , चंगेज खान की भारतीयों के प्रति कट्टरता को परदे पर क्यों नही उतारा जाता .विदेशो की चमक धमक तो दिखाई जाती है लेकिन भारत में बढ़ रहा भ्रष्टाचार नही दिखाया जाता . बड़ी बड़ी इमारते तो दिखाई जाती है लेकिन उनके तले दबे कुचले लोग नही दिखाए जाते . किसी भी जात की महानता तो दिखाई जाती है लेकिन भारतीयों में फ़ैल रही जाती के प्रति अज्ञानता नही . नई पीढ़ी को बरगला कर अमिताभ , शाहरुख़ , सलमान , आमिर को भगवान बनाना कहा तक उचित है . युवाओ को लड़की को दोस्त बनाने अथवा पटाने के तरीके तो बताये जाते है लेकिन देश के प्रति उनकी जिम्मेदारी नही बताई जाती . पैसे की अहमियत तो गिने जाती है लेकिन देश की अहमियत भुलाकर .यही है हमारा दर्पण जो समाज की बुराइयों को दीखाने का दावा करता है .
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सब तुष्टीकरण है, और ऊपर से वो तरह तरह के हथकंडे हिट करने के लिए !
जवाब देंहटाएंdharm ka chasma utaar kar agar likhte to mai aap ki baat ka samarthak tha
जवाब देंहटाएंsaadar
praveen pathik
9971969084
yah kisi dhrm ki bat nhi hai lekin etihas me kuch sultan achhe hue lekin bure bhi hue or desh ko khub luta gya yah jimmedari bhi to inhi ki banti hai
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