मित्रो जिस समय अन्ना ने आन्दोलन किया तो कुछ लोगो ने ये गलत फहमी पाल ली की ये आदमी महात्मा है . ये भगवान है जैसे करिकेट का भगवान सचिन है , बोलीवूद का भगवान् अमिताभ बच्चन है , वैसे ही अन्ना भी भगवान है इस देश का . तीन -तीन बार अनशन करने और देशवासियों से मोमबत्तिया जग्वाने के बाद भी नतीज़ा वाही ढाक के तीन पात . लेकिन मित्रो सच्चाई तो यह है की भर्ष्टाचार के मुद्दे पर बाबा रामदेव जी ने अपनी सालो की तपस्या से इस देश में अलख जगाई है . लेकिन रातो -रात मीडिया ने अन्ना हजारे को भगवान बना कर रख दिया और देश की जनता का ध्यान काले धन से हटकर अन्ना के गुणगान में लगा दिया लेकिन फिर भी देश के नागरिको को एक उम्मीद बंधी की अन्ना और उनकी मंडल इस देश में जन्लोक्पाल पास कराकर रहेंगे . लेकिनन पात है . मित्रो अन्ना हजारे और उनकी मदली ने देश को बेवकूफ बनाने के सिवा कुछ नही किया जिस समय यह देश कला धन मांग रहा था ठीक उसी समय ये लोग जन्लोक्पाल मांगने लगे . देश का ध्यान सम्पूर्ण मुद्दों से हटाकर एक जन्लोक्पाल पर अटका दिया गया . पहले अनशन में इन लोगो ने जीत के ढोल पीट दिए लेकिन इनके हाथ उस समय कुछ भी नही लगा था फिर इन लोगो के परती जब देश की जनता जागरूक होने लगी तब ये हिसार विरोध को निकल पड़े और जब इनकी वहा भी आलोचना हुई तो भी इन्होने खुद को मीडिया में बनाए रखा . अब इन्ही लोगो ने और सवयम अन्ना हजारे जी ने बड़े लम्बे छोड़े भाषण दिए की हम जेल भर देंगे लाठिया खाएंगे लेकिन जब अनशन का समय आया तो इन्हें दिल्ली की सर्द हवाओं से डर लगने लगा और ये भाग खड़े हुए मुंबई में . कभी केजरीवाल साहब गये खुद को धर्मनिरपेक्ष साबित करने उलेमाओं के पास इस्लामिक टोपी भी पहनी और संघ से दूरी भी बनाई . लेकिन भीड़ नही जुट पायी ये लोग बीच में ही अनशन छोड़ कर आ गये जेल भरने का भी प्रोग्राम कैंसिल . इसलिए अब इन लोगो को चाहिए की ये देश के लोगो को बेवकूफ न बनाये और बाबा रामदेव का साथ दे खुद को हीरो की तरह पेश करने के चक्कर में ये लोग पहले ही देश का ध्यान असल मुद्दों से भटका चुके है .
जो विचलित न कर दे वह स्त्री नहीं है
जवाब देंहटाएंऔर जो विचलित हो जाए वह पुरूष नहीं है
लिखते जाओ और लिखते ही चले जाओ
नया वर्ष यही कहता है मुझसे और आपसे