चिट्ठाजगत
www.blogvani.com

सोमवार, 28 दिसंबर 2009

देश के नागरिक ही देश की जड़ो को खोखला कर देते है .

आज कल नोजवानो के शोक बदल गये है . वह अपने कर्तव्य से भटक रहे है सच बात तो यह है हर भारतीय अपने कर्तव्य से भटक रहा है . युवाओ के शोक नई मोटर bike और मोबाइल महंगे कपड़ो और ज्यादा पैसो वाली नोकरी तक ही सिमित है . वह जीवन भर अपने आपको साधन संपन्न करने पर ही बल देता है .और सम्पूर्ण लाइफ को मनोरंजन तक ही सिमित रखता है . आज का युवा इतना स्वार्थी होता जा रहा है की उसे देश के प्रति कर्तव्य नजर नही आता . अपनी पर्सनैलिटी और पैसो की और आकर्षण रहता है .


साम दंड भेद किसी भी तरीके से केवल रुपया . किसी भी भारतीय में रुपया कमाने की चाहत अधिक हो रही है और चाहत में लोग अपने उसूलो से भी समझोता कर लेते है . भारत में लोग बहुत जल्दी बिक जाते है अगर एसा नही होता तो क्या भारत गुलाम होता . वही चाहत आज भी है ख़ुद के स्वार्थ साधने की इसके लिए चाहे देश को कितनी भी हानी हो . लेकिन हार इन्सान आमिर बनना चाहता है . ख़ुद को विकसित तो करना चाहता है लेकिन दुसरो के घरो में बारूद लगाकर . जहा इस देश में देश के लिए देश के लोगो के लिए क़ुरबानी देने वाले लोग हुए है वही हमारे ही देश में इसी देश में ख़ुद के निजी स्वार्थो के लिए देश को ताक पर रखने वाले लोग भी हुए है . लेकिन वर्तमान में स्वार्थी लोगो की जनसँख्या बढ़ रही है और देशभक्तों की संख्या घट रही है . और यही से भारत कमजोर हो जाता है देश के नागरिक ही देश की जड़ो को खोखला कर देते है . बढ़ रहा भर्ष्टाचार भी पैसे की भूख और निजी स्वार्थ के कारण ही फ़ैल रहा है .




4 टिप्‍पणियां:

  1. जब किसी समाज में नई पीढ़ी को संस्कार देने का समय नहीं होता है तो यही होता है (शब्दपुष्टि करण हटा दें तो अच्छा रहेग)

    जवाब देंहटाएं
  2. काजल भाई सही कह रहे हैं..


    यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

    हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

    मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

    नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

    आपका साधुवाद!!

    नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!

    समीर लाल
    उड़न तश्तरी

    जवाब देंहटाएं
  3. sameer lal jee @ mai bhi yhi chahta hoo hindi chithhe me or log jod skoo apka sujhav achha hai dhnywad

    जवाब देंहटाएं
  4. sameer lal jee or kajal jee ko nav varsh ki hardik badhai

    जवाब देंहटाएं

हर टिपण्णी के पीछे छुपी होती है कोई सोच नया मुद्दा आपकी टिपण्णी गलतियों को बताती है और एक नया मुद्दा भी देती है जिससे एक लेख को विस्तार दिया जा सकता है कृपया टिपण्णी दे