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मंगलवार, 15 दिसंबर 2009

क्या भारत में अश्लील सामग्री ज्यादा पसंद की जाती है


क्या भारत में अश्लील सामग्री ज्यादा पसंद की जाती है आज ये सवाल हर भारतीय के मन में उठता होगा . कम से कम उन् लोगो के तो जरूर जो लोग बोलीवूड की फिल्म देखते होंगे और वो भी जब उनके परिवार के साथ . आज कोई भी फिल्म पारिवारिक नही बनाई जाती . अश्लील दृश्यों के बिना फिल्म बनाना आज बोलीवूड निर्देशकों को रिस्क लगने लगा  है . कहानी के बिना भी असी फिल्मे दर्शको को सिनेमा तक खीच लाती है . और इनमे नुकसान की सम्भावना बहुत कम होती है . लेकिन आज कल बिना कहानी के ही फिल्मे बन रही है  . दर्शक भी विदेशी लोकशन और कुछ  सतंट  को देखकर फिल्म को अछि घोषित कर देते है . लेकिन एसी फिल्मे समाज पर क्या परभाव छोड़ रही है  किसी से छुपा नही  . बच्चो पर या युवाओं पर किसी को भी नही बख्शती एसी फिल्मे . क्या भारत में अछि फिल्मे देखने वालो की कमी हो गयी है या भारतीय समाज अश्लील सामग्री देखकर ही संतुष्ट होता है .
                   या फिर कहानी की कमी है भारत में . भारत जहा हजारो क्रन्तिकारी हुए . जहा महाराणा परताप जैसे झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई जैसे शूरवीर हुए . जिसके हर शहर हर गाव में  सेकड़ो कहानिया हो  . वहा भी इस तरह के हथकंडे इस्तेमाल किये जाये तो आप इसे क्या कहेंगे 
                               वैसे देशभक्ति पर भी फिल्मे बनी है और वो सफल हुई और कुछ तो ओस्कर के काफी नजदीक रही रंग दे बसंती ; और लगान जो भारतीय परिष्ठ्भूमि पर बनी थी इन् फिल्मो को लगभग सभी देशो ने सराहा  . लक्ष्य ; जिसने युवाओ में  एक नया जोश भर दिया देशभक्ति का .
                             आज भी भारतीयों को अछी कहानी वाली फिमे अछि लगती है . लेकिन भारत में सब कुछ पश्चिम की तर्ज़ पर होता जा रहा है . फिल्म के निर्माता निर्देशक और लेखक  सभी भारतीय है . लेकिन हर भारतीय का फ़र्ज़ है भारत को मज़बूत बनाये . अभी जो अश्लील फिल्मे बन रही है उन फिल्मो से युवाओ और बच्चो की मानसिकता पर बूरा असर पड़ रहा है . अश्लील सामग्री बेचकर पैसा तो कमाया जा सकता है लेकिन सामाजिक इज्ज़त नही

4 टिप्‍पणियां:

  1. ये कह देना की भारतीय सिनेमा में कहानी होती ही नहीं हैं ग़लत होगा। दूसरी बात कि आपकी इस पोस्ट की हिन्दी बेहद अशुद्ध हैं उसे ठीक करें।

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  2. शीर्षक से इतर निकला आपका लेख आपने लिखा क्या भारत में अश्लील सामग्री ..जबकि लेख आधारित है आपका बौलीवुड फ़िल्मों में बढती अश्ललीलता के चलन की ओर ..नहीं ऐसा तो कतई नहीं है अब समाज जिस तेजी से जिस ओर बढेगा तो ये सब स्वाभाविक है ही ...और चिंताजनक भी है ..हालांकि अच्छी और मनोरंजक फ़िल्में अभी भी बन रही हैं और वही पसंद भी की जा रही हैं । दीप्ति जी की सलाह पर ध्यान दें ॥

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  3. dipti jee kahani to hoti hai lekin hamare yha filmo me jo hathkande apnaye ja rhe hai vah khedjanak hai or me apki salah se sahmat hoo

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