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सोमवार, 14 दिसंबर 2009

भाषा की लड़ाई मिटाने का मन्त्र

भाषा पर लड़ाई एक लोकतान्त्रिक देश को शोभा नही देती  लेकिन अब चिंगारी लग ही चुकी है इसे आग में तब्दील होने से पहले ही ठंडा कर दिया जाये तो देशहित में हो  .
                             भारत जहा कुछ दिनों से भाषा की लड़ाई हो रही है कुछ राजनैतिक तत्व राष्ट्र भाषा के खिलाफ है . केवल सुर्खियों में छाने के लिए  और मिडिया में इन्हें खूब जगह मिलती है ये सब कर इससे पहले ये चिंगारी आग बनकर और राज्यों को अपनी चपेट  में ले इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा  . देश के सभी राज्यों की भाषाओ में से हर एक भाषा  के कुछ शब्द हिंदी में ही डाल दिए जाये इससे हर भारतीय एक दुसरे को जान भी सकेगा और हर भाषा  को भी सम्मान मिलेगा  . हमने तो विदेशी भाषाओ को भी सरान्खो पर बैठाया है क्या हम अपने ही भारत की सभी भाषाओ को एकसूत्र में नही पिरो सकते जिससे पंजाबी मराठी और मराठी पंजाबी बोले देश में शेत्रवाद को भी यही से ख़त्म किया जा सकता है

2 टिप्‍पणियां:

  1. मश्विरा तो अच्छा है मगर कोई माने तब न बधाई कि देश के लिये कुछ लोग सोचते तो हैं?

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  2. सुझाव अच्छा है। इस पर अमल भी हो रहा है। शब्दावली आयोग की नीति यही है कि तकनीकी श्ब्द बनाते समय ऐसे शब्द बनाये जाँय जो सभी भारतीय भाषाओं में बिना किसी परिवर्तन के पच सकें।

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