दुसरो की ख़ुशी से उसे गम होता है
दर्द जब होता है उसका मर्ज़ नही होता है
जब दुसरो को दर्द हो तो वही मर्ज़ होता है
इसे उसकी फितरत कहु या उसकी मजबूती
बार बार जख्म हमें देकर वह खुश होता है
घर में आग लगे तो भी वह कही और आग लगाता है
बजाय अपनी आग भुजाने के घर वो किसी और के जलाता है
कभी ताज तो कभी डेल्ही को वो दहलाता है
कभी कश्मीर को वो अपना बताता है
न घर को कभी वह दुश्मनों से बचाता हैदोस्त की पीठ तलवार डाल कर जख्म वह दे जाता है
टुकड़े कर के भी वह शांत नही बैठा है
घर की आग न भुजाकर वो आग यहा लगाता है
अपनी ख़ुशी से कोई कम खुश होता है
दुसरो की ख़ुशी से उसे गम होता
पहली बार कुछ कविता की तरह ब्लॉग पर लिखा है हो सकता है कुछ गलतियाँ हो आप का साथ मिला तो शायद अगली बार इससे अच्छा लिख सकू
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ...
जवाब देंहटाएंअपनी ख़ुशी से कोई कम खुश होता है
जवाब देंहटाएंदुसरो की ख़ुशी से उसे गम होता है
दर्द जब होता है उसका मर्ज़ नही होता है
जब दुसरो को दर्द हो तो वही मर्ज़ होता है
अच्छा लिखा है ...... कुछ पड़ोसी ऐसे होते हैं ...........