मंगलवार, 8 दिसंबर 2009
इस बटवारे में ५ लाख हिंदू सीखो की जाने गयी
आजादी के ६२ सालो बाद भी कुछ लोगो के जख्म हरे है । कुछ कत्त्र्पन्थियो की वजह से भारत दो टुकडो में bat गया । आज भी उन लोगो की आंखे नम हो जाती है जिन्होंने वो मंज़र अपनी आँखों से देखा । पर्स्तुत है कुछ अंश ;आज से लगभग ६४ साल पहले किसने सोचा था मुल्क के दो टुकड़े भी उन्हें देखने पड़ेंगे । किसने सोचा था उन्हें अपनी जमीन जायदाद अपनी धरती माँ को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा शायद किसी ने भी नही । लेकिन कुछ कत्रपनथियो ने इसकी नींव रखनी शुरू बहोत पहले ही कर दी थी ।सर्व्पर्थम १९३० में कवि शायर मुह्हम्मद इक़बाल ने dirasshtr सिधांत का जिक्र किया । उन्होंने भारत के उत्तर पश्चिम में सिंध , बलूचिस्तान , पुनजब तथा अफगान ( सूबा ऐ सरहद ) को मिलाकर नया राष्ट्र बनाने की बात की थी । सन १९३३ में कैम्ब्रिज विशव विधालय के छात्र चोधरी रहमत अली ने पंजाब , सिंध , बलूचिस्तान तथा कश्मीर के लोगो के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना ) का सृजन कियाअब बात उन हिंदू सीखो की जिन्हें अपनी जमीन से निकाला गया । इस बटवारे में लगभग ५ लाख हिंदू सीखो को अकाल मृत्यु प्राप्त हुई । लेकिन दुर्भाग्य उन्हें यद् कने के लिए कोई मोमबत्ती नही जलाई जाती । धर्म के नाम पर दूसरा मुल्क बना पाकिस्तान और अंग्रेजो की चाल सफल हुई । लेकिन मुल्क अब तक सफल न हो सका वह आज भी धू धू कर जल रहा है ।
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sahi kha unki kurbaniya yad rhni cahhiye desh ko
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