आज की हिन्दी देश की भाषा है , पर परिसथियो में हिन्दी को कोई भी भारतीय कितना सम्मान दे रहा है , यह किसी ने समझने की कोशिश ही नही की , राजनीती से अलग एक दुनिया है , जिसमे लगभग १११ करोड भारतीय रहते है , उनमे से कितने लोग हिन्दी भाषा का इस्तेमाल करते है , जो लोग हिन्दी को बेहतर तरीके से जानते है वे आज अंग्रेजी बोलने की कोशिश करते है क्या आम भारतीय हमारी राष्ट्र भाषा का सम्मान कर रहा है ,
कोई भी देश अपनी संस्कृती से महान होता है लेकिन क्या हम अपनी संस्कृति को बचा पा रहे है , मन की परिवर्तन ही संसार का नियम है परन्तु हम अपनी राष्ट्र भाषा को एक सम्मानित स्थान भी नही दे पा रहे , देश को आजाद हुए आज ६२ साल हो गये परन्तु इन् ६२ सालो में भारत में कितने ही परिवर्तन नही हुए , जैसे हमारे कपड़े , खाना , रहना , सब कुछ पश्चिमी होता गया और हमने भुत कुछ पाया जैसे स्वईन्न फ्ल्यू , बल्ड परेषर हम अब्ब एक नई गुलामी कर रहे है अपनी भाषा को भूलकर और अपनी पहचान खो रहे है , क्यो की क्या हिन्दी की पहचान कुछ राज्यों तक ही सिम्त कर रह गयी है , अगर हिन्दी भी राज्य और देश की सीमा से आगे निकल कर पश्चिम में झंडा बुलंद करे तो देश के सम्मान में एक और तारा लग सकता है , में समझ सकता हूँ कुछ लोग इसे बेतुकी कहेंगे परन्तु आप अंग्रेजी को ही ले लीजिये आज अंग्रेजी अन्तराष्ट्रीय भाषा है आज से ७० साल पहले क्या अंग्रेजी भारत में थी , ठीक इसी तरह अगर पर्यास किए जाए तो हिन्दी अगले ४० सालो में पूरे विश्व में SATHAPIT होगी
हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है… शुरुआत ठीक कही जा सकती है… धीरे-धीरे अभ्यास से हिन्दी की वर्तनी भी सही हो जायेगी… विषय अच्छा चुना है आपने… लिखते रहें… मेरी शुभकामनाएं हैं… वर्ड वेरिफ़िकेशन वाला ऑप्शन हटा दीजिये, इसकी कोई जरूरत नहीं होती… धन्यवाद
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लॉग जगत में स्वागत !!!
जवाब देंहटाएंलिखते रहें और मातृभाषा हिन्दी का प्रसार करें....
शुभकामनाएँ ।
dhnyawad vivek jee suresh jee
जवाब देंहटाएंबस ऐसे ही लिखते रहिए, शायद यह आपकी पहली पोस्ट है। ढेर सारी शुभकामनाएं।
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