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शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

अन्ना समर्थको से 9 सवाल

अन्ना के समर्थको ज़रा आँख में भर लो पानी जो शहीद हुए है उनकी कही व्यर्थ न चली जाए कुर्बानी . पहचानो की किस आन्दोलन में है दम ,देशभक्ति की भावना तुममे है इसमें कोई दो राए नही तुम भी एक भारतीय हो और भारत से प्रेम करते हो .लेकिन जो मीडिया ने तुम्हारी आँखों पर पर्दा डाल रखा है उस परदे को हटाकर खुले दिमाघ से सोचो इन 9 सवालों का जवाब तलाशो .
1 ओबामा ने अन्ना के आन्दोलन की तारीफ क्यों की ?
2 अन्ना कसाब पर तो बोले लेकिन हाफिज सैयद पर और जहरीले पकिस्तान पर क्यों नही ?जब की भारत का बच्चा -बच्चा कसाब को फ़ासी चाहता है तो ऐसे में अन्ना को तो आतंक के गढ़ पर कुछ बोलना चाहिए था ?
3 अन्ना एक एंटीवायरस है वह भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फैकेंगे एसा आप लोग मानते है तो फिर उन्ही की टीम में पर्शंत भूषण अब तक क्यों बने हुए है और हिन्दू भावनाओं को अपमानित करने वाले अग्निवेश उनकी टीम में कैसे शामिल हुए ? क्यों उन्होंने उनको अपनी टीम में रखा क्या यह राष्ट्रभक्तो की छाती पर मूंग दलने सामान नही है ?
4 अन्ना एक अहिंसावादी है अन्ना दुसरे गांधी है ? यह आप लोगो और उनके बाकी समर्थको का कहना है तो उन्ही के राज्य में जब राज जैसे लोग उत्तर भारतीयों को लतियाते है तब यह कहा होते है एक स्पीच तक नही निकलती इनके मुख से आखिर क्यों ?
5 अन्ना दुसरे गांधी है ? गांधी कभी भी मीडिया के कैमरों में नही रहना चाहते थे और उन्होंने इस अधूरी आजादी को सही मायनो में आजादी नही माना था लेकिन अन्ना ने जन्लोक्पाल बनवाया नही की जीत का प्रचार किया और लगातार मीडिया में तो बने है लेकिन आम जन में उनकी कोई मेल -मिलाप नही आखिर क्यों ?
6 अना फिर से आन्दोलन की धमकी दे रहे है क्या इस देश की जनता फिर से उन पर विशवास करेगी ?
7 यदि वास्तव में अन्ना हजारे इस देश का भला चाहते है तो बाबा रामदेव ,श्री श्री ,मुरारी बापू ,आसाराम बापू इन सभी के साथ मिलकर काम क्यों नही करते ? क्यों अलग से अपनी ढपली उठाये हुए है क्या वह राजनितिक लक्ष्य साध रहे है ?
8 क्या यह देश तालिबान है जिसे बस एक जन्लोक्पाल में बांध दिया जाये ? आडवाणी काले धन पर रथयात्रा निकाले तो वह बेमानी और अन्ना उन पर लगे आरोपों का जवाब न दे तो वह साधू ?
9 अन्ना को यदि देश की चिंता है तो वह गाव -गाव जाए और देश को जागरूक करे भारतीय शिक्षा को लागू करवाने के लिए कोई कदम उठाये लेकिन वो एसा क्यों नही करते ?
हमारा देश बहुत ही महान है वह भावनाओं में जल्दी बह जाता है अन्ना को भी मीडिया ने एक साधू की तरह दिखाया बारह दिन के अनशन ने उनको हीरो बना दिया ? लेकिन अन्ना की हीरोगिरी में असल मुद्दे गम से हो गये है यदि वास्तव में अन्ना बदलाव चाहते है तो उतरे जमीन पर और भारत की जनता की दुःख तकलीफों को समझे . बताये जनता को की वह गरीब नही है ये धरती गरीब नही है लेकिन उन्हें गरीब बनाया गया है . बताये उसे की जब सभी पश्चिमी देश दिवालिया हो रहे है तब भी भारत की अर्त्वय्वस्था मजबूत है लेकिन फिर भी आप लोग भूखे है क्या कारण है इसका कोन हमें लूट रहा है . कोन भारत में असमानता ला रहा है कोन भारत में अलगावाद भडका रहा है क्या इसमें पश्चिम और इस्लामिक देशो की साम्राज्यवाद की नीतिया जिम्मेदार नही है .
मित्रो ,यह सब करने के लिए बहुत दम चाहिए वो दम बाबा रामदेव में है जो पूरी की पूरी वयवस्था में परिवर्तन लाना चाहते है और जमीन से जुड़ने में विशवास करते है न की मीडिया के कैमरों से चिपकने की .हम भी देशभक्त है लेकिन हम उसी का साथ देंगे जिनके पास मुद्दे होंगे न की फिर वही आधी -अधरी आजादी या गुलामी लाने वालो का …………….

6 टिप्‍पणियां:

  1. मैं बार बार इस बात को दोहरा रहा हूं कि आखिर बात मुद्दों की क्यों नहीं हो रही है , विदेशों में छिपा काला धन , जनालोकपाल बिल , जजेस अकाउंटिबिलिटी बिल , राइट टू रिजेक्ट , राईट टू रिकोल , राईट टू सर्विस ..मुद्दे क्या कम हैं , बहस के लिए , वैचारिक मतभेद और विमर्श के लिए ,लडने के लिए जो , अन्ना , अग्निवेश , रामदेव , केजरीवाल पर लिख लिख कर मुद्दों को भटकाया जा रहा है ..साफ़ साफ़ कहिए कि मुद्दे सही हैं गलत और आप किधर हैं , इस तरफ़ या उस तरफ़

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  2. बात सिर्फ मुद्दे की हो!
    अन्ना हमारी भी पसंद नहीं पर जो मुद्दा उसने उठाया है उसके लिए वो साधुवाद का पात्र है कम से कम एक भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जनचेतना तो फैली|

    Gyan Darpan
    ..

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  3. ajay ji..... muddo ko baba raamdev laaye the lekin janlokpaal ki gunj me asl mudde bhatk gye hai

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  4. अन्ना हजारे का मुद्दा ठीक ही लगता है। इसी पर बात होनी चाहिए। जनलोकपाल के प्रस्ताव में क्या खामियां हैं, इसके परिणाम-दुष्परिणाम क्या होंगे, इस पर बहस ज्यादा सार्थक प्रतीत होती है।

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  5. पुनःश्च-जरूरी नहीं कि अन्ना की हर बात से सहमत हुआ जाए, लेकिन जनलोकपाल पर असहमति का कोई कारण नहीं दिखता।

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  6. कुछ दिनों पहले अन्ना हजारे ने---- हमारे देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने हेतु एक विशेष विधेयक को पारित कराने के लिए अनशन किया था । लेकिन मेरा विचार है कि---- अनशन-- केवल लोकप्रियता प्राप्त करने का एक नाटक था ।

    सही बात तो यह है कि---- हमारे देश में जितना भी भ्रष्टाचार है, उसका केवल पन्द्रह प्रतिशत ही सरकार और सरकारी विभागों की वजह से है; शेष पिचासी प्रतिशत भ्रष्टाचार आम जनता की अपनी वजह से है । लेकिन क्या कभी अन्ना हजारे ने----- देश की आम जनता को सुधारने के लिए भी अनशन किया है ? नहीं, कभी नहीं |

    सच तो यह है कि---- अन्ना हजारे को लोकप्रियता चाहिए, उन्हें देश के भले से कोई मतलब नहीं है | अगर अन्ना हजारे वास्तव में ही देश का भला करना चाहते होते तो सबसे पहले आम जनता को सुधारने के लिए अनशन करते लेकिन अन्ना हजारे ने देश की आम जनता को सुधारने के लिये कभी कोई अनशन नहीं किया ।

    सच तो यह है कि---- हमारे देश में व्याप्त अधिकांश भ्रष्टाचार आम जनता की अपनी ही वजह से है । उदाहरण के लिए-----
    १- बाज़ार से एक किलो मिठाई खरीदो तो लगभग ८५० ग्राम मिलती है (दुकानदार मिठाई में लगभग १५० ग्राम का डिब्बा भी तोल देते हैं और पैसा पूरा एक किलो मिठाई का लेते हैं),
    २- दूध में पानी और साबुन-तेल मिलाकर बेचा जा रहा है,
    ३- किसान लोग---- सब्जियों और फलों को समय से पहले पकाने के लिये उनके पौधों में रासायनिक दवाओं का इंजेक्शन लगाते हैं और इस प्रकार से उन फल-सब्जियों को जहरीला बना देते हैं,
    ४- धार्मिक स्थलों पर बिजली चोरी की जाती है,
    ५- अनेक डोक्टर ---- एक्यूपंचर की डिग्री लेकर एलोपैथिक दवाओं से इलाज करते हैं,
    ६- होमियोपैथिक दवाएं बनाने वाली कम्पनियाँ, दवाओं की आड़ में शराब बेच रही हैं आदि-आदि |

    ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं --- जिनमें आम जनता गलती करती है | पर तब जनता को सुधारने के लिए अन्ना हजारे ने कभी अनशन नहीं किया | तब आम जनता को सुधारने के लिए कोई -- किरण बेदी, रामदेव भी आगे नहीं आये | जब आम जनता गलती करती है तो यह सब लोग कहां पर जाकर सो जाते हैं ?

    मेरा अन्ना हजारे को सुझाव है कि---- हे अन्ना हजारे, अगर तुम देश का भला चाहते हो तो पहले देश की आम जनता को सुधारो | जब देश की जनता सुधर जायेगी और ईमानदार हो जायेगी तो---- देश में से भ्रष्टाचार स्वयं ही दूर हो जायेगा ।

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