अखिल भारतीय पंचनद समरक समिति उन पंजाबियों का एक संगठन है जो वर्तमान पंजाब से विस्थापित होकर आये थे . पंजाब जिसका आधा टुकडा पाकिस्तान में स्थित है उस प्रांत के पंजाबी हिन्दू , सिखों को एक जुट करने के लिये और जिन बेकसूर लोगो की जाने दंगो में गयी थी जिनका कोई दोष न था उन्हें याद करने के लिये ही इसे साधू संतो और पंजाब केसरी के सम्पादक ने खड़ा किया है . इस संगठन ,समिति में कोई जाती नही है चारो वर्गों का मिश्रण है ये समिति . जिसमे पूरे देश से आकर हिन्दू समाज के लोग अपने पितरो का तर्पण करते है और उन्हें याद करते है . आजादी के ६२ सालो के बाद पंजाबी समुदाय एक मंच प़र आने की कोशिश कर रहा है . लेकिन मै अपने ब्लॉग के माध्यम से अखिल भारतीय पंचनद समरक समिति के साधू संतो और राष्ट्रिय अध्यक्ष से एक प्रार्थना करता हूँ जो मेरे मन मस्तिष्क में वर्षो से है . वह इस परकार है .
वर्षो से पंजाबी समाज जीतोड़ मेहनत कर अपने परिवार का लालन पोषण कर रहा है . अपनी जमीन , खेत , पशु , गहने , घर सब कुछ गवाने के बाद भी पंजाबी समाज ने अपनी हिम्मत नही हारी . और उसी मेहनत का फल आज पंजाबी वर्ग देश के बड़े - बड़े महकमो में अग्रणीय भूमिका निभा रहा है . धर्म कर्म से लेकर व्यापार . फिल्म इंडस्ट्री से खेल - कूद . हर जगह पंजाबी समुदाय ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है . लेकिन अभी कुछ कमिया है कुछ खामिया है जब तक उन्हें दूर नही किया जाता हम नही कह सकते 'ओल इज वेल ' . जैसे आज भी पंजाबी समुदाय की महिलाओं को गरीबी के चलते काम करना पड़ता है , बच्चो को दुकानों प़र नोकरी करनी पड़ती है रेहड़ीया लगाने को मजबूर होना पड़ता है . आखिर यह सब अब तक क्यों है क्यों ओरतो को बर्तन धोने के लिये मजबूर होना पडा , क्यों बच्चो को खेलने - पढने की उम्र में रेहड़ीया लगानी पड़ी . यह सब गरीबी के कारणहै लेकिन हमारे समाज ने उन गरीबो के लिये किया क्या है असल सवाल तो यह है . क्या हम सभी जिम्मेदारिया सरकार प़र ड़ाल सकते है ? क्या पंजाबी समाज हो या देश का कोई भी समाज हमारी उनके पर्ती कोई जिम्मेदारी नही बनती . अब सवाल यह है हम उनकी मदद कसे करे . उनकी मदद करने के लिये हर गाव हर शहर में एक कमेटी नियुक्त की जाए जो एसी महिलाओं ,एसे बच्चो को शिक्षा दे रोजगार दे . ताकि हमारे समाज की एक बेहतर छवि बने . हम मिसाल बने बाकी समाज और जातियों में कुछ एसा किया जाए पंचनद समिति द्वारा . हर घर को महीने में १०० रूपए के लिये वचनबद्ध किया जाए और उस पैसे को पंजाबियों की तरक्की में लगाया जाए . यही हमारे बजुर्गो को सच्ची श्रधांजलि होगी . यही हिन्दू संस्कार होंगे और हिन्दू समाज की छवि पूरे विश्व में और भी अधिक बलशाली होगी .
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