शनिवार, 6 मार्च 2010
जब टुकडो में बटे रहेंगे तो एसे ही पिटते रहेंगे हिन्दू.
नारी संगठन , युवा संगठन , ब्राह्मण ,, जाट , पंजाबी , मराठी , राजपूत , दलित चेतना यह कुछ झलकिया है हिन्दू समाज की जो अपने अपने हक़ के लिये लड़ रहे है अपनी जाती समाज के लिये . क्षेत्र के लिये अपने आप को उंचा साबित करने के लिये अच्छा है विदेशियों को तो इन सब कामो से बहुत राहत मिलती होगी . बहुत से भिन्न - भिन्न प्रकार के संगठन एक दुसरे से उप्पर पहुचने की ललक . भिन्न - भिन्न सोच क्षेत्र - क्षेत्र शहर , गाव में अलग अलग चोधरी . समाज के ठेकेदार कोई धन - धन सतगुरु कोई व्यास . बाते खिंडे टूटे कमजोर लोग जो एक धर्म एक देश के होकर आपस में लड़ रहे है अपनी - अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे है . लेकिन विदेशी लोग चूप - चाप अपना काम कर रहे है और करते रहेंगे दीमक की तरह खोखला कर रहे है करते ही रहेंगे . क्यों की जब घर में मान लो पांच सदस्य है सबकी अलग अलग राय सबके अलग विचार तो घर को टूटने से कोई भी नही बचा सकता . देश को कैसे बचाओगे . अभी बरेली में दंगा हुआ जिन्होंने दंगा किया उन लोगो की केवल एक ज़ात थी . मुस्लिम . कभी हिन्दुओ से पुचो तो कहेंगे ब्राह्मण , ज़ात , राजपूत क्या कभी किसी ने कहा हिन्दू . क्या कभी कोई गर्व से छाती चोडिकर कहता है वह हिन्दू है पहले अपनी जाती के ही गुण गाता है . लेकिन कोई भी मुसलमान ख़ुद को मुसलमान ही कहता है यही कारण है वे लोग मजबूत पड़ते है और हिन्दू कमजोर . जब टुकडो में बटे रहेंगे तो एसे ही पिटते रहेंगे .
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बिल्कुल ठीक कहा. एक होना ही एकमात्र उपाय है.
जवाब देंहटाएंइस वर्ण प्रथा के कारण ही हिन्दू वास्तव में 'अल्पसंख्यक ' का संताप भोग रहा है और भोगता रहेगा जब तक अपने हिन्दू और केवल हिन्दू होने पर गर्व करने की मानसिकता को नहीं अपनाता ।
जवाब देंहटाएंहिन्दू एक नामर्द कौम हैँ
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