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रविवार, 6 नवंबर 2011

मनमोहन सिंह जी दोस्त और दुश्मन को पहचानो



मित्रो ,मनमोहन सिंह हो या अटल बिहारी वाजपेयी दोनों ने ही पाकिस्तान से दोस्ती का राग अलापा है पकिस्तान ही क्यों बंगलादेश ,अफगानिस्तान इन तीनो देशो से दोस्ती करना इनका अहम लक्ष्य है . जब की ये तीनो ही देश भारत को कैसे भी कमजोर करने के मंसूबे पाले रखते है .पाकिस्तान तो खुला दुश्मन है ही भारत का साथ ही साथ बंगलादेश भी घुस्पेठिया नम्बर वन है और अफगानिस्तान जिसे भारत ने हर संभव सहयोग दिया वह भी खुली घोषणा कर चूका है की पकिस्तान उसका भाई है वह भी पाकिस्तान का ही साथ देगा यदि भारत ने उससे युद्ध किया तो . यानी मनमोहन सिंह और अटल जी इन देशो को कितना भी खिला दे पिला दे वहा सडक बनाये या रेल चलाए ये तो पकिस्तान के ही भाई है . फिर भी मनमोहन सिंह जी इनसे दोस्ती करने में लगे है ..पता नही इसके पीछे भी वोट बैंक की राजनीती ही होगी .
और दूसरी तरफ शांतिप्रिय देश है जो भारत की संस्कृति का सम्मान भी करते है और भारत के हितचिन्तक भी है नेपाल ,भूटान ,और श्री लंका इन देशो से भारत का सांस्कृतिक और भावनात्मक रिश्ता है .जिस समय लंका ने लिट्टे पर हमला किया उस समय मनमोहन सिंह की सरकार ने लंका की कोई मदद नही की इसका फायदा उठाया चीन ने अब वह लंका का अच्छा दोस्त है यानी एक मोका चुक गये मनमोहन . अब चीन नेपाल को अपने पक्ष में लेने की कोशिशो में लगा है वह बोद्ध शहर लुम्बिनी जो की नेपाल में है पर भारी भरकम पैसा खर्च कर नेपाल को रिझाना चाहता है .चीन की यह विस्तारवाद की निति ही है की उसने पहले लंका को अपने पक्ष में किया फिर नेपाल को रिझाने की कोशिश की लेकिन नेपाल ने उसे बिलकुल साफ़ मना कर दिया और भारत में आकर चिदम्बरम से मिलकर कहा की नेपाल और भारत में कभी फुट पैदा नही होगी . लेकिन मनमोहन सिंह जी अमेरिका ,बंगलादेश फ़्रांस के दोरो पर है .जब की अमेरिका  भारत को कमजोर करने के लिए पाकिस्तान का साथ देता रहा है फिर भी मनमोहन सिंह अमेरिका के पिछलग्गू है .........लगता है मनमोहन सिंह या तो यह मानना नही चाहते की अमेरिका ,फ्रांस ,पाकिस्तान ,बंगलादेश ,अफगानिस्तान ये कभी भारत के दोस्त नही हो सकते या फिर मनमोहन सिंह भारत को आगे बढ़ने देना  नही चाहते .वह नही चाहते की भारत का कोई हिन्दू देश मित्र हो वह भी उसी नीति पर चल रहे है जिस पर नेहरु जी चले थे फर्क सिर्फ इतना है की नेहरू जी ने चीन को अपना दोस्त माना था और धोखा खाया  था .लेकिन मनमोहन सिंह जी पशिचिमी देशो और इस्लामिक देशो को दोस्त मान रहे है .....नेहरु जी ने तो फिर भी धोखा खाया था लेकिन मनमोहन सिंह तो आज के हालत से वाकिफ है आज तो यह बात जगजाहिर है की पश्चिमी देश या फिर ये तीनो इस्लामिक देश भारत के दोस्त कतई नही है फिर क्यों मनमोहन सिंह जी इन्ही देशो को ज्यादा तवज्जो दे रहे है . इससे तो बेहतर हो की मनमोहन सिंह जी नेपाल ,भूटान और लंका को अपना मित्र बनाये ताकि भारत खुद  को आने वाली चुनोतियो से सुरक्षित रख सके और हर परिस्थिति से निपटने के लिए छोटे -छोटे देशो से मदद ले सके .....

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