tag:blogger.com,1999:blog-52185094422631800532024-03-13T10:24:06.944-07:00जागो भारतकुछ नही करने से बेहतर कुछ किया जायेvikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.comBlogger141125tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-21678748264297243122012-08-03T01:28:00.000-07:002012-08-03T01:30:25.927-07:00टीम अन्ना यानी बिन तली का लोटा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
दोस्तों , जिस बात का डर था वही हुआ बिन तली का लोटा टीम अन्ना ने वो कर ही
दिया जिसकी उससे उम्मीद थी ! जब पहली बार टीम अन्ना के मुखिया अन्ना हजारे
ने अनशन लीला रची थी उस समय छाती ठोककर कहा था की हम राजनीति में नही
आयेंगे और ये भी कहा था की जब तक लोकपाल नही आयेगा हम अनशन से नही उठेंगे !
पहली बार में janlokpaal तो आया नही उलटे अपने वादे से मुकरी यही टीम
अन्ना के मुखिया अनशन से बगैर बिल पास करवाए ही देश में थाली बजवा दिए और
देश में खुद को महात्मा भी कहलवा दिए ! अब इनकी तिकड़ी ने नो दिन का अनशन
किया है और ये भी अनशन तोड़ रहे हैं पहले ये लोग दावे कर रहे थे प्राण जाए
लेकिन अनशन नही तोड़ेंगे राजनीति में नही आयेंगे ! लेकिन नो दिन और पहले के
तेरह दिन और मीडिया के सहयोग से हीरो बने महात्मा बने अन्ना हीरो बनी टीम
अन्ना अब राजनीति में आ ही रही है ! दोस्तों ….जब से इस टीम अन्ना का जन्म
अचानक से हुआ है मै तो तब से लिखता आ रहा हूँ की इस टीम के मंसूबे
बड़े ही खतरनाक है , मत बजाओ अन्ना इस देश का बाजा , ! दोस्तों देश का
बाजा ये टीम बजा कर रहेगी चुकी इस टीम का मकसद है देश पर सेकूल्रिज्म को
बढ़ावा देना और इसके सदस्य भी हाई फाई ब्रांड के सेकुलर है एक है की
मुसलमानों की भीड़ खीचने के लिए इस्लामिक टोपी पहनता है और दुसरा अफजल का
केस लड़ता है और एक है की माओवादियों की मध्यस्थता करता है कश्मीर पर
बयानबाजिया करता है जहा तक खुद महात्मा जी का सवाल है तो वो भी कम नही है
भारत माता के चित्र उसकी आँखों के सामने हटा कर राष्ट्र के पिता के चित्र
लगाये जाते हैं लेकिन उसे कोई आपत्ति नही होती ! दोस्तों ,,,,,,,इस टीम ने
बड़ा ही शातिराना ढंग से हिन्दुत्त्व को कमजोर करने के कोशिशि की है सबसे
पहले तो इसने देशभक्तों की भीड़ जुटाई उनके दिलो में जगह बनाई और फिर संघ
को गरियाया भी और बाबा रामदेव के आन्दोलन के धार को भी कमजोर किया ! आज
हालात यह है की लोगो की आँखों में धुल झोक्कर ये टीम अन्ना राजनीती की गंगा
को और मैला करने चली है और बीजेपी के वोट काटने के जुगाड़ में लगी है !
मेरा तो सभी देशवासियों से विनती है की इस टीम अन्ना की चाल में न फसे चुकी
ये देश कब का अमेरिकी कठपुतली बना हुआ है और ये नई टीम ( ऑह सॉरी )
राजनैतिक पार्टी भी अमेरिका की कठपुतली है इससे जितना सावधान हुआ जाये हो
लो और लोगो को भी सावधान करो क्या पता कल को यह बिन तली की लोटा टीम किस
बात से मुकर जाए और समझोतावादी साबित हो जाए !</div>
vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-62996606336234898692012-06-14T22:57:00.002-07:002012-06-14T22:57:55.024-07:00क्या वाकई कलाम साम्प्रदायिक हैं ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
पिछले कुछ दिनों से जब से पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का नाम
राष्ट्रपति की रेस में सामने आया है तब से कुछ लोग फसबूक और अन्य साइटों
पर कलाम को साम्प्रदायिक , आर एस एस का मुखोटा बताकर भ्रम की स्थिति पैदा
कर रहे हैं ! लेकिन ऐसे लोग कलाम को आर एस एस का मुखोटा या फिर
साम्प्रदायिक साबित करने में क्यों लगे हुए हैं !<br />
१ क्या इसलिए की उन्होंने भारत को एक मजबूत देश बनाने के लिए काम किया है ?<br />
२ क्या इसलिए की वह एनडीए के उम्मीदवार हो सकते हैं ?<br />
३ क्या इसलिए की वह भारतीय संस्कृति का सम्मान करते हैं ?<br />
४ क्या इसलिए की वह देशभक्त हैं ?<br />
क्या ये सभी बाते जो की कलाम में हैं वह उन्हें साम्प्रदायिक अथवा आर
एस एस का मुखोटा साबित करती हैं ! क्या भारत में रहकर भारत की मजबूती के
लिए काम करना गुनाह है अथवा साप्रदायिकता ? क्या एनडीए का उम्मीदवार होना
सम्प्रदायिकता है जब की एन डी ए में अकेली बीजेपी नही है नितीश , बादल
जैसे धर्मनिरपेक्ष लोग भी शामिल हैं ! या फिर जो लोग कलाम का विरोध कर रहे
हैं या उन्हें साम्प्रदायिक तत्व बता रहे हैं उनकी नजर में जो भी भारतीय
संस्कृति का सम्मान करे वाही साम्प्रदायिक होता है ! एक और अहम बात कलाम
देशभक्त हैं इसमें कोई दो राए नही लेकिन क्या यही देशभक्ति उनकी कमजोरी है
जो ऐसे तत्व उन्हें आर एस एस का मुखोटा बताते हैं , क्या देशभक्त होना
गुनाह है ?<br />
यदि कलाम इन्ही गुणों से साम्प्रदायिक हैं अथवा आर एस एस के मुखोटे हैं तब
तो भारत की पूरी सेना ही साम्प्रदायिक है आर एस एस की मुखोटा है हर वह
आदमी साम्प्रदायिक है जो भारत के हित के बारे में सोचता है ! भारत के सभी
विज्ञानिक साम्प्रदायिक हैं , सभी समाजसेवी साम्प्रदायिक हैं , साभी साधू
संत साम्प्रदायिक हैं , सभी वे नेता भी साम्प्रदायिक हैं जो देशभक्त है
अथवा इस देश के भले के लिए काम करते हैं ! </div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-82939962709176414972012-05-16T23:58:00.002-07:002012-05-16T23:58:50.923-07:00शाहरुख़ की असली जगह जेल !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
शारुख खान जिसे हमारा मीडिया किंग खान और बादशाह खान के नाम से पुकारता है विवादों में है ! दरअसल शारुख और विवादों का सिलसला लगा रहता है ! कभी शारुख अमेरिका में चैकिंग को लेकर बवाल मचाता है तो कभी फराह खान के पति को थप्पड़ जड़ देता है तो कभी सार्वजनिक जगहों पर सिगरेट पीकर कानून को तोड़ता है ! कई बार तो यही शारुख खान सलमान खान और आमिर खान से भी पंगा ले लेता है ! <br />बार - बार हाथापाई करनेवाला शारुख खान अब तक खुला घूम रहा है ! जब की आम आदमी को किसी से उंचा बोलने पर जेल में डाल दिया जाता है ! यदि आम आदमी हाथापाई करे तो पुलिस उसके साथ बहुत कुछ कर देती है लेकिन जब शारुख खान जैसा बड़ा स्टार खुले आम भारत के संविधान का मजाक बनाता है किसी को गली - गलोच देता है मारपीट करता है सार्वजनिक जगहों पर सिगरेट पिता है तब भी वह खुला घूमता रहता है ! क्या शारुख खान के खिलाफ भी पुलिस को वाही सख्ती नही बरतनी चाहिए जो वह किसी साधारण आम इंसान के साथ बरतती है ! अथवा रुपयों और शोहरत के बल पर सैफ और शारुख किसी से मारपिटाई करते रहे उसे अनदेखा कर दिया जाना चाहिए ! यदि यह सब करने के बाद आम आदमी की जगह जेल है तो जेहादी मानसिकता वाले शाहरुख़ की भी जगह जेल ही होनी चाहिए ! </div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-52376825040419351302012-05-10T03:54:00.001-07:002012-05-10T03:54:32.285-07:00अमरनाथ यात्रा के लिए सब्सिड़ी क्यों नही ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhdPP0Rwfiwa1FpCsOc_ajiFBAyLbDje-x-0ZB79qkFGsdCPAMAh4Tgc65ffm_mC6WJoQ-TQ-8d9-W9WmSJ2QZmVJ6GHZyTpwFI9vYBudGo8HmpYELjrHIi4z9UTWWIGUQg8imJklEnda5_/s1600/nitish.jpeg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="246" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhdPP0Rwfiwa1FpCsOc_ajiFBAyLbDje-x-0ZB79qkFGsdCPAMAh4Tgc65ffm_mC6WJoQ-TQ-8d9-W9WmSJ2QZmVJ6GHZyTpwFI9vYBudGo8HmpYELjrHIi4z9UTWWIGUQg8imJklEnda5_/s320/nitish.jpeg" width="320" /></a></div>
भारत सरकार की ओर से प्रत्येक वर्ष भारतीय हज समिति के द्वारा हज के लिए जाने वाले मुसलमान तीर्थयात्रियों को हवाई किराए में सब्सिडी दी जाती है जिसका सारा खर्च स्वयं सरकार एयर इंडिया को अदा करती है. ..........................................................................................................<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEghfMPGp6yuyhRfkhO067JeGSMmuZG8aLEqMqXqJ18jDn8PLuZs8s3cOB3KeOFgwzDn51mMe1_cb6Knyg8UIYN-6ikT8XJG2JHXVLmHDQgChHA-9f8bKnMjt4o7SJcDRJSx25ST8RzQizh9/s1600/vikas.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEghfMPGp6yuyhRfkhO067JeGSMmuZG8aLEqMqXqJ18jDn8PLuZs8s3cOB3KeOFgwzDn51mMe1_cb6Knyg8UIYN-6ikT8XJG2JHXVLmHDQgChHA-9f8bKnMjt4o7SJcDRJSx25ST8RzQizh9/s1600/vikas.JPG" /></a></div>
वहीँ अमरनाथ जाने वाले प्रत्येक यात्री का खर्च लगभग दस से बारह हजार रुपए आता है जिसे हर यात्री सवयम उठाता है ! यानी जिन परिवारों में पांच सदस्य है तो उनका खर्च प्रति व्यक्ति दस हजार के हिसाब से पचास हजार हुआ ! इस देश का आम आदमी जिसके पास इतना रुपया नही है अथवा १०० , २०० रुपया कमाने वाला आम आदमी अमरनाथ के दर्शन अपने परिवार के साथ नही कर सकता ! परिवार तो छोड़िये वह अकेला भी इतनी महंगी यात्रा नही कर सकता ! देश में लाखो लोग ऐसे हैं जो जीवन भर एक आस लगाये रहते हैं की वह भी अमरनाथ के दर्शन कर सकेंगे लेकिन अधिक खर्चे की वजह से उनकी यह इच्छा उनकी साथ ही मर जाती है ! सवाल उठता है मुसलमानों का विदेशी खर्चा उठाने वाली भारत सरकार इस देश के आम आदमी को कब समझेगी ! इस देश के देशभक्त हिन्दुओ का सम्मान कब करना सीखेगी ! वोट बैंक के लालच में कब तक हिन्दुओ की आत्मा पर प्रहार करती रहेगी ! अपनी घाढ़ी खून - पसीने की कमाई से टेक्स देने वाले और देश को विकास की दिशा देने वाले समाज की अनदेखी कब तक करती रहेगी !जब देश के अल्पसंख्यक समाज को तीर्थ यात्रा के लिए सब्सिडी दी जा सकती है तो देश के बहुसंख्यक समाज के गरीबो को क्यों नहीं ? </div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-19785600398326139672012-04-30T01:25:00.000-07:002012-04-30T01:25:43.912-07:00सचिन महान नही है !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
आज मै सचिन समर्थको की नाराजगी झेलने आया हूँ ! हो सकता है आज मुझे कुछ
ब्लोग्गर मित्र राष्ट्रद्रोही मानने लगे ! चुकी इस देश में सचिन को एक
भगवान बना दिया गया है कुछ लोगो ने ! जिसकी वजह से ऐसे बहुत से लोग है जो
सचिन के खिलाफ कुछ भी सुनना नही चाहते ! लेकिन मै सचिन को महान या भगवान
नही मानता मै उन्हें भी एक आम आदमी या आम क्रिकेटर की तरह मानता हूँ !
कारण निम्नलिखित है ! <br />
१ सचिन भी और क्रिकेटरों की तरह नीलाम होते है !<br />
२ सचिन भी पैसो के लिए खेलते है जैसे बाकी क्रिकेटर !<br />
३ सचिन उस उम्र में भी खेलते है जब उनका पर्दर्शन अच्छा नही होता जब की अब उन्हें सन्यास लेकर नये खिलाडियों को मोका देना चाहिये !<br />
४ सचिन ने कभी भी राज ठाकरे की हिंसाओ का विरोध नही किया बल्कि उनकी राज ठाकरे से दोस्ती है !<br />
५ सचिन से बढ़िया खिलाड़ी हमारे देश में और भी हुए हुए है जैसे गांगुली
,कुंबले , कपिल लेकिन उन्होंने कभी खुद को भगवान कहलवाना पसंद नही किया ! <br />
मेरा मानना बिलकूल साफ़ है सचिन कोई भगवान नही है बल्कि वह एक साधारण
इंसान है ! सचिन से बेहतर प्रदर्शन करने वाले इस देश में या फिर विदेश में
बहुत से खिलाड़ी हुए है लेकिन उनके गुणगान में इस तरह का भोंडा प्रचार नही
किया गया ! लेकिन हमारे मीडिया जगत और राजनातिक जगत के लोग उन्हें महिमा
मंडित करते रहे है शायद उनकी कुछ मजबूरिया होंगी ! लेकिन इस देश के आम
आदमी को सचिन भगवान लगने लगे है तब भी हमारे देश के मीडिया और राजनातिक
मजबूरियों का ही दोष है ! काश इस देश के युवाओं के आइकोन भगत सिंह ,
सुब्रहमन्यम स्वामी , महराना प्रताप , विवेकानन्द , होते तब इस देश की
तस्वीर कुछ और ही होती ! लेकिन अफ़सोस सचिन , शारुख ,आमिर ,सलमान ही इस देश
के युवाओं के आदर्श बना दिए गये है जिसका खामियाजा देश भुगत रहा है ! </div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-45204792446366629862012-04-20T04:08:00.002-07:002012-04-20T04:08:31.299-07:00बाबा रामदेव जी टीम अन्ना से सावधान<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">मित्रो , पिछले कुछ दिनों से अनुमान लगाया जा रहा है की अन्ना हजारे अब बाबा रामदेव के साथ मिलकर काम करेंगे ! इसी कड़ी में अन्ना बार – बार बाबा रामदेव के साथ मुलाकात कर रहे है ! शायद यह अन्ना की खिसकती लोकप्रियता है जिसका अंदाजा अन्ना और उनकी टीम को मुंबई में हुए अनशन की भीड़ को देखने पर हुआ ! जिसमे जनता ने लगभग उनका साथ छोड़ दिया था ! इसी घटती लोकप्रियता को वापस पाने के लिए आज वही अन्ना बाबा रामदेव का साथ पाने की जी तोड़ कोशिशो में लगे है जो कभी बाबा के आने पर उनको मंच से निचे बैठने की बाते किया करते थे ! लेकिन बाबा रामदेव जी को अन्ना टीम की इस तरह की करतूतों से सबक लेने की जरूरत है ! चुकी यह वही अन्ना है जिन्होंने देश का ध्यान काले धन के मुद्दे से हटाकर जन्लोक्पाल पर ला दिया था जब की बाबा रामदेव की मेहनत से ही देश में काले धन और भ्रष्टाचार के प्रति देश में जागरूकता पैदा हुई थी ! लेकिन फिर भी देश को मुद्दे से भटकाने के बावूजद भी टीम अन्ना जन्लोक्पाल पास नही करवा सकी ! वही अन्ना की टीम में सेकूलर छवि के चलते अब भी कुछ ऐसे लोग है जिनका राष्ट्रवाद से दूर – दूर का नाता नही है ! उन्ही में से एक नाम है प्रशांत भूषण का जो अफजल गुरु का केस लड़ रहे है यह वही प्रशांत भूषण है जो एक बार काश्मीर पर बयानबाजी कर तेजिन्द्र सिंह बग्घा से पिटाई करवा चुके है ! लेकिन अफ़सोस की वे महात्मा अन्ना हजारे जी की टीम में अब भी बने है ! वही अपनी फिसलती जुबान से सुर्खिया पाने वाले केजरीवाल भी कभी इस्लामिक टोपी पहनकर मुसलमानों को रिझाने की कोशिश करते है लेकिन उन्हें रिझा नही पाते है बल्कि ऐसे -ऐसे कट्टरपन्थियो को मंच तक पहुचाते है जो की राष्ट्र से प्रेम तक नही करते राष्ट्रभक्ति की बात तो बहुत दूर की है ! ऐसे में सवाल यह उठता है की क्या ऐसी टीम भर्ष्टाचार से लड़ने में बाबा रामदेव का राष्ट्रहित के लिए साथ दे पाएगी ! ऐसे में बाबा रामदेव को अन्ना और उनकी टीम से न सिर्फ सावधान रहने की जरुरत है बल्कि राष्ट्रहित के लिए टीम अन्ना से दूरी बनाने की भी जरूरत है !</div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-62767340085174792052012-04-17T03:11:00.000-07:002012-04-17T03:11:15.215-07:00आतंकी से बेहतर है बाबा बन जाना !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><strong> पिछले कुछ दिनों से मिडिया और इन्टरनेट पर बवाल है इस बात को लेकर की नर्मल बाबा भक्तो से २००० रुपया लेते है ! जिसका जैसे गुस्सा निकलता है वह निकल रहा है ब्लोग्गर बंधू लेख से मीडिया खबरों की सनसनी से तो आम जनता सडको पर और साधू – संत न्यूज़ चनलो के स्टूडियो पर ! लेकिन सवाल यह उठ्त्ता है की निर्मलजीत सिंह नरूला निर्मल बाबा बन कैसे गये ! </strong><br />
<strong>कई बार सुनने में आता है की मुसलमानों में शिक्षा की कमी और गरीबी उन्हें आतंकवादी बनने पर मजबूर करती है ! गरीबी और निर्मल बाबा का भी नाता रहा है आज तक को दिए इंटरव्यू में वह बार – बार यही बतलाने की कोशिश कर रहे थे की उन्होंने बहुत ही कष्टपूर्ण दिनों को देखा है ! झारखंड में एक परिवार ने उन्हें भगोड़ा करार दिया है। निर्मल बाबा ने उस परिवार के मकान में रहते हुए मकान मालिक को किराया भी नहीं दिया और ताला लगाकर भाग गए। वही निर्मल बाबा ने एक ईट का भट्ठा भी लगाया लेकिन उसमे सफल नही हुए ! गढ़वा में कपड़ा का बिजनेस किया. पर इसमें भी नाकाम रहे ! बहरागोड़ा इलाके में माइनिंग का ठेका भी लिया ! निर्मल बाबा का झारखंड से पुराना रिश्ता रहा है. खास कर पलामू प्रमंडल से. 1981-82 में वह मेदिनीनगर (तब डालटनगंज) में रह कर व्यवसाय करते थे. चैनपुर थाना क्षेत्र के कंकारी में उनका ईंट-भट्ठा भी हुआ करता था, जो निर्मल ईंट के नाम से चलता था ! यदि निर्मल बाबा की पूरी जिन्दगी को देखा जाये तो उनमे एक असफल व्यापारी की छवि नजर आती है और यही कष्टों भरे दिन जब आज तक पर बाबा को याद आये तब भी बाबा से भावुक हुए बिना नही रहा गया ! इन्ही असफलताओं ने जालन्धर से झारखण्ड से दिल्ली के सफर तक निर्मल सिंह नरूला का साथ चोली दामन का बना रहा ! ऐसे नाजुक हालत और असफलताओं का परिणाम है की एक असफल व्यापारी निर्मलजीत सिंह नरूला निर्मल बाबा बन गया जो आज ! करोडो के वारे न्यारे कर रहा है ! </strong><br />
<strong>कुछ लोग बाबा को ठग कहने को आजाद है तो कुछ अन्धविशवासी तो कुछ भारतीय परम्पराओं को ठेस पहुचने का दोषी ! लेकिन फिर भी गरीबी के कारण आतंकी या माओवादी होने से कही बेहतर है ठग बाबा का जीवन वय्तित किया जाये ! चुकी इसमें दुसरे के जीवन को बेहतर बनाने के लिए खीर से लेकर गोल – गप्पे खाने की बाते की जाती है न की गोली – बारूद से किसी को कत्लेआम करने की ! </strong></div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-68353527733921873882012-04-14T05:13:00.000-07:002012-04-14T05:13:09.552-07:00निर्मल की आड़ में निशाने पर हिंदुत्व<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"> <br />
यह ठीक है की बाबा पैसे लेते है हमे बेवकूफ बनाते है ! यह भी ठीक है की निर्मल सिंह नरूला ने बाबा शब्द की ही गरिमा को तार -तार कर रख दिया है ! यह भी ठीक है की निर्मल बाबा के समोसे ,पकोड़ो ,गोल गप्पो से असहमत हुआ जा सकता है ! हरी चटनी से किसी के दुःख दूर न हो ! यह भी ठीक है की निर्मल सिंह नरूला एक व्यापारी हो सकते है ! लेकिन एक निर्मल में पूरा हिन्दुत्त्व नही है या फिर निर्मल ही हिन्दुत्त्व का असली चहरा नही है जिसकी वजह से सपूर्ण हिन्दू धर्म के बाबाओं , मंत्रो या फिर योग को गरियाया जाए ! लेकिन मीडिया जिस तरह पूरे खेल को खेल रहा है उसमे वह न सिर्फ निर्मल बाबा के खिलाफ बोल रहा है बल्कि पूरे हिंदुत्व को बदनाम करने की साजिश रच रहा है ! जिन चमत्कारों या शक्तियों को भारत का जनमानस मानता आया है और महसूस करता आया है कही न कही सीधा निशाना उस पूरी सनातम परम्परा किया जा रहा है ! जो किसी भी तरह से सही नही माना जा सकता ! अभिसार शर्मा द्वारा सबसे तेज और सबसे पहले लिए गये निर्मल बाबा के इंटरव्यू में अभिसार ने कहा लाखो लोग मंदिर जाते है उनकी मन्नते तो पूरी नही होती ! एक पत्रकार का किसी धर्म विशेष के खिलाफ साजिश लगता है ! वही हिन्दुत्त्व विरोधी लोगो को स्टूडियो में बैठाकर निर्मल पर बहस को एक साज़िश के तहत पूरे सनातम परम्परा और कर्मकाण्डो को झुठलाना भी निर्मल की आड़ में पूरी सनातम परम्परा को बदनाम करने की साज़िश है ! जिस तरह से हर मुसलमान और हर इसाई मस्जिद या चर्च में जाते है वैसे ही हिन्दुओ की मंदिरों में आस्था है ! जिस तरह से किसी एक मोलवी या पादरी की गलत हरकत से इस्लाम या फिर ईसाइयत को बदनाम नही किया जा सकता ठीक उसी प्रकार एक निर्मल की वजह से पूरे हिन्दुत्त्व को बदनाम नही किया जा सकता ! लेकिन जैसे ही इंटरनेट पर निर्मल की कारगुजारियो का कच्छा चिटठा खोला गया हिन्दू विरोधी मानसिकता के लोगो ने हिन्दुत्त्व पर ही निशाना साध लिया ! जिसे किसी भी प्रकार जायज नही ठराया जा सकता ! जिस तरह से इंटरनेट पर खुद हिन्दू समुदाय के लोगो ने निर्मल बाबा का विरोध किया उसी तरह हिन्दू विरोधी मीडिया का भी विरोध होना चाहिए !</div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-62053867562461599502012-04-07T23:13:00.000-07:002012-04-07T23:13:32.471-07:00भाजपा सावधान ……….टीम अन्ना से !<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">सांसदों पर चोर – लूटेरो जैसी टिप्पणी कर टीम अन्ना ने एक बात साफ़ कर दी है की कही न कही यह टीम चुनाव लड़ने की मंशा पाले हुए है वाही अब तक टीम अन्ना का साथ दे रही भाजपा को हिमाचल और मध्य प्रदेश के मामलो में झटका देकर टीम अन्ना ने भाजपा को भी कोंग्रेस भाजपा एक जैसी दिखाने की कोशिश की है यह दोनों ही घटनाएं भाजपा जैसी चाल चरित्र के दावे करने वाली पार्टी को भी तराजू के उस पलड़े में रखने की कोशिश है जिस पलड़े में बाकी पार्टिया ! ऐसे में यदि टीम अन्ना लगातार सुर्खियों में बनी रहती है तो इसके पीछे कही न कही टीम का मिशन २०१४ है ! अन्ना के जिस आन्दोलन में भाजपा से लेकर संघ और बाकी हिन्दू संघठन भीड़ जुटाने में सहयोग करते है उसी आन्दोलन की वजह से टीम अन्ना की बेबाक राए और टिप्पणिया उसे उस भीड़ का हीरो बना रही है जिसके हीरो नरेंद्र मोदी या संघ से जुड़े लोग निश्चित तोर से वह भीड़ राष्ट्रीय सोच की है वर्तमान वयवस्था सत्ता से दुखी है सरकार की गलत नीतियों से तंग है महंगाई आतंक से पीड़ित है इसे में यदि इस आन्दोलन को चलाने वाले खुदा न खास्ता चुनावों में कूद पड़ते है तो इसका खामियाजा भाजपा जैसे दल भुगतना होगा चुकी जो लोग महंगाई ,आतंक ,भ्रष्टचार ,दागियो से दुखी है वह लोग इस आन्दोलन का नेत्रित्व करने वालो को देश की सत्ता सोपने या भागीदारी देने में संकोच नही करेंगे . यदि एसा वाकई होता है तो इसका सीधा नुक्सान भाजपा को होगा चुकी यह वाही जनता होगी जो केंद्र सरकार से दुखी है और भाजपा को सता में लाने में अपने मत का उपयोग कर सकती है लेकिन जिस तरह से अन्ना और उनकी टीम टिप्पणी कर रहे है और मीडिया का सहयोग टीम को प्राप्त है कही न कही भाजपा को सावधान होने की जरुरत है और दुसरे के कंधो पर बन्दुक न रखकर खुद के कंधे पर बन्दुक रखकर चलाने की जरूरत है . </div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-80269978878875899082012-04-07T02:42:00.000-07:002012-04-07T02:42:24.486-07:00नये भगवान के रूप में स्थापित होते बाबा राम रहीम<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"></div><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhbJX2ChhPtYCWyUjjbaNrcmj3AeKrwd9Ide_oopl1OLr8ue_Ae4pt38QXzss6DdgpGuOOXUmoGtIUvRdKgrgrlhF-zrMxijlmmBjBdh8A3sq3t4KzFvADqbD6I57jqoowQ2dHcacLzc69d/s1600/images.jpeg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="228" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhbJX2ChhPtYCWyUjjbaNrcmj3AeKrwd9Ide_oopl1OLr8ue_Ae4pt38QXzss6DdgpGuOOXUmoGtIUvRdKgrgrlhF-zrMxijlmmBjBdh8A3sq3t4KzFvADqbD6I57jqoowQ2dHcacLzc69d/s320/images.jpeg" width="320" /></a></div>बाबाओ की बात चल निकली है तो तो बाबाओं पर ही आकर रूकती है और फिर घुमती है चुकी इस कलियुग में ऐसे – ऐसे बाबा लोग है जो खुद को भगवान साबित करने में लगे है उन्ही में से एक है बाबा राम राहीम . ये वाही राम रहीम है जिन्होंने जाम पिलाकर देश में बवाल मचा दिया था और सिखों ने सिरसा में डेरा डाल दिया था ये वाही है बाबा राम रहीम है जिन्होंने पंजाब विधानसभा चुनाव में कोंग्रेस को समर्थन दिया था . <br />
उनके भक्तो का कहना वे इंसान को जोड़ते है प्रेम का सन्देश देते है लेकिन आलोचकों का मत है वह सदियों से चली आ रही भारत के हिन्दुओ में हिन्दुत्त्व की आस्था को तोड़ते है उनके भक्तो का मानना है वे अन्धिविश्वास में कमी ला रहे है लेकिन आलोचकों का मत है जो भक्त या लोग देवी -देवताओं को पूजते थे वह अब उन्हें पूजते है एक जीवित इंसान यानी बाबा राम रहीम की मूर्तियों को घरो में लगाते है बाबा राम रहीम के भक्तो के घरो के बाहर अक्सर एक टाइल होती जिस पर ” चाँद तारे का निशान , क्रोस का निशान , ओमकार का निशान , और ॐ का निशान अंकित होता है उस पर यह लिखा होता है ” धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा यु कहे तो बाबा राम रहीम सर्वधर्म का पाठ भी पढ़ाते है यह बाबा का अच्छा प्रयास माना जा सकता है लेकिन फिर भी इनके अनुयाइयो से अक्सर इनके आलोचकों की बहस हो जाती है ” उनका सवाल होता है की बाबा राम रहीम काश्मीर या फिर पाकिस्तान में जाकर सर्वधर्म का पाठ क्यों नही पढ़ाते या फिर किसी मुस्लिम इलाके में या फिर किसी इसाई इलाके में ? ……. वे बात को आगे बढ़ाते है यदि वह एसा करते है तो देश की सच्ची सेवा यही होगी …जवाब में उनके भक्त कहते है नही वह पकिस्तान भी जाते है और काश्मीर भी और मुस्लिम भी उनके भक्त है ….लेकिन आप भी समझ सकते है की बाबा कितने सफल हुए है मुसलमानों को सर्वधर्म का सन्देश देने में या फिर कितना सन्देश देने वह किसी मुस्लिम बहुल क्षेत्रो में जाते है . . बाबा के कई ऐसे भक्तो को भी देखा जाता है जो माथे पर तिलक लगाने में संकोच करते है और पूजा पाठ में भी उनका तर्क है की यह अंधविश्वास है कई बार उनकी बातो से यह आभास भी होता है की हिन्दुत्त्व को गरियाने वालो की एक और फोज़ देश में तैयार हो रही है जिसके निर्माता जाने अनजाने ही सही बाबा राम रहीम ही है जो खुद को महान इंसान या फिर एक गुरु या कलियुग के नये भगवान के रूप में स्थापित करते प्रतीत होते है . कई बार उनके सत्संगो में जाना होता है उनके अनुयायी जोर से बोलते है ‘ धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा और बगल में उनकी तस्वीर होती है राम और कृष्ण और दुर्गा को मानने वाले इस महान देश में कलियुग के नए बाबा भगवान के रूप में स्थापित हो रहे है ……… यह इस देश का दुर्भागया ही माना जा सकता है...... यह स्थिति देश की विचारधाराओ को तोड़ रही है जो कही न कही इन बाबाओ के अनुयायियों की जनसँख्या में वृद्धि कर भगवान में आस्था को कमजोर कर रही है </div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-27653659425744954502012-04-05T23:21:00.000-07:002012-04-05T23:21:21.726-07:00क्या वाकई निर्मल ‘ बाबा ‘ है<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">थर्ड आई ऑफ़ निर्मल बाबा कैसी भी समस्या हो समाधान करने वाले बाबा महज़ डेढ़ दो सालों मे लोकप्रियता की बुलंदियों को छू रहे निर्मल बाबा हर समस्या का आसान सा उपाय बताते हैं और टीवी पर भी ‘कृपा’ बरसाते हैं। काले पर्स में पैसा रखना और अलमारी में दस के नोट की एक गड्डी रखना उनके प्रारंभिक सुझावों में से है। इसके अलावा जिस ‘निर्मल दरबार’ का प्रसारण दिखाया जाता है उसमें आ जाने भर से सभी कष्ट दूर कर देने की ‘गारंटी’ भी दी जाती है। लेकिन वहां आने की कीमत २००० रुपये प्रति व्यक्ति है जो महीनों पहले बैंक के जरिए जमा करना पड़ता है। दो साल से अधिक उम्र के बच्चे से भी प्रवेश शुल्क लिया जाता है। हमारा सवाल सीधा है क्या वाकई ” बाबा ‘ है निर्मल चुकी २००० रुपए लेकर जिस तरह से समस्याओं का समाधान करने के दावे किये जा रहे है वह कही न कही इस बात की और इशारा कर रहा है की हमारे देश में इस तरह के बाबा लोग अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे है बल्कि मोटी कमाई भी कर रहे है वही हम भारतीयों को एसी काल्पनिक दुनिया या कहे चमत्कारिक दुनिया की और धकेल रहे है जो न सिर्फ हमारी समस्याओं का समाधान चुटकियो में कर सकते है बल्कि एक जीवित इंसान को भगवान का दर्ज़ा प्रचार के माध्यम से दिलाते है . एक और सवाल उठता है चुकी प्रचार किया जा रहा है की निर्मल “बाबा ” है क्या बाबा लोग समाज को सलाह या उसके उत्थान या अपने प्रवचनों के लिए भारतीय इतिहास में कभी पैसे लिया करते थे . नानक से लेकर गुरु रविदास , गुरु बाल्मिक , या फिर आचार्य चाणक्य ने कभी पैसो या हीरे मोति लेकर समाज को उपदेश या समाज को कोई दिशा नही दिए . हमारे भारतीय समाज में बाबा शब्द को बड़े ही सम्मान से लिया जाता है चुकी बाबा का अर्थ पिता के सामान भी होता है फिर कोई भी निर्मल २००० रुपए लेने के बाद निमल बाबा कैसे हो सकता है ? क्या एसा करके निर्मल “बाबा ” शब्द की गरिमा को ठेस नही पंहुचा रहे है ?</div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-87339472310550558722012-04-05T00:12:00.000-07:002012-04-05T00:12:10.892-07:00क्या वाकई निर्मल ‘ बाबा ‘ है<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">थर्ड आई ऑफ़ निर्मल बाबा कैसी भी समस्या हो समाधान करने वाले बाबा महज़ डेढ़ दो सालों मे लोकप्रियता की बुलंदियों को छू रहे निर्मल बाबा हर समस्या का आसान सा उपाय बताते हैं और टीवी पर भी ‘कृपा’ बरसाते हैं। काले पर्स में पैसा रखना और अलमारी में दस के नोट की एक गड्डी रखना उनके प्रारंभिक सुझावों में से है। इसके अलावा जिस ‘निर्मल दरबार’ का प्रसारण दिखाया जाता है उसमें आ जाने भर से सभी कष्ट दूर कर देने की ‘गारंटी’ भी दी जाती है। लेकिन वहां आने की कीमत २००० रुपये प्रति व्यक्ति है जो महीनों पहले बैंक के जरिए जमा करना पड़ता है। दो साल से अधिक उम्र के बच्चे से भी प्रवेश शुल्क लिया जाता है। हमारा सवाल सीधा है क्या वाकई ” बाबा ‘ है निर्मल चुकी २००० रुपए लेकर जिस तरह से समस्याओं का समाधान करने के दावे किये जा रहे है वह कही न कही इस बात की और इशारा कर रहा है की हमारे देश में इस तरह के बाबा लोग अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे है बल्कि मोटी कमाई भी कर रहे है वही हम भारतीयों को एसी काल्पनिक दुनिया या कहे चमत्कारिक दुनिया की और धकेल रहे है जो न सिर्फ हमारी समस्याओं का समाधान चुटकियो में कर सकते है बल्कि एक जीवित इंसान को भगवान का दर्ज़ा प्रचार के माध्यम से दिलाते है . एक और सवाल उठता है चुकी प्रचार किया जा रहा है की निर्मल “बाबा ” है क्या बाबा लोग समाज को सलाह या उसके उत्थान या अपने प्रवचनों के लिए भारतीय इतिहास में कभी पैसे लिया करते थे . नानक से लेकर गुरु रविदास , गुरु बाल्मिक , या फिर आचार्य चाणक्य ने कभी पैसो या हीरे मोति लेकर समाज को उपदेश या समाज को कोई दिशा नही दिए . हमारे भारतीय समाज में बाबा शब्द को बड़े ही सम्मान से लिया जाता है चुकी बाबा का अर्थ पिता के सामान भी होता है फिर कोई भी निर्मल २००० रुपए लेने के बाद निमल बाबा कैसे हो सकता है ? क्या एसा करके निर्मल “बाबा ” शब्द की गरिमा को ठेस नही पंहुचा रहे है ?</div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-72224931185516959582012-02-11T22:00:00.000-08:002012-02-11T22:00:06.222-08:00देश का प्रधानमन्त्री चुनने का हक़ जनता को हो<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><h1 style="text-align: left;">मेरा मानना है देश का प्रधानमन्त्री चुनने का हक़ सीधे जनता को दिया जाये न की एम् पि मडली को और न ही किसी पार्टी के अध्यक्ष को चुकी एम् पि मडली , और उस पार्टी के अध्यक्ष जिसके पास सत्ता का बहुमत है वह अपनी सहूलियत और अपनी जी हजुरी करने वाले इंसान को पद पर बैठा सकते है या फिर देते है . ऐसे में हमें एक कमजोर जी हजुरी करने वाला नेता पर्धन्मन्त्री के पद पर मिलता है जो न तो जनता की भावनाओ को समझता है और न ही देशहित को चुकी ऐसे व्यक्ति ने न तो जनता के दुःख दर्द को करीब से देखा होता है और न ही राजनीती की उबड खाबड़ को . एसा प्रधानंत्री उस नेता के रहमो -कर्म में दबा होता है जिसने उसे इस पद पर बैठाया है और वह केवल उसी के प्रति जवाबदेह भी होता है एसा इंसान राष्ट्रहित में कोई भी मजबूत फैसला नही ले सकता चुकी वह फैसला लेने में सक्षम ही नही होता और ऐसे प्रधानमन्त्री की गलतियों का खामियाजा देश की जनता को भुगतना पड़ता है और उस राष्ट्र की बहुत अधिक हानि होती है हर स्तर पर वह चाहे कूटनैतिक हो या फिर आर्थिक या फिर राजनातिक उस देश का हर तरीके से पतन निश्चित होता है . इसलिए अब समय आ गया है की देश का प्रधानमन्त्री चुनने का हक़ जनता को दिया जाये ताकि जनता सवयम अपने विवेक से अपना नेता चुन सके देश को एक मजबूत प्रधानमन्त्री मिल सके जिसकी जवाब देहि जनता के प्रति हो न की उसके आका के प्रति , जो भारत को समझता हो जिसका उद्देश्य मात्र अमेरिका के राष्ट्रपति या फ़्रांस के राष्ट्रपति से हाथ मिलाना , फोटो खिचवाना नही हो बल्कि भारत को एक विश्वशक्ति के रूप में स्थापित करना हो जो भारत के हर दुश्मन का मुह तोड़ जवाब दे सके और भारत को आर्थिक स्तर , राजनैतिक स्तर , पर नया मुकाम हासिल करा सके , जो भारत की सभ्यता संस्कृति का भी सम्मान करता हो .कुछ इस प्रकार की वयवस्था भारत में लागू की जाए की जिस तरह से हम एम् पि ,एम् एल इ चुनते है ठीक उसी प्रकार भारत की जनता अपना प्रधानमन्त्री भी चुन सके .</h1></div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-67502541707603032212012-02-10T22:56:00.001-08:002012-02-10T22:56:25.921-08:00भाजपा बेहतर…. से बदतर तक<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">यूपी चुनाव शायद भाजपा का सर्व्निम इतिहास लिख सकता था इस चुनावों के बाद शायद इस देश में हिन्दुत्त्व की राजनीति को बल मिल सकता था और साथ ही संघ या अन्य हिन्दू संघठनो को भी . चुकी इस चुनाव में भाजपा को मुद्दे तलाशने की जरूरत नही पड़ी बल्कि खुद कोंग्रेस , दिग्विजय ने ही दिए थे . पहले कोंग्रेस का यह एलान की मुस्लिमो को साढ़े चार पर्तिष्ट आरक्षण फिर मुलायम का आठारह पर्तिशत कही न कही आम जन में यह सन्देश पहुचा रहे थे की वोटो के लिए धर्मनिरपेक्षता का दम भरने वाली पार्टियाँ किस हद्द तक गिर सकती है और सभी में मुस्लिमो को रिझाने की होड़ है . यही बात कही न कही भाजपा को मजबूत और हिन्दुओ को संघठित कर रहे थे दलित , अगड़े ,पिछड़े ,सरवन सभी को एकजुट भी कर रहे थे जो कही न कही हिन्दू को एक वोट से एक वोट बैंक बनने का एक कदम साबित हो सकते थे . फिर उपर से खुर्शीद का कल का ब्यान जो की बटला पर आया वह भी इस बात की और इशारा करता है की आखिर कोंगेस या सपा को मोहनचंद शर्मा की जगह आतंकियों पर आँसू क्यों आते है ? वही दूसरी तरफ खुर्सिद का यह ब्यान भाजपा को एक मात्र ऐसी पार्टी साबित करने में भी लगा था की भाजपा ही आतंक विरोधी है और भाजपा के हाथ में खुद कोंग्रेसियो ने ही एक और मुद्दा थमाया था .कूल मिलाकर भाजपा पार्टी वर्तमान में सत्ता पर विराजमान बसपा से जो की सबसे मजबूत इस समय बताई जा रही है यूपी में एक कदम आगे चल रही थी कारण मात्र भाजपा द्वारा मुस्लिम अरक्ष्ण का विरोध और बाबू सिंह कुशवाहा का लाभ और उमा भारती फैक्टर , पिछडो को उनका हक़ वापस देने का एलान जो कही न कही भाजपा को दलित हिन्दुओ की हितेषी पार्टी भी साबित कारता है . एक और बात थी जो भाजपा को मजबूत करती थी अब तक ….पार्टी अब के चुनावों में ब्राह्मण ,दलित ,राजपूत ,वश्य सभी को साथ लेने में भी काफी कामयाब रही . लेकिन ,लेकिन ,लेकिन एन समय में योगी आदित्य नाथ जो की भाजपा का एक बड़ा चहरा है उनकी वजह से भाजपा को भारी नुक्सान उठाना पड़ सकता है जिस तरह से इस बार मुस्लिम वोट बटेगा चुकी इस बार की स्थिति में मुस्लिम मतदाता असमंजस की स्थिति में है की वह किसे वोट दे चुकी इस बार कई ऐसी पार्टिया भी मैदान में है जो मुसलमानों की ही है .उसी तरह से भाजपा की लाख कोशिशो के बावजूद भी हिन्दू वोट बैंक भी बटेगा . कारण पहला यह की योगी आदित्य नाथ की पार्टी जो की हिन्दू वाहिनी है वह ठीक उस तरह का काम करेगी जो काम महाराष्ट्र में राज ठाकरे ने शिवसेना और बीजेपी के साथ किया था जिसका फायदा एन सि पि और कोंग्रेस को हुआ था यानी वोट बातु ,वोट तोडू . ठीक उसी तरह से हिन्दू वोटर भी भाजपा या हिन्दू वाहिनी दोनों में बटेगा वही कल्याण सिंग भी बीजेपी के लिए सर दर्द बन सकते है जो वोटो का ध्रुविकर्ण करने में अहम रोल निभाएंगे . कल्याण और योगी ही वह फैक्टर साबित हो सकते है जो यूपी में मजबूत होती भाजपा को बेहतर से बदतर की स्थिति में ला सकते है . कूल मिलाकर जिस कमल को यूपी में खिलाने के लिए उमा ,बाबू सिंह , आरक्षण विरोध , हिंदुत्व का सहारा गडकरी और उमा ने लिया था अब उनकी इस मेहनत पर पलीता लग सकता है जो पार्टी इस चुनावों में ९५ से ११० सीटे जीत सकती थी वही भाजपा पार्टी ७५ से ९० सिटो तक सिमट सकती है .</div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-26642742776045776702012-02-05T21:37:00.000-08:002012-02-05T21:37:22.280-08:00कल्कि अव्र्तार है सुब्रमन्यम स्वामी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">हम जिसका कर रहे थे इंतज़ार<br />
वह आ ही गये अब की बार<br />
दुष्टों का करने संहार<br />
भ्रष्टो का करने उद्धार<br />
वह फिर से लड़ रहे है<br />
कर्म का सन्देश दे रहे है<br />
युद्ध कर रहे है<br />
बिना शस्त्र ,बिना तलवार<br />
न हाथो कोई बंदूक है<br />
न कोई है हथियार<br />
फिर भी वह अकेले लड़ रहे<br />
वही है इस युग के कल्कि अवतार<br />
भ्रष्टो की पूरी की फोज़ है<br />
कलमाड़ी , ,शीला ,राजा, कनिमोझी<br />
वह अकेले है ,न हाथ में तलवार ,न ही कोई हथियार<br />
सच्चाई की ,संघर्ष की ताकत है उनके पास<br />
वही है दुसरे कल्कि अवतार<br />
<div style="text-align: left;">डरे हुए सहमे हुए देशवासियों में </div><div style="text-align: left;">जोश वो जगा रहे </div><div style="text-align: left;">अकेले है ,एक है पर कर रहे </div><div style="text-align: left;">जो सो ,सो नही कर सके </div>अब मान लो तुम भी ये बात<br />
अब मान लो तुम भी ये बात<br />
कल्कि अव्र्तार है सुब्रमन्यम स्वामी<div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;"> </div></div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-73389446506508935632012-02-03T02:10:00.000-08:002012-02-03T02:10:14.094-08:00क्या वाकई हिन्दू मुस्लिम भाई -भाई ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;">आपने बचपन से आज तक नजाने कितनी बार सूना होगा की हिन्दू मुस्लिम भाई -भाई किताबो में ,इश्तिहारो ,अखबारों ,बैनरों में देखा होगा . लेकिन क्या वाकई हिन्दू मुस्लिम है भाई -भाई . बटवारे के बाद से नेताओं और पुस्तको और संतो ने हमें पाठ पढ़ाया है की हिन्दू मुस्लिम भाई – भाई है .लेकिन मेरा मानना एसा नही है आजादी के बाद या फिर पहले जितने भी दंगे फसाद हुए है है वह हिन्दू -मुस्लिम के बीच सबसे ज्यादा हुए है .बेशक से हिन्दू और मुसलमान का खून एक जैसा है ,बेशक से दोनों के ही शरीर में एक आत्मा है ,बेशक से सबका मालिक एक है लेकिन फिर भी दोनों की ही संस्कृतिया अलग -अलग है ,भाषा अलग है रहन सहन अलग है ,शिक्षा अलग है ,जीवन शैली अलग है ,संस्कार अलग है . एसा मात्र किताबो में ही शोभा देता है की हिन्दू -मुस्लिम भाई -भाई लेकिन असल जिन्दगी में स्थिति बिलकुल इसके उल्ट है . एक समुदाय सर्व धर्म की बात करता है मंदिर , मस्जिद गुरुद्वारों ,गिरिजाघरो ,नदियों ,पत्तो , पक्षियों , कीड़े मकोडो में इश्वर का रूप देखता है और वही दुसरा समुदाय एकेश्वरवाद के सिधान्तो पर चलता है और उसे मानता है और बाकियों मूर्तिपूजको को काफिर मानता है . सच मानिए तो दोनों की ही शिक्षा -सभ्यता अलग अलग है विचार अलग है .एक समुदाय विकास के लिए देश की उन्नति के लिए प्रयत्नशील है वाही दुसरा समुदाय जनसंख्या परिवर्तन के लिए प्रयासरत है , मत परिवर्तन ,धर्मपरिवर्तन ,सत्ता परिवर्तन के लिए प्रयासरत है . एक समुदाय विदेशी हमलो , इस्लामिक षड्यंत्रों ,हमलो के बावजूद भी सहनशील है दुसरा समुदाय देश को दारुल इस्लाम बनाने पर प्रयासरत है .इस छद्म भैवाद ने आखिर हमें दिया क्या है ? अपने ही देश में शरणार्थी काश्मीरी ब्राह्मण या फिर हिंदी चीनी भाई -भाई जैसे खोखले नारे ? क्या इन सभी हालातो को देखकर लगता है की कभी हिन्दू -मुस्लिम भाई -भाई हो सकते है ? जरा सोचिये</div></div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-87525125929016470972012-02-01T22:51:00.001-08:002012-02-01T22:51:56.002-08:00क्या कचरे का डब्बा है बोलीवूड ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">फिल्मे समाज का आइना होती है समाज की सच्चाई को बयाँ करती है सही मानिए तो फिल्मो नाटको का हमारे जीवन पर बहुत गहरा असर पड़ता है लेकिन आज यह फिल्मे हमारे समाज को किस और ले जा रही है आइये पड़ताल करते है .<br />
तीन घंटे एक अँधेरे होल में एक सक्रीन से चिपकने के बाद हर एक दर्शक उन किरदारों से जुड़ जाता है वह काफी भावनात्मक हो जाता है वही किरदार उसके जीवन पर भी असर डालने लगते है . जिस तरह से भारतीय दर्शक पुरानी फिल्मो से यह सिख लेते थे मेरे देश की धरती सोना उगले ……..और इस गीत को गुनगुनाते थे और अपने भारतीय होने पर खुद को गर्वान्वित महसूस करते थे . उसी प्रकार आज के दर्शक शीला की जवानी …….मुन्नी बदनाम हुई जैसे अभद्र गीत गुनगुनाते है और ठीक वही स्टेप्स भी सीखते है . जिस प्रकार पहले यह डाइलोग चलता था ‘ प्राण जाए पर वचन निभाए ठीक ‘ ठीक इसी प्रकार आज भारतीय दर्शको के दिमाघ में इमरान हाश्मी के हिरोइन पर चुम्बन दृश्य हावी होते है और कही न कही उस फिल्म के अभद्र किरदारों की जीवन शैली की छाप दर्शको की जीवन शैली पर भी पड़ती है .जहा पहले की फिल्मो से देशभक्ति का जज्बा पैदा होता था वही आज की फिल्मो से दर्शको में सेक्स के प्रति उत्सुकता पैदा होती है जिसके कारण हमारी जीवन शैली में बदलाव आ रहा है जिस तरह फिल्मो में एक हीरो दो या तीन गर्ल फरैंड रखता है वैसे ही आज का युवा भी वैसा ही करता है दो तीन लडकिया पटना उसका धर्म बनकर रह गया है और प्रेम की परिभाषा ही बदलकर रह गयी है . जैसे आज की फिल्मो में रुपया कमाने के शोर्ट तरीके अपनाये जाते है वैसे ही आज का युवा भी पैसा तेज़ी से कमाना चाहता है जिसके कारण समाज में बलात्कार , चोरी ,डकैती , सट्टेबाजी जैसे अपराध बढ़ रहे है . आज का बोलीवूड न तो ज्ञान का महत्व समझता है और न ही विज्ञान का ,न तो पारिवारिक रिश्तो का और न ही दोस्ती का बल्कि यह एक ऐसी सेक्स ,अभद्र कोमेडी की प्रयोगशाला बनकर रह गया है जिसका उद्देश्य न तो सामाजिक मुद्दों को उठाना है और न ही समाज को एक दिशा देना है यह केवल मुनाफा खोरो की दूकान बनकर रह गया है जिसे या तो सेक्स परोसकर या फिर अभद्र ‘ देल्ली बेली जैसी मर्डर मिस्ट्री जैसी अश्लील फिल्मे दिखाकर मुनाफा कमाना है चाहे इससे देश का कितना ही नुक्सान क्यों न हो देश के भविष्य पर कितना ही मनोवैज्ञानिक मानसिक गलत प्रभाव क्यों न पड़े .अभी कुछ दिन पहले की ही बात है कलर्स चैनल पर सक्रीन अव्र्ड्स का शो था उसमे शारुख खान विधा बालन से कहता है की मुझे जो चीज़ चाहिए उसका मजा रात में ही है ‘ इस तरह के असभ्य डाएलोग को सुनकर ही पता लग सकता है की बोलीवूद का स्तर कितना गिर चुका है . जिस देश ने शाहरुख़ खान को इतना बड़ा सुपर स्टार बना दिया वही शाहरुख़ खान एक ऐसे चैनल पर ऐसे असभ्य शब्दों ,संस्कृति तोडू शब्दों का इस्तेमाल कर रहा है जिसे भारत में बहुत से परिवार एक साथ बैठकर भी देख रहे हो सकते है लेकिन शःरुख्खान के असभ्य बोलो ने चैनल को टी आर पी दिलाने में कोई कसर नही छोड़ी होगी एसा माना जा सकता है इसलिए शाहरुख़ हो या कोई और एक्टर मुनाफे के लिए किसी भी हद्द तक जा सकता है . कूल मिलाकर कचरे का डब्बा बनकर रह गया है बोलीवूड और इसमें काम करने वाले बहुत से एक्टर और एक्टर्स उसका हिस्सा है जिनका उद्देश्य मात्र पैसा कमाना रह गया है किसी भी कीमत पर और एसा करते – करते बोलीवूड भारतीय संस्कृति , भारतीय पारिवारिक ढांचे , धार्मिक भावनाओं , जातीय भावनाओं , भारत के भविष्य के साथ भारी खिलवाड़ का रहा है जाने अनजाने ही सही .</div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-17402683718888065722012-01-29T01:27:00.000-08:002012-01-29T01:29:05.033-08:00अन्ना की चापलूसी में लिप्त क्यों है मीडिया<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br />
<div class="cont980"><div class="greycurmiddle"><div style="padding: 1px 8px 3px 10px;"><div class="blue660"><br />
</div><div class="blue300"><div class="pA10"><a href="http://static-avatars.jagranjunction.com/avatar/user-1639-96.png" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img alt="" border="0" class="avatar avatar-96" height="96" src="http://static-avatars.jagranjunction.com/avatar/user-1639-96.png" width="96" /></a><div class="imgCont"> </div>न्यूज़ चैनल आजकल पता नही किस लफड़े में पड़ गये है जहा अन्ना वहा मीडिया . खबरे कुछ ऐसी , अन्ना कराएंगे आयुर्वेदिक इलाज़ , अन्ना कर रहे है गाव में आराम , अन्ना हजारे की तबियत बिगड़ी , अन्ना ने कहा इस देश में लोकशाही नही है , अन्ना नही करेंगे राहुल -सोनिया के घर के बाहर धरना . पता नही क्यों ये मीडिया वाले अन्ना पर मेहरबान है ? पता नही क्या दे दिया है अन्ना ने मीडिया वालो को या फिर जहा से ये सब चलते है उन लोगो को ? आम जनता को इस बात से क्या लेना देना की अन्ना अंगेजी दवाई खाए या फिर देसी , क्या बेहूदा खबर है यह .अन्ना नही देंगे राहुल -सोनिया के घर के बाहर धरना लेकिन क्यों ? ये पूछा किसी मीडिया वाले ने ? पता नही अन्ना ने मीडिया को क्या दे दिया है की मीडिया में लगातार अन्ना छाए है ? मै तो समझता हूँ हमारे मीडिया चैनल्स को अन्ना की चिंता छोड़ देश की चिंता करनी चाहिए . अन्ना हजारे की उम्र के इस देश में बजुर्ग लोग जाड़े की वजह से मर रहे है चुकी उनके पास कम्बल नही है रजाई नही है ,घर नही है , दो वक्त की रोटी नही है लेकिन ये मीडिया वाले उस अन्ना का गुणगान कर रहे है उस अन्ना को सहानुभूति दिला रहे है जिसके पीछे देश के बड़े बड़े डाक्टर है . जिस इंसान के पास सब कुछ है उसी को देशवासियों के सामने बेचारा साबित करने में लगे है ताकि कुछ छवि मीडिया की भी सुधर जाए और अन्ना को फिर से लोकप्रियता का बादशाह बना दिया जाए . लेकिन इसके पीछे की एक और चाल है जिस वजह से अन्ना का चापलूस बन गया है मीडिया बाबा रामदेव की लोकप्रियता को तोड़ना . लेकिन इन लोगो यानी हमारे मीडिया बंधुओ को इतना समझना होगा की कितनी भी चापलूसी से आप लोग अन्ना को इस देश का न हीरो बनाने की कोशिश कर लो लेकिन अब इस देश की जनता सेकुलर मीडिया और सेकुलर अन्ना के जाल में नही फसेगी . </div></div></div></div></div></div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-44371216865124964742012-01-25T22:34:00.001-08:002012-01-25T22:34:54.524-08:00क्या अब भारत इस्लामिक कट्टरपंथियों के इशारे पर चलेगा ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">सलमान रुश्दी खबरों में है कारण उनकी ( द सटेनिक वर्सेज ) विवादित किताब यही वह किताब है या फिर इसके कुछ अंश है जिसकी वजह से देश में बवाल उठ गया है . इस्लामिक कट्टरपंथी लगातार हिंसा की धमकी दे रहे है और केंद्र से लेकर राजस्थान सरकार दबाव में है इसी वजह से उनका जयपुर दोरा रद्द हुआ यहाँ तक की उनकी विडिओ कोंफ्रेसिंग भी . लेकिन एक बात मेरे और तमाम देशवासियों के मन में चल रही है की आखिर भारत सरकार इस्लामिक कट्टरपंथियों के दबाव में क्यों है ? क्या भारत सरकार वोट बैंक की निति के तहत काम कर रही है ? क्या भारत सरकार या राजस्थान सरकार रुश्दी को सुरक्षा देने में विफल है ? क्या भारत सरकार हमारे देश में किसी भी हिंसा से निपट पाने में पुलिस ,सेना को निपटने में सक्षम नही मानती ? ऐसे तमाम सवाल है मेरे मन में और तमाम देशवासियों के मन में जो भारत सरकार और राजस्थान सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाते है . एक और सवाल है मेरे मन में जो शायद सबसे ज्यादा सशक्त और महत्वपूर्ण है<br />
क्या अब भारत इस्लामिक कट्टरपंथियों के इशारे पर चलेगा? यह वह सवाल है जो शायद भारत को धीरे – धीरे ही सही तालबानी क़ानून , परम्पराओं ,संस्कृति के नजदीक ले जाता दिखता है .चुकी इस तरह के फतवे , अभिव्यक्ति की आवाज को दबाना , आजाद भारत में जायज नही है आज सलमान रुश्दी पर कट्टरपंथियों के दबाव में सरकार है कल किसी और मामले में होगी . कभी वन्दे मातरम , तो कभी ग से गणेश पर विवाद , तो कभी रेलगाड़ी के आगे शुभारम्भ पर नारियल फोड़ने पर विवाद , आखिर यह सब कब तक चलेगा कब तक दबाव सहेगी भारत सरकार ?</div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-33381487758630191722012-01-21T22:13:00.000-08:002012-01-21T22:13:28.867-08:00इस्लामिक धर्मगुरूओ का दोहरा रवैया<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">सलमान रुश्दी के भारत आने की खबर क्या चली की इस्लाम के धर्म गुरुओ ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया और सरकार पुलिस भी उनके दबाव में दबती गयी कारण वोट बैंक की राजनीति . लेकिन कारण जो भी हो यहाँ एक बात गोर करने लायक है जिस तेवर से इस्लाम के धर्म गुरुओ ने सलमान रुश्दी की आवाज को दबाया है वही आवाज , वही तेवर वह आतंक को दबाने में क्यों नही लगाते ? वही तेवर वह कसाब और अफजल जैसे आतंकियों को फ़ासी पर लटकाने के लिए सरकार को क्यों नही दिखाते ? क्यों सरकार पर दबाव नही बनाते की बार -बार ला एंड ऑर्डर के नाम पर अफजल की फ़ासी की सजा को लंबा खीचना इस्लाम की , मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुचाना है ? इससे आम भारतीयों की नजर में मुसलमानों की छवि को ठेस पहुचती है क्यों नही कहते ये सब सरकार से ? जब – जब कभी तसलीमा नसरीन या फिर सलमान रुश्दी जैसे लेखक इस्लाम के कुछ मुद्दों से असहमत होते है तब – तब उनके खिलाफ फतवे निकलते है उन्हें जान से मारने की धमकिया मिलती है लेकिन जब एम् ऍफ़ हुसैन जैसे लोग जिस देश की खाते है उसी देश की संस्कृति को ठेस पहुचाते है तब इस्लामिक धर्मगुरु कहा होते है ? जब लव जेहाद का खेल सामने आता है तब कहा होते है इस्लामिक धर्म गुरु ? आखिर क्यों मुसलमानों को नही समझाते की गौ वध हिन्दुओ की धार्मिक भावनाओं का अपमान है ? आखिर क्यों त्योहारों पर गौ वध या गौ बलि पर प्रतिबंध नही लगवाते ? आखिर क्यों काश्मीर में तिरंगा न फहराने देने का विरोध का करते , आखिर क्यों कर्नाटक के ईदगाह मैदान में तिरंगा न फहराने देने का विरोध करते ? आखिर क्यों धर्म आधारित आरक्षण का विरोध नही करते ? आखिर क्यों आर्थिक आरक्षण की वकालत नही करते ? अकेले सलमान रश्दी का विरोध , तसलीमा नसरीन का विरोध करके वह इस्लाम की छवि को सुधार सकते है ? क्या किसी की अभिव्यक्ति को दबाकर इस्लाम को चार चाँद लग सकते है ? आखिर चाहते क्या है इस्लामिक धर्म गुरु क्या यह उनका दोहरा रवैया नही है जो केवल इस्लाम , इस्लाम और केवल इस्लाम पर ही उन्हें इन्साफ नाइंसाफी की याद दिलाता है भले ही कानून को ताक पर क्यों न रखना पड़े ?</div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-12338612551927078542012-01-21T00:46:00.000-08:002012-01-21T00:46:01.505-08:00क्या है चुनावी मुद्दा जन्लोपाल ,काला धन या फिर ...अपनी जात<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">वह घडी नजदीक है जिस घडी का सभी को इंतज़ार था खासतोर पर उन प्रदेशो की जनता को जहा यह चुनाव होने है . चुनावों से बहुत पहले से ही हमारे देश में भर्ष्टाचार और काला धन एक मुद्दा था लोग इन्ही मुद्दों से तंग आकर सडको पर निकले थे . यह देश की युवा पीढ़ी ने पहली बार देखा था की कोई गैर राजनैतिक संगठन इतने बड़े आन्दोलन की अगुवाई कर रहा था . पहले बाबा रामदेव बाद में टीम अन्ना दोनों ने ही भर्ष्टाचार के मुद्दे पर देश को जागरूक किया . लेकिन दोनों ही आन्दोलन सरकार ने विफल कर दिए लेकिन इस बात से इनकार नही किया जा सकता की भारत की जनता के मन में भर्ष्टाचार और विदेश में पड़े लाखो करोड़ रुपयों को लेकर गुस्सा है और वह चाहती है की देश में भ्रष्टाचार न हो काला धन वापस आये . लेकिन भारत में जैसे जैसे चुनाव करीब आते है वैसे – वैसे राजनीतिग्य अपने -अपने दाव चलने लगते है कोई मुफ्त शिक्षा के नाम पर , कोई साइकल के नाम पर , तो कोई मुफ्त कम्प्यूटर के नाम आम जनता के वोट अपनी झोली में लाना चाहता है . लेकिन राजनेताओं का असली तुरुप का पत्ता सिद्ध होता है जातीय फैक्टर यह वह फैक्टर है जो आपको जीत का मन्त्र देता है . उम्मीदवार चाहे कितना भी दागी हो ह्त्या के उस पर आरोप हो लूट -मार उसका पेशा हो भार्श्त्चार के कितने ही आरोप उस पर लगे हो लेकिन उसकी जीत तब लगभग सुनिश्चित हो जाती है जब उसकी जाती का उस क्षेत्र में दब -दबा हो जहा से वह चुनाव लड़ रहा होता है . तब यह मुद्दे कही गुम से हो जाते है सुशासन , सवच्छ शासन , भ्रष्ट मुक्त शासन , काला धन , जन्लोक्पाल और तब देशभक्ति की भावना भी जाती के प्रभाव के निचे कही दब जाती है देश प्रदेश के नेता फिर से अन्ना या बाबा रामदेव जैसे भ्रष्टाचार से लड़ने वाले नायको को ठेंगा दिखाकर कुर्सी हतियाने में कामयाब हो जाते है ,फिर से वही भ्रष्टाचारी ,लूटपाट के आरोपी , बलात्कार के आरोपी हमारे सिस्टम का एक हिस्सा बन जाते है .किसी को कैबिनेट में जगह तो किसी को मुख्य संसदीय सचिव जैसे पद दे दिए जाते है और पूरे पांच साल तक वही लोग देश या प्रदेश की जनता को खून के आंसू रुलाते है . अपने यार – दोस्त , रिश्तेदारों को गुंडा गर्दी का खुला लाइसेंस इन्ही लोगो की वजह से ही मिलता है . इस बार के विधान सभा के चुनावों में भी कुछ एसा ही है अन्ना और बाबा रामदेव की मेहनत पर पानी फेरने का मन लगभग सभी राजनातिक दलों ने बना लिया है और वह उसी फार्मूले को अपना आधार बना कर चुनाव लड़ रहे है जिसे वह पहले आधार बना कर चुनाव लड़ते आये है राजनीति में जातिवाद अथवा जाती की राजनीति . वह फिर से देशवासियों , प्रदेशवासियों को राजपूतो , ब्राह्मणों , जाटो , दलितों , मुस्लिमो के नाम पर बाटने में लगे है .उनका लक्ष्य एक ही है मात्र सत्ता…. किसी भी कीमत पर . जिस क्षेत्र में राजपूत अधिक है वहा राजपूतो को टिकेट मिलेगी , जहा जाट अधिक है वहा जाटो को और जहा दलित अधिक है वहा दलितों को और जिस क्षेत्र में मुस्लिम अधिक है वहा मुस्लिमो को . जनता भी एक बार फिर जातीय भावनाओं में बहकर उसे ही वोट देगी जो उसकी जाती धर्म से ताल्लुक रखता है चाहे वह कितना ही बड़ा अपराधी क्यों न हो . बेशक से उनका गाव ,शहर , राज्य पिछड़ता रहे लूट अपराध का बोल -बाला प्रदेश में चलता रहे . चुकी राजनीति में जातिवाद भारत में एक कडवी सच्चाई है और यही सच्चाई राजनातिक दल समझते है तभी हर उम्मीदवार जाती के गुना भाग से तय होता है और हर बार मतदाता उन्हें वोट देकर सत्ता सोपकर पछताता है चुकी हर बार योग्यता , इमानदारी ,सवच्छ छवि पर भारी पड़ती है ………अपनी जाती</div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-33113084135496546662012-01-19T22:14:00.000-08:002012-01-19T22:14:53.155-08:00हिन्दू संघठन साधू संत हिन्दू समाज में बदलाव करे<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: left;"> </div><div class="cont980"> <div class="greycurmiddle"> <div style="padding: 1px 8px 3px 10px;"> <div class="blue660"> <div class="blogtitledesc"> <div class="pA10"> <h2>ajad log </h2><div class="btxt16 mR10">Just another weblog</div></div></div><div class="blogstatsinfo"> <div class="pA10 engtxt"> 114 Posts<br />
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</ul><span class="cb"></span> </div>आज जिस तरह से हिन्दुओ को दलित ,राजपूत , ब्राह्मण , बनिया , पंजाबी ,मराठी , जाट के नाम पर बाटा जा रहा है . जिस तरह से दलितों को हिन्दू से अलग दिखाने , राजपूतो को सर्व्नो से अलग दिखाने , सवर्णों को हिन्दू से अलग दिखाने . हिन्दू धर्म के रीती -रिवाज ,कर्म – काँडो को ढोंगी ,दकियानूसी बताने , हिन्दू त्योहारों को अंधविश्वास बताने , हिन्दुओ को ओरत विरोधी समाज बताने का प्रयास किया जा रहा है उससे निपटने के लिए हिन्दू संघठनो को कुछ जरुरी उपाय तेज़ी से करने होंगे नही तो हिन्दू समाज बुरी तरह से टूट जाएगा और भारत फिर से विभाजन का दंश झेलने को मजबूर होगा और हिन्दू जाती का भारी नुक्सान होगा .इसलिए आर एस एस , वि एच पि , बजरंग दल और साधू संत हिन्दुओ को संघठित करने के लिए यह जरुरी बदलाव करे . <br />
१ हिन्दू मरीज एक्ट में बदलाव के लिए शांतिपूर्वक आन्दोलन – आज जिस तरह से हिन्दुओ को तलाक लेने में समय लगता है तलाक की कारवाई किस कद्र लम्बी चलती है यह इस बात से जाना जा सकता है की एक इंसान की आधी उम्र तक गुजर जाती है तलाक लेने दोबारा घर बसाने में जब की अन्य धर्म जैसे इस्लाम में इतना समय नही लगता इस वजह से कुछ लोग हिन्दू धर्म को न चाहते हुए भी त्याग देते है अथवा धर्म परिवर्तन कर लेते है . इस तरह की समस्या से निपटने के लिए सभी हिन्दू संघठन , साधू संत देश की जनता को एक मंच पर लेकर आये और कोई शांति पूर्वक आन्दोलन चला कर इस एक्ट में बदलाव के लिए आवाज उठाये<br />
२ जिस तरह से सरकार मुस्लिमो को आरक्षण दे रही है उससे न सिर्फ दलित हिन्दुओ में अपितु सर्वण हिन्दुओ में भी नाराजगी है अतः इससे बेहतर मोका हिन्दुओ को संघठित करने का उन्हें जागरूक करने का नही हो सकता लेकिन इसमें किसी एक पार्टी एक दल का योगदान काफी नही है इसलिए देश के हर देशभक्त साधू संत , को इसमें अपना योगदान देना होगा<br />
३ जहा जहा हिन्दू असंतुष्ट है अथवा जिस भी राज्य क्षेत्र में उन्हें अब तक हिन्दू संघठन दल या किसी राजनैतिक दल में महत्व पूर्ण पद नही मिला है वहा , वहा उन्हें संतुष्ट करने उन्हें अपने साथ लेने की कोशिश तेज़ी से हो .<br />
४ अंतरजातीय विवाह – अंतरजातीय विवाह में जिस तरह से लड़ाई जह्ग्दे होते है उनका विरोध किया जाये और हिन्दू समाज को यह समझाया जाए की आखिर यह जातिवाद हमें गुलामिकाल में ही मिला है न की जातिवाद हिन्दुओ में शुरू से फैला हुआ है ताकि विदेशी पैसे से हिन्दुओ का धर्म परिवर्तन न हो सके और अंतरजातीय विवाहों का स्वागत किया जाये जिससे हिन्दुओ का आपसी रिश्ता कायम हो सके और उंच नीच जातिवाद की दीवार को तोड़ा जा सके .<br />
५ गुरु बाल्मिक ,रविदास जी की जयंती न सिर्फ धूमधाम से मनाई जाए बल्कि उसमे हिन्दू संघठनो के भी बड़े पदाधिकारी ,कार्यकर्ता का भी सहयोग हो ताकि समाज जातिवाद से उपर उठे .<br />
५ गुरु बाल्मिक ,रविदास जी की जयंती न सिर्फ धूमधाम से मनाई जाए बल्कि उसमे हिन्दू संघठनो के भी बड़े पदाधिकारी ,कार्यकर्ता का भी सहयोग हो ताकि समाज जातिवाद से उपर उठे .<br />
६ हिन्दू त्योहारों होली , दिवाली , कुम्भ , का धार्मिक महत्व ही नही वज्ञानिक दृष्टि से महत्व भी समझाया जाए ताकि आने वाली पीढ़ी को चर्च पोषित मीडिया इस भरम में न डाल पाए की हिन्दू त्यौहार अंधविश्वास है रुढ़िवादी है .<br />
७ वर्त त्योहारों का महत्व सम्ज्झाया जाए और यह भी समझाया जाए की कर्वाचोथ , रक्षाबंधन नारी के सम्मान के लिए है न की उसे प्रताड़ना देने के लिए चुकी आजकल हिन्दुओ को ओरत विरोधी बताने का परचार तेज़ी से हो रहा है .<br />
</div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-64856360494737809612012-01-18T23:02:00.000-08:002012-01-18T23:03:47.607-08:00बाबा रामदेव जी टीम अन्ना से सावधान<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">मित्रो , अब फिर से अन्ना टीम उस जहाज की सवारी करने को बेकरार है जिस जहाज ने उसे सम्पूर्ण भारत का हीरो बनने का मोका दिया .लेकिन उसी जहाज को टीम ने हाइजैक करने काम भी किया और उस जहाज की दिशा को तो न मोड़ पाए लेकिन देश की दशा को जरुर तोड़ -मोड़ दिया . लेकिन हर बनावटी चीज़ का अंत होता है सो अन्ना हजारे और उनकी लोकप्रियता का भी अंत हो गया . लेकिन अन्ना की टीम है की लगातार सुर्खियों में बने रहना चाहती है और वह फिर से उसी जहाज पर बैठने की कोशिशो में लगी है जी हां वह जहाज है बाबा रामदेव जिनकी चरण वंदना करके टीम अन्ना उनके मंच पर पहुची और देश को खुद का चहरा दिखाया और बाबा की लड़ाई को कमजोर किया और देश को एक जन्लोक्पाल पर लटकाया . उसका नतीज़ा यह हुआ की यह देश आज त्राहिमाम -त्राहिमाम कर रहा है .लेकिन इतना सब करके भी लगता है टीम अन्ना का मन नही भरा उसे इस बात का कोई अहसास नही लगता की देश के साथ उन्होंने गलत किया उन्हें तो बस खुद फिर से एक हीरो बनाना है जनता की नजरो में . तभी तो ठीक उस समय वे लोग बाबा रामदेव जी का हाथ थामने उनके मंच पर चढ़ने के लिए बेकरार है जिस समय बाबा की स्वाभिमान यात्रा की पूरे देश में धूम है और बाबा फिर से एक नायक की तरह उबर रहे है लेकिन यह एन जी ओ मण्डली पता नही इसे क्या भय सता रहा है की फिर से बाबा के आन्दोलन में घुसपैठ करना चाहती है . लेकिन अपनी तो बाबा रामदेव जी को एक ही सलाह है की इस बाबा गलती न करे चुकी उनकी एक गलती की सज़ा उन्हें और इस देश क भुगतनी पड़ सकती है इसलिए बाबा इनका समर्थन बेशक ले लेकिन इन्हें मंच पर एक हीरो न बन्ने दे इन्हें भी आम आदमी की तरह मंच से नीचे ही बैठाया जाए ताकि आन्दोलन को इसी प्रकार का कोई नुक्सान न हो नही तो पता नही कल को फिर से ये लोग जन्लोक्पाल के मुद्दे या फिर किसी और मुद्दे पर देश की जनता को गुमराह करे और देश का भत्ता बिठाये . <br />
<div class="ratearticle engtxt txt13"><div class="ratepad"><b><br />
</b></div></div></div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-26775008073828563882012-01-10T22:08:00.001-08:002012-01-10T22:08:24.738-08:00किस हक़ से हिन्दुओ के वोट मांगते हो ?<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">मित्रो जब भी चुनाव आते है तभी ये सभी राजनैतिक पार्टिया मुस्लिमो को पटाने में लग जाती है सभी पार्टिया ऐसी तुष्टिकर्ण पर उतारू हो जाती है की हिन्दुओ के हित मारने लगती है उनके हक़ छिनने लगती है . जहा एक और धर्मनिरपेक्ष पार्टियों में होड़ लगी है मुस्लिमो को आरक्षण देने की वही होड़ लगी है हिन्दुओ के हको को मारने की . कोई साढ़े चार पर्तिशत आरक्षण देता है तो कोई नो पर्तिशत की घोषणा करता है और कोई अठारह पर्तिशत आरक्षण देने की वकालत करता है . लेकिन इस सारे आरक्षण की राजनीति के खेल में आम हिन्दू का हक़ छिना जा रहा है चुकी यह आरक्षण अनुसूचित जातियों के कोटे में से ही दिया जा रहा है .पहले हमारे प्रधानमंत्री जी ये खुले आम कह चुके है की देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों का है .ये सभी लोग सत्ता की सीधी तक हिन्दुओ के वोटो से ही पहुचते है जैसे मुलायम सिंह यादव वोट बैंक , मायावती दलित वोटबैंक और अन्य हिन्दू वोट , कोंग्रेस ,सभी हिन्दुओ के वोट तो मांगते है पर हिन्दुओ के वोटो के सहारे सता में आकर हिन्दुओ की अनदेखी करते है उन्हें आतंकी कहते है उनके धर्म को अपमानित करते है ,शहीदों का अपमान करते है , यदि कोई हिन्दू दंगे में मारा जाय तो ये ऐसे नाक सिकोड़ लेते है जैसे कोई आतंकी मारा गया है लेकिन मुस्लिम पर कुछ भी आंच आ जाए तो ये लोग आसमान को सर पर उठा लेते है . जैसे इन्हें हिन्दू शब्द , हिन्दू संस्कृति से ही नफरत हो जैसे इनका एकमात्र लक्ष्य हिन्दुओ को कमजोर करना हो . फिर किसलिए ये लोग हिन्दुओ के वोट मांगते है जब की इनका लक्ष्य मुसलमानों को अधिक से अधिक सब्सिडी देना , हिन्दू के टैक्स से मदरसे बनवाना , अधिक से अधिक मुसलमानों को सुविधाए देना क़ानून के तहत. आखिर किस हक़ से ये हिन्दुओ के वोट मांगते है जब की इन्हें हिन्दुओ को किसी किस्म का कोई लाभ देने की कोई इच्छा ही नही है .</div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5218509442263180053.post-66678061673693263922012-01-09T02:56:00.000-08:002012-01-09T02:56:52.970-08:00धर्मपरिवर्तन पीठ में चुरा घोपने के सामान<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">कल मै बोर्डर फिल्म देख रहा था फोजियो की ज़िन्दगी को जानने और देशप्रेम की भावना को जगाने के लिए बहुत ही सुंदर तरीके से इस फिल्म का निर्माण किया गया है . इस फिल्म को देखने के बाद पता लगता है की कैसे हमारे सैनिक बर्फ में तपतपाती रेत में रहकर देश की रक्षा करते है . खुद की जान की भी फ़िक्र न कर धरती माँ के लिए शहीद हो जाते है लेकिन मेरे मन में एक ख्याल एक दर्द उस फिल्म को देखते -दखते लगातार चल रहा था की फोजी लोग अपनी जान पर खेल रहे है लेकिन नेता लोग देश में ही अलगावाद की परिस्थितियों को जन्म दे रहे है लगातार वोट बैंक की निति के चलते धर्मपरिवर्तन को बढ़ावा दे रहे है , एक नहीं कई विभाजनो की नीव इस देश में डाल रहे है . एक फोजी अपनी धरती माँ के लिए लड़ रहा है लेकिन पीछे से उसी के घर को ही कमजोर करने की साज़िश रची जा रही है . एक फोजी इस्लामिक जेहादियों से लड़ रहा है और दूसरी और ये नेता मुस्लिम वोट बैंक को अपने पक्ष में रखने के लिए लगातार हिन्दू स्वाभिमान पर चोट कर रहे है उसे आतंकी बता रहे है . जो लोग जबरन धर्मपरिवर्तन करा रहे है या फिर बहला फुसला कर धर्मपरिवर्तन करवाने में लगे है जिनका मकसद इस देश को इस्लामिक रंग में रंगना है उन लोगो का साथ दे रहे है मुझे लगा की ये उनकी शहादत का अपमान है यह पीठ में चुरा घोपने जैसा है . यह ठीक उसी प्रकार है जैसे युद्ध में किसी देश की सेना से न जीत पाना लेकिन उस देश में धर्म परिवर्तन कर अपनी एक सेना बनाना और फिर गरहयुद्ध दंगो का माहोल तैयार करना उसी देश के लोगो अपने ही देश के खिलाफ लडवाना उस देश की संस्कृति सभ्यता को नष्ट करना और फिर उस देश को भी इस्लामिक मुल्को की लिस्ट में लाना . फिर मेरे मन में एक सवाल उठा की फिर क्यों हमारे सैनिको को बेवकूफ बनाया जा रहा है जब किसी न किसी तरीके से हमारे देश के नेता चाहते ही है की यह देश इस्लामिक मुल्क बन जाए तो फिर क्यों देश को बेवकूफ बनाया जा रहा है आतंक से लड़ाई लड़ने के नाम पर . जब की पाकिस्तान या आइएसाइ का काम तो इस देश में धर्मान्त्र्ण के जरिये जारी है ही इस देश को इस्लामिक रंग में रंगने की तैयारी तो हमारे नेता रच ही रहे है उधर सैनिक अपनी जान गवा रहे है और इधर धर्म के नाम पर पीठ में छुरा घोपा जा रहा है और जगह जगह विभाजन की नीव डाली जा रही है जेहाद के लिए भारत की धरती भारत के लोगो को ही तैयार किया जा रहा है . </div>vikas mehtahttp://www.blogger.com/profile/17315693154331289768noreply@blogger.com0