चिट्ठाजगत
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शनिवार, 11 फ़रवरी 2012

देश का प्रधानमन्त्री चुनने का हक़ जनता को हो

मेरा मानना है देश का प्रधानमन्त्री चुनने का हक़ सीधे जनता को दिया जाये न की एम् पि मडली को और न ही किसी पार्टी के अध्यक्ष को चुकी एम् पि मडली , और उस पार्टी के अध्यक्ष जिसके पास सत्ता का बहुमत है वह अपनी सहूलियत और अपनी जी हजुरी करने वाले इंसान को पद पर बैठा सकते है या फिर देते है . ऐसे में हमें एक कमजोर जी हजुरी करने वाला नेता पर्धन्मन्त्री के पद पर मिलता है जो न तो जनता की भावनाओ को समझता है और न ही देशहित को चुकी ऐसे व्यक्ति ने न तो जनता के दुःख दर्द को करीब से देखा होता है और न ही राजनीती की उबड खाबड़ को . एसा प्रधानंत्री उस नेता के रहमो -कर्म में दबा होता है जिसने उसे इस पद पर बैठाया है और वह केवल उसी के प्रति जवाबदेह भी होता है एसा इंसान राष्ट्रहित में कोई भी मजबूत फैसला नही ले सकता चुकी वह फैसला लेने में सक्षम ही नही होता और ऐसे प्रधानमन्त्री की गलतियों का खामियाजा देश की जनता को भुगतना पड़ता है और उस राष्ट्र की बहुत अधिक हानि होती है हर स्तर पर वह चाहे कूटनैतिक हो या फिर आर्थिक या फिर राजनातिक उस देश का हर तरीके से पतन निश्चित होता है . इसलिए अब समय आ गया है की देश का प्रधानमन्त्री चुनने का हक़ जनता को दिया जाये ताकि जनता सवयम अपने विवेक से अपना नेता चुन सके देश को एक मजबूत प्रधानमन्त्री मिल सके जिसकी जवाब देहि जनता के प्रति हो न की उसके आका के प्रति , जो भारत को समझता हो जिसका उद्देश्य मात्र अमेरिका के राष्ट्रपति या फ़्रांस के राष्ट्रपति से हाथ मिलाना , फोटो खिचवाना नही हो बल्कि भारत को एक विश्वशक्ति के रूप में स्थापित करना हो जो भारत के हर दुश्मन का मुह तोड़ जवाब दे सके और भारत को आर्थिक स्तर , राजनैतिक स्तर , पर नया मुकाम हासिल करा सके , जो भारत की सभ्यता संस्कृति का भी सम्मान करता हो .कुछ इस प्रकार की वयवस्था भारत में लागू की जाए की जिस तरह से हम एम् पि ,एम् एल इ चुनते है ठीक उसी प्रकार भारत की जनता अपना प्रधानमन्त्री भी चुन सके .

शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

भाजपा बेहतर…. से बदतर तक

यूपी चुनाव शायद भाजपा का सर्व्निम इतिहास लिख सकता था इस चुनावों के बाद शायद इस देश में हिन्दुत्त्व की राजनीति को बल मिल सकता था और साथ ही संघ या अन्य हिन्दू संघठनो को भी . चुकी इस चुनाव में भाजपा को मुद्दे तलाशने की जरूरत नही पड़ी बल्कि खुद कोंग्रेस , दिग्विजय ने ही दिए थे . पहले कोंग्रेस का यह एलान की मुस्लिमो को साढ़े चार पर्तिष्ट आरक्षण फिर मुलायम का आठारह पर्तिशत कही न कही आम जन में यह सन्देश पहुचा रहे थे की वोटो के लिए धर्मनिरपेक्षता का दम भरने वाली पार्टियाँ किस हद्द तक गिर सकती है और सभी में मुस्लिमो को रिझाने की होड़ है . यही बात कही न कही भाजपा को मजबूत और हिन्दुओ को संघठित कर रहे थे दलित , अगड़े ,पिछड़े ,सरवन सभी को एकजुट भी कर रहे थे जो कही न कही हिन्दू को एक वोट से एक वोट बैंक बनने का एक कदम साबित हो सकते थे . फिर उपर से खुर्शीद का कल का ब्यान जो की बटला पर आया वह भी इस बात की और इशारा करता है की आखिर कोंगेस या सपा को मोहनचंद शर्मा की जगह आतंकियों पर आँसू क्यों आते है ? वही दूसरी तरफ खुर्सिद का यह ब्यान भाजपा को एक मात्र ऐसी पार्टी साबित करने में भी लगा था की भाजपा ही आतंक विरोधी है और भाजपा के हाथ में खुद कोंग्रेसियो ने ही एक और मुद्दा थमाया था .कूल मिलाकर भाजपा पार्टी वर्तमान में सत्ता पर विराजमान बसपा से जो की सबसे मजबूत इस समय बताई जा रही है यूपी में एक कदम आगे चल रही थी कारण मात्र भाजपा द्वारा मुस्लिम अरक्ष्ण का विरोध और बाबू सिंह कुशवाहा का लाभ और उमा भारती फैक्टर , पिछडो को उनका हक़ वापस देने का एलान जो कही न कही भाजपा को दलित हिन्दुओ की हितेषी पार्टी भी साबित कारता है . एक और बात थी जो भाजपा को मजबूत करती थी अब तक ….पार्टी अब के चुनावों में ब्राह्मण ,दलित ,राजपूत ,वश्य सभी को साथ लेने में भी काफी कामयाब रही . लेकिन ,लेकिन ,लेकिन एन समय में योगी आदित्य नाथ जो की भाजपा का एक बड़ा चहरा है उनकी वजह से भाजपा को भारी नुक्सान उठाना पड़ सकता है जिस तरह से इस बार मुस्लिम वोट बटेगा चुकी इस बार की स्थिति में मुस्लिम मतदाता असमंजस की स्थिति में है की वह किसे वोट दे चुकी इस बार कई ऐसी पार्टिया भी मैदान में है जो मुसलमानों की ही है .उसी तरह से भाजपा की लाख कोशिशो के बावजूद भी हिन्दू वोट बैंक भी बटेगा . कारण पहला यह की योगी आदित्य नाथ की पार्टी जो की हिन्दू वाहिनी है वह ठीक उस तरह का काम करेगी जो काम महाराष्ट्र में राज ठाकरे ने शिवसेना और बीजेपी के साथ किया था जिसका फायदा एन सि पि और कोंग्रेस को हुआ था यानी वोट बातु ,वोट तोडू . ठीक उसी तरह से हिन्दू वोटर भी भाजपा या हिन्दू वाहिनी दोनों में बटेगा वही कल्याण सिंग भी बीजेपी के लिए सर दर्द बन सकते है जो वोटो का ध्रुविकर्ण करने में अहम रोल निभाएंगे . कल्याण और योगी ही वह फैक्टर साबित हो सकते है जो यूपी में मजबूत होती भाजपा को बेहतर से बदतर की स्थिति में ला सकते है . कूल मिलाकर जिस कमल को यूपी में खिलाने के लिए उमा ,बाबू सिंह , आरक्षण विरोध , हिंदुत्व का सहारा गडकरी और उमा ने लिया था अब उनकी इस मेहनत पर पलीता लग सकता है जो पार्टी इस चुनावों में ९५ से ११० सीटे जीत सकती थी वही भाजपा पार्टी ७५ से ९० सिटो तक सिमट सकती है .

रविवार, 5 फ़रवरी 2012

कल्कि अव्र्तार है सुब्रमन्यम स्वामी

हम जिसका कर रहे थे इंतज़ार
वह आ ही गये अब की बार
दुष्टों का करने संहार
भ्रष्टो का करने उद्धार
वह फिर से लड़ रहे है
कर्म का सन्देश दे रहे है
युद्ध कर रहे है
बिना शस्त्र ,बिना तलवार
न हाथो कोई बंदूक है
न कोई है हथियार
फिर भी वह अकेले लड़ रहे
वही है इस युग के कल्कि अवतार
भ्रष्टो की पूरी की फोज़ है
कलमाड़ी , ,शीला ,राजा, कनिमोझी
वह अकेले है ,न हाथ में तलवार ,न ही कोई हथियार
सच्चाई की ,संघर्ष की ताकत है उनके पास
वही है दुसरे कल्कि अवतार
डरे हुए सहमे हुए देशवासियों में 
जोश वो जगा रहे 
अकेले है ,एक है पर कर रहे  
जो सो ,सो नही कर सके  
अब मान लो तुम भी ये बात
अब मान लो तुम भी ये बात
कल्कि अव्र्तार है सुब्रमन्यम स्वामी

 

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012

क्या वाकई हिन्दू मुस्लिम भाई -भाई ?

आपने बचपन से आज तक नजाने कितनी बार सूना होगा की हिन्दू मुस्लिम भाई -भाई किताबो में ,इश्तिहारो ,अखबारों ,बैनरों में देखा होगा . लेकिन क्या वाकई हिन्दू मुस्लिम है भाई -भाई . बटवारे के बाद से नेताओं और पुस्तको और संतो ने हमें पाठ पढ़ाया है की हिन्दू मुस्लिम भाई – भाई है .लेकिन मेरा मानना एसा नही है आजादी के बाद या फिर पहले जितने भी दंगे फसाद हुए है है वह हिन्दू -मुस्लिम के बीच सबसे ज्यादा हुए है .बेशक से हिन्दू और मुसलमान का खून एक जैसा है ,बेशक से दोनों के ही शरीर में एक आत्मा है ,बेशक से सबका मालिक एक है लेकिन फिर भी दोनों की ही संस्कृतिया अलग -अलग है ,भाषा अलग है रहन सहन अलग है ,शिक्षा अलग है ,जीवन शैली अलग है ,संस्कार अलग है . एसा मात्र किताबो में ही शोभा देता है की हिन्दू -मुस्लिम भाई -भाई लेकिन असल जिन्दगी में स्थिति बिलकुल इसके उल्ट है . एक समुदाय सर्व धर्म की बात करता है मंदिर , मस्जिद गुरुद्वारों ,गिरिजाघरो ,नदियों ,पत्तो , पक्षियों , कीड़े मकोडो में इश्वर का रूप देखता है और वही दुसरा समुदाय एकेश्वरवाद के सिधान्तो पर चलता है और उसे मानता है और बाकियों मूर्तिपूजको को काफिर मानता है . सच मानिए तो दोनों की ही शिक्षा -सभ्यता अलग अलग है विचार अलग है .एक समुदाय विकास के लिए देश की उन्नति के लिए प्रयत्नशील है वाही दुसरा समुदाय जनसंख्या परिवर्तन के लिए प्रयासरत है , मत परिवर्तन ,धर्मपरिवर्तन ,सत्ता परिवर्तन के लिए प्रयासरत है . एक समुदाय विदेशी हमलो , इस्लामिक षड्यंत्रों ,हमलो के बावजूद भी सहनशील है दुसरा समुदाय देश को दारुल इस्लाम बनाने पर प्रयासरत है .इस छद्म भैवाद ने आखिर हमें दिया क्या है ? अपने ही  देश में शरणार्थी काश्मीरी ब्राह्मण या फिर हिंदी चीनी भाई -भाई जैसे खोखले नारे  ?  क्या इन सभी हालातो को देखकर लगता है की कभी हिन्दू -मुस्लिम भाई -भाई हो सकते है ? जरा सोचिये

बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

क्या कचरे का डब्बा है बोलीवूड ?

फिल्मे समाज का आइना होती है समाज की सच्चाई को बयाँ करती है सही मानिए तो फिल्मो नाटको का हमारे जीवन पर बहुत गहरा असर पड़ता है लेकिन आज यह फिल्मे हमारे समाज को किस और ले जा रही है आइये पड़ताल करते है .
तीन घंटे एक अँधेरे होल में एक सक्रीन से चिपकने के बाद हर एक दर्शक उन किरदारों से जुड़ जाता है वह काफी भावनात्मक हो जाता है वही किरदार उसके जीवन पर भी असर डालने लगते है . जिस तरह से भारतीय दर्शक पुरानी फिल्मो से यह सिख लेते थे मेरे देश की धरती सोना उगले ……..और इस गीत को गुनगुनाते थे और अपने भारतीय होने पर खुद को गर्वान्वित महसूस करते थे . उसी प्रकार आज के दर्शक शीला की जवानी …….मुन्नी बदनाम हुई जैसे अभद्र गीत गुनगुनाते है और ठीक वही स्टेप्स भी सीखते है . जिस प्रकार पहले यह डाइलोग चलता था ‘ प्राण जाए पर वचन निभाए ठीक ‘ ठीक इसी प्रकार आज भारतीय दर्शको के दिमाघ में इमरान हाश्मी के हिरोइन पर चुम्बन दृश्य हावी होते है और कही न कही उस फिल्म के अभद्र किरदारों की जीवन शैली की छाप दर्शको की जीवन शैली पर भी पड़ती है .जहा पहले की फिल्मो से देशभक्ति का जज्बा पैदा होता था वही आज की फिल्मो से दर्शको में सेक्स के प्रति उत्सुकता पैदा होती है जिसके कारण हमारी जीवन शैली में बदलाव आ रहा है जिस तरह फिल्मो में एक हीरो दो या तीन गर्ल फरैंड रखता है वैसे ही आज का युवा भी वैसा ही करता है दो तीन लडकिया पटना उसका धर्म बनकर रह गया है और प्रेम की परिभाषा ही बदलकर रह गयी है . जैसे आज की फिल्मो में रुपया कमाने के शोर्ट तरीके अपनाये जाते है वैसे ही आज का युवा भी पैसा तेज़ी से कमाना चाहता है जिसके कारण समाज में बलात्कार , चोरी ,डकैती , सट्टेबाजी जैसे अपराध बढ़ रहे है . आज का बोलीवूड न तो ज्ञान का महत्व समझता है और न ही विज्ञान का ,न तो पारिवारिक रिश्तो का और न ही दोस्ती का बल्कि यह एक ऐसी सेक्स ,अभद्र कोमेडी की प्रयोगशाला बनकर रह गया है जिसका उद्देश्य न तो सामाजिक मुद्दों को उठाना है और न ही समाज को एक दिशा देना है यह केवल मुनाफा खोरो की दूकान बनकर रह गया है जिसे या तो सेक्स परोसकर या फिर अभद्र ‘ देल्ली बेली जैसी मर्डर मिस्ट्री जैसी अश्लील फिल्मे दिखाकर मुनाफा कमाना है चाहे इससे देश का कितना ही नुक्सान क्यों न हो देश के भविष्य पर कितना ही मनोवैज्ञानिक मानसिक गलत प्रभाव क्यों न पड़े .अभी कुछ दिन पहले की ही बात है कलर्स चैनल पर सक्रीन अव्र्ड्स का शो था उसमे शारुख खान विधा बालन से कहता है की मुझे जो चीज़ चाहिए उसका मजा रात में ही है ‘ इस तरह के असभ्य डाएलोग को सुनकर ही पता लग सकता है की बोलीवूद का स्तर कितना गिर चुका है . जिस देश ने शाहरुख़ खान को इतना बड़ा सुपर स्टार बना दिया वही शाहरुख़ खान एक ऐसे चैनल पर ऐसे असभ्य शब्दों ,संस्कृति तोडू शब्दों का इस्तेमाल कर रहा है जिसे भारत में बहुत से परिवार एक साथ बैठकर भी देख रहे हो सकते है लेकिन शःरुख्खान के असभ्य बोलो ने चैनल को टी आर पी दिलाने में कोई कसर नही छोड़ी होगी एसा माना जा सकता है इसलिए शाहरुख़ हो या कोई और एक्टर मुनाफे के लिए किसी भी हद्द तक जा सकता है . कूल मिलाकर कचरे का डब्बा बनकर रह गया है बोलीवूड और इसमें काम करने वाले बहुत से एक्टर और एक्टर्स उसका हिस्सा है जिनका उद्देश्य मात्र पैसा कमाना रह गया है किसी भी कीमत पर और एसा करते – करते बोलीवूड भारतीय संस्कृति , भारतीय पारिवारिक ढांचे , धार्मिक भावनाओं , जातीय भावनाओं , भारत के भविष्य के साथ भारी खिलवाड़ का रहा है जाने अनजाने ही सही .