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शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

भाजपा बेहतर…. से बदतर तक

यूपी चुनाव शायद भाजपा का सर्व्निम इतिहास लिख सकता था इस चुनावों के बाद शायद इस देश में हिन्दुत्त्व की राजनीति को बल मिल सकता था और साथ ही संघ या अन्य हिन्दू संघठनो को भी . चुकी इस चुनाव में भाजपा को मुद्दे तलाशने की जरूरत नही पड़ी बल्कि खुद कोंग्रेस , दिग्विजय ने ही दिए थे . पहले कोंग्रेस का यह एलान की मुस्लिमो को साढ़े चार पर्तिष्ट आरक्षण फिर मुलायम का आठारह पर्तिशत कही न कही आम जन में यह सन्देश पहुचा रहे थे की वोटो के लिए धर्मनिरपेक्षता का दम भरने वाली पार्टियाँ किस हद्द तक गिर सकती है और सभी में मुस्लिमो को रिझाने की होड़ है . यही बात कही न कही भाजपा को मजबूत और हिन्दुओ को संघठित कर रहे थे दलित , अगड़े ,पिछड़े ,सरवन सभी को एकजुट भी कर रहे थे जो कही न कही हिन्दू को एक वोट से एक वोट बैंक बनने का एक कदम साबित हो सकते थे . फिर उपर से खुर्शीद का कल का ब्यान जो की बटला पर आया वह भी इस बात की और इशारा करता है की आखिर कोंगेस या सपा को मोहनचंद शर्मा की जगह आतंकियों पर आँसू क्यों आते है ? वही दूसरी तरफ खुर्सिद का यह ब्यान भाजपा को एक मात्र ऐसी पार्टी साबित करने में भी लगा था की भाजपा ही आतंक विरोधी है और भाजपा के हाथ में खुद कोंग्रेसियो ने ही एक और मुद्दा थमाया था .कूल मिलाकर भाजपा पार्टी वर्तमान में सत्ता पर विराजमान बसपा से जो की सबसे मजबूत इस समय बताई जा रही है यूपी में एक कदम आगे चल रही थी कारण मात्र भाजपा द्वारा मुस्लिम अरक्ष्ण का विरोध और बाबू सिंह कुशवाहा का लाभ और उमा भारती फैक्टर , पिछडो को उनका हक़ वापस देने का एलान जो कही न कही भाजपा को दलित हिन्दुओ की हितेषी पार्टी भी साबित कारता है . एक और बात थी जो भाजपा को मजबूत करती थी अब तक ….पार्टी अब के चुनावों में ब्राह्मण ,दलित ,राजपूत ,वश्य सभी को साथ लेने में भी काफी कामयाब रही . लेकिन ,लेकिन ,लेकिन एन समय में योगी आदित्य नाथ जो की भाजपा का एक बड़ा चहरा है उनकी वजह से भाजपा को भारी नुक्सान उठाना पड़ सकता है जिस तरह से इस बार मुस्लिम वोट बटेगा चुकी इस बार की स्थिति में मुस्लिम मतदाता असमंजस की स्थिति में है की वह किसे वोट दे चुकी इस बार कई ऐसी पार्टिया भी मैदान में है जो मुसलमानों की ही है .उसी तरह से भाजपा की लाख कोशिशो के बावजूद भी हिन्दू वोट बैंक भी बटेगा . कारण पहला यह की योगी आदित्य नाथ की पार्टी जो की हिन्दू वाहिनी है वह ठीक उस तरह का काम करेगी जो काम महाराष्ट्र में राज ठाकरे ने शिवसेना और बीजेपी के साथ किया था जिसका फायदा एन सि पि और कोंग्रेस को हुआ था यानी वोट बातु ,वोट तोडू . ठीक उसी तरह से हिन्दू वोटर भी भाजपा या हिन्दू वाहिनी दोनों में बटेगा वही कल्याण सिंग भी बीजेपी के लिए सर दर्द बन सकते है जो वोटो का ध्रुविकर्ण करने में अहम रोल निभाएंगे . कल्याण और योगी ही वह फैक्टर साबित हो सकते है जो यूपी में मजबूत होती भाजपा को बेहतर से बदतर की स्थिति में ला सकते है . कूल मिलाकर जिस कमल को यूपी में खिलाने के लिए उमा ,बाबू सिंह , आरक्षण विरोध , हिंदुत्व का सहारा गडकरी और उमा ने लिया था अब उनकी इस मेहनत पर पलीता लग सकता है जो पार्टी इस चुनावों में ९५ से ११० सीटे जीत सकती थी वही भाजपा पार्टी ७५ से ९० सिटो तक सिमट सकती है .

2 टिप्‍पणियां:

  1. Waqt se pahle aur qismat zyada kuchh nahi milta.

    आवश्यकता है चुनाव प्रणाली में सुधार की (कांटेस्ट)

    http://satyasheelagrawal.jagranjunction.com/?p=390

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  2. सब एक जैसे ही हैं चुनाव में कोई आगे तो कोई पीछे होता हैं

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