चिट्ठाजगत
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सोमवार, 14 जून 2010

गंगा को किसने किया मैला

टीवी चैनल प़र एक खबर दिखाई जा रही है जिसमे गंगा से कैंसर होने का दावा किया जा रहा है . वज्ञानिक जांच के बाद यह सब कहा जा रहा है . सालो से फैक्ट्रियो का गंदा पानी गंगा को गंदा करता रहा तब तक मीडिया क्यों सोता रहा , सरकारे सोती रही . गंगा जिसे माँ कहते है ८०% हिन्दुओ की आस्था का पर्तिक है गंगा . फिर भी सरकारों ने क्या किया मदरसों , हज यात्रियों को सब्सिडी देने वाली सरकारे गंगा के लिये करती क्या है ? . जो गंगा धार्मिक आस्था से तो महत्व रखती ही है यहा तक की करोड़ो भारतीयों की प्यास भी भुजाती है . उस नदी की सफाई के लिये सरकारों ने क्या किया . पैसा तो दिया लेकिन इतना की समुद्र में से एक लोटा निकालने के बराबर . गंगा भारत की बड़ी नदी है जिससे देश के करोड़ो नागरिको तक जल पहुचता है फिर क्यों सरकारे गंगा के महत्व को नही समझती . जिस गंगा नदी के दर्शनों के लिये विदेशो से लोग आते है उस गंगा नदी को जहर बनाने में किसका हाथ है . क्या उन लोगो का जो भारत की सत्ता प़र काबिज है परन्तु भारतीय संस्कृति का सम्मान करना नही जानते . जो विकास का नारा तो देते है लेकिन जीवन जीने का आधार जल उसका महत्व नही समझते . जो विदेशी कम्पनियों को रिझाने के लिये कुछ भी कर सकते है लेकिन भारत की प्राक्रतिक ख़ूबसूरती को न ही समझते है और न उसका सम्मान करते है . दोष आम आदमी का भी है जो आधुनिकता में बहकर भारत की संकृति को खत्म करने लगा है . हिन्दू संस्कृति को मिटाने में हमारी अध्निकता  भी दोषी है हम जिस पश्चिम की राह प़र चल रहे है . जिस सोच प़र चल रहे है उसमे अपनी पहचान अपना धर्म सब कुछ धीरे - धीरे भूलते जा रहे है .

शुक्रवार, 4 जून 2010

आतंकियों प़र एक शेर

पिछले दिनों एक नेता आतंकवादियों के घर दुःख जताने पहुचे . क्या जमाना आ गया है आतंकियों के घर दुःख जताने नेता इसलिए जा रहे है की उनकी राजनीति चमक जाए . पहले जमाना था के शहीदों के घर नेता जाते थे उनके परिवारों को सहानुभूति देने . जिस तरह से कलियुग अपने कदम बधा रहा है धरती प़र पाप और पापी दोनों बढ़ रहे है और सज्जन व्यक्तियों की जनसंख्या घट रही है . इसे देखते हुए हमारे देश में एक शेर था जो शहीदों प़र था परन्तु आने वाले सालो में यह कहावत कुछ इस परकार होगी . और इसमें तुष्टिकर्ण की नीतिया जिम्मेदार होंगी

आतकवादियो के घरो प़र लगेंगे हर बरस नेताओं के मेले
वतन को तोड़ने वालो का बाकी अब यही एक निशा होगा