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गुरुवार, 11 मार्च 2010

सहिष्णु हिन्दू यही तो कमजोरी है

बहुत से हिन्दू  अपनी सहनशीलता को अपना आभूषण  बताते है लेकिन वास्तव में यह सहनशीलता आभूषण नही एक फ़ासी की तरह बनती जा रही है . हम जितने ज्यादा सहनशील होते है उतने ही ज्यादा  अत्याचार बढ़ते जाते है हुसैन का मामला हो या और कोई भी दंगा फसाद हिन्दू सब कुछ सहन करता है . तभी उसे अपने ही देश में अपमान सहना पड़ रहा है . जब डेनमार्क में इस्लाम धर्म को कार्टून के रूप दिया गया तब सभी मुस्लिम देशो ने इस प़र जमकर हल्ला किया मजबूरन कार्टूनिस्ट को माफ़ी माँगनी पड़ी  . यहाँ मुसलमानों का विरोध जायज भी हो सकता है लेकिन हुसैन दवारा भारत में रहकर और भारत में जन्म लेकर भारत के बहुसंख्यक समाज की धर्मिक भावनाओं को ठेस पहुचाना  नाजायज है क्या इन सब चीजों की इस्लाम आजादी देता है अगर नही तो भारतीय मुस्लिम्स को तो विरोध करना चाहिए . लेकिन कोई विरोध नही परन्तु असली मुद्दा तो हिन्दू समाज का है वह क्यों यह सब सहन करता है . अगर आज किसी जाती विशेष प़र टिप्पणी कर दी जाए तो हजारो मुकदमे दर्ज होंगे और भी बहुत कुछ होगा लेकिन जब बात देश की आती है संस्कृति की आती है तब हिन्दुओ को सहनशीलता की खुराक कहा से मिल जाती है . क्या कोई पाकिस्तानी हिन्दू इस्लामिक भावनाओं को पाकिस्तान में किसी परकार की ठेस पहुचा सकता है अगर पहुचा सकता है तो उसका हश्र क्या होगा . अजी पाकिस्तान छोड़िए क्या कोई भारतीय इस्लाम प़र कुछ लिख या कोई कार्टून बना सकता है . नही क्यों . बिलकुल साफ़ सी बात है इस्लाम के नाम प़र शिया हो या सुन्नी  सभी एक हो जाते हैं . लेकिन भारतीय जो अलग - अलग पन्थो में बटे है अलग - अलग जातियों में बटे है जिन्हें न ही देश दिखता है और न ही अपना धर्म केवल पैसा या फिर अपनी जाती

2 टिप्‍पणियां:

  1. सहमत हूँ,आपसे सहनशीलता ही,गले की फासीं बनती जा रही है,और विदेश में जाति से हट कर अपने देश की सहनशीलता गले में फासीं का फन्दा है,जो व्यवहार अपने यहाँ की सिने तारिका शिल्पा शेट्टी के साथ बिरटेन के धारावाहिक में हुआ था,वोह सर्वविदित है,और आस्ट्रेलिया में जो भारतीयों के साथ हुआ था,उसे कौन भूल सकता है ?

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  2. उतिष्टकौन्तेय -जागो भारत

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